स्कूलों में जब इंस्पेक्शन टीम आती थी तो स्कूल की हर व्यवस्था दुरुस्त की जाती थी,कोई कमी ना रहे इस बात का पूरा ख्याल रखा जाता था । जिस तरह वो निरीक्षण टीम होती है उसी तरह औरतों की एक स्पेशल निरीक्षण टीम होती है जो शादी हो या मौत हर मौके पर फ्री में बिना किसी पूर्व सूचना के उपलब्ध होती है। इनकी आंखे हाई रिजॉल्यूशन कैमरे और एक्सरे मशीन का मिला जुला रूप होती है। और दिमाग किसी बड़े जासूस का होता है जो सबके रिश्ते और रिश्तेदारों की पूरी सूची से लैस होता है।
इनकी तेज नजर सैकिंड के सौवें हिस्से में ही जान लेती है कि किसने क्या पहना, क्यों पहना, और वो किसकी बहू थी, किसकी बेटी थी। शादियों में तो तुरंत पकड़ कर बकायदा अपनी याददाश्त का परिचय भी देती है।
‘क्यों री यही साड़ी तो तूने बांके के छोरा के ब्याह में पहनी थी‘ वो महिला बेचारी ऐसे अपराध बोध में ग्रस्त हो जाती है मानो साड़ी रिपीट करके किसी की हत्या कर दी हो।बेचारी के हलक से खाना भी नीचे नहीं उतरता पूरे कार्यक्रम में इनसे बचकर चलती है।
या किसी से कहेंगी, “सोने के ना लग रहे तेरे कान के आर्टिफिशल से लग रहे हैं, मेरे तो कान पक जाते हैं पहन लूं तो । ‘ उस बेचारी की को दस लोगों के बीच पका दिया उसका कुछ नहीं।
ये निरीक्षण टीम किसी मौत पर और ज्यादा सक्रिय होती है। जब परिवार में हुई मृत्यु के शोक में परिवार की औरतें पूरी तरह डूबी होती है ,अपना होश नहीं होता उस वक्त ये बैठकर अपनी चील सी नज़रों से उनकी हर हरकत पर नजर रखती हैं।
“तूने देखी फलाने की बहू सूट पहन कर आई थी,बताओ इन्हे शर्म नहीं है इतने रिश्तेदारों के बीच सूट पहन के आ गई”
“अरी वो छोड़ उसकी बड़ी बहू देखी एक आंसू नहीं गिर रहा था ससुर की मौत पर बताओ तो सही कैसा जमाना आ गया है।
“तुमने लाली लिपिस्टिक नहीं देखे बहु के,ऐसे सजी है जैसे इसके बाप का ब्याह हो , क्या कहो इन बहुओ को कितना भी अपना मान लो अपनी नहीं हो सकती ..
अरी बहू छोड़ बेटी देख कैसी चटक साड़ी पहन के आई है ,बताओ ये बाप का दुख नहीं मनाएगी तो बहू कैसे मना लेंगी।
अरे जीजी बहन भी तो कैसी टिक्की बिंदी करके आई है, हाय री ऐसा तो बूढ़ा भी ना मरा था।
परिवार के हर सदस्य का एक्सरे निकाल उन पर निंदा बम का अटैक कर ये टीम कुछ ही देर में शादी डॉट कोम में परिवर्तित हो जाती है और फिर शुरू होते हैं नए प्रश्न…
क्यों बहनजी तुम्हारी लड़की का रिश्ता हुआ कि नहीं ?
बहन जी तुम्हारा लड़का कहाँ नौकरी कर रहा है ..मेरी भतीजी है बड़ी गुणी, बड़ी सुन्दर आपके घर को स्वर्ग बना देगी…
घर के लोग इन्हें देख अपना खून फुन्काए ..अन्दर ही अन्दर नाराज हों पर ..ना किसी के दुःख सुख से ना गुस्से से इनके कार्य में कोई बाधा पड़ती है ..ये अपना कार्य पूरी ईमानदारी और मुस्तैदी से सम्पन्न करती हैं ..सरकार चाहे तो इन्हें वीर चक्र से सम्मानित कर सकती है, दुश्मनों के खिलाफ निंदा चुगली बम की तरह इस्तेमाल कर सकती है |