हज़ारों मुश्किलों से लड़ रहा हूं मैं अकेला ही
दुआएं साथ हों जिसके उसे लश्कर नहीं लगता।
– मनोज मुंतशिर

भारत में रिवाज है वर्ष के अंत में साल भर में लिखी गयी श्रेष्ठ पुस्तकों का लेखा जोखा प्रकाशित किया जाता है। बहुत से संपादक अथवा पत्रिकाएं ऐसे लेख प्रकाशित करते हैं। मगर यहां लंदन में बैठकर हमें साल भर की तमाम पुस्तकें उपलब्ध नहीं हो पाईं। 

मगर मेरे साथ ऐसा भी होता है कि जब कभी भारत जाता हूं तो बहुत से मित्र अपनी पुस्तकें भेंट करते हैं। या फिर कभी कोई मित्र भारत से यहां आता है तो अपनी पुस्तक भेंट कर जाता है। कुछ पुस्तकें मैं स्वयं ख़रीद लाता हूं। 

मैंने सोचा कि मैं उन पुस्तकों की सूची आपके साथ साझा करूं जो मुझे नवंबर 2018 से लेकर दिसम्बर 2019 के बीच प्राप्त हुईं। उनमें से बहुत सी पुस्तकें पढ़ ली हैं, और बहुत सी अपनी बारी की प्रतीक्षा कर रही हैं। मगर मेरा फ़र्ज़ बनता है कि मैं आप तक उन पुस्तकों का नाम तो पहुंचा ही दूं। ज़रूरी नहीं कि ये पुस्तकें 2019 में ही प्रकाशित हुई हों।

दरअसल हमें आगरा, कानपुर, प्रयागराज, वाराणसी, अम्बाल, चण्डीगढ़ आदि स्थानों से प्रकाशित पुस्तकों का कम ही पता चल पाता है। कुछ गिने चुने प्रकाशक हैं जिन्हें हम जानते हैं और कुछ गिने चुने लेखक हैं जिन्हें मित्रता की वजह से हम पढ़ लेते हैं… मगर हिन्दी लेखन का जगत इतना सीमित नहीं है। आज आपके साथ कुछ पुस्तकों के नाम साझा कर रहा हूं….

  1. मेरी फ़ितरत है मस्ताना – कविता संग्रह –  मनोज मुंतशिर (वाणी प्रकाशन, नई दिल्ली)।
  2. गली तमाशे वाली – व्यंग्य उपन्यास – अर्चना चतुर्वेदी (भावना प्रकाशन, नई दिल्ली)
  3. भूत खेला – गीताश्री – कहानी संग्रह – (वाणी प्रकाशन, नई दिल्ली)
  4. तुम कहते हो – कविता संग्रह – प्रगति गुप्ता (अयन प्रकाशन, नई दिल्ली)
  5. शब्दों से परे – कविता संग्रह – प्रगति गुप्ता (अयन प्रकाशन, नई दिल्ली)
  6. हरे कक्ष में दिन भर – साक्षात्कार – संपादक प्रबोध गोविल (मोनिका प्रकाशन, जयपुर)।
  7. जीवन संग्राम के योद्धा – दिव्यांग पात्रों की कहानियां – संपादन – संध्या कुमारी। (NBT) 
  8. हिन्दी का विश्व संदर्भ – डॉ. करुणा शंकर उपाध्याय – (राधाकृष्ण प्रकाशन, नई दिल्ली)।
  9. पाश्चात्य काव्य चिंतन – डॉ. करुणा शंकर उपाध्याय – (राधाकृष्ण प्रकाशन, नई दिल्ली)।
  10. फ़ेलसूफ़ियां – राजीव तनेजा – (अधिकरण प्रकाशन, दिल्ली)
  11. एयर स्ट्राइक@बालाकोट – संजय सिंह, मुकेश कौशिक – (नयी किताब प्रकाशन, नई दिल्ली)।
  12. प्रतिनिधि हिन्दी कहानियां – संकलनकर्ता निहारिका मल्लिक (Black Eagle Books, Dublin).
  13. धरती कहे पुकार के – शैलेन्द्र पर लेख – इंद्रजीत सिंह – (VK Global Publication, Faridabad).
  14. परिवेश के स्वर – कहानी संग्रह – संपादक प्रितपाल कौर (गायत्री प्रकाशन, बीकानेर)
  15. पानी पानी पर – ग़ज़ल संग्रह – डा. प्रभा मिश्रा प्रज्ञा – (पहले पहल प्रकाशन, भोपाल)।
  16. रात दिन जगाएं आकाशगंगाएँ – कविता संग्रह – राजवंती मान – (वाणी प्रकाशन, नई दिल्ली)।
  17. सुन्दरकाण्ड भावानुवाद – लावण्या दीपक शाह (कनाडा) – (स्वप्रकाशित)
  18. झरोखे मन के – काव्य संग्रह – नूतन ज्योति – (शिल्पायन, नई दिल्ली)।
  19. फूल रातरानी के – काव्य संग्रह – डॉ. शैलबाला अग्रवाल (गर्ग बुक कम्पनी, जयपुर।)
  20. आधुनिक हिन्दी साहित्य के चयनित व्यंग्य – संपादक – कीर्ति शर्मा
  21. समय – कहानी संग्रह – संजय सिन्हा (प्रभात प्रकाशन, नई दिल्ली)
  22. भाविनी – कविता संग्रह – अर्पणा शर्मा (उत्कर्ष प्रकाशन, मेरठ)
  23. गीत अंजुरी – सीमा हरि शर्मा (पहले पहल प्रकाशन, भोपाल)
  24. मुट्ठी भर चान्दनी – कविता संग्रह – रेखा राजवंशी, (Any Book, New Delhi).
  25. पंचरतंत्र की कथाएं – व्यंग्य संग्रह – इंद्रजीत कौर (रुझान पब्लिकेशन्स, जयपुर)
  26. कोई सुन रहा है क्या – कहानी संग्रह – किरण सूद – कल्याणी शिक्षा परिषद, नई दिल्ली।

इनमें से बहुत सी किताबें पढ़ चुका हूं… कुछ अभी प्रतीक्षा में हैं। इनमें तीन कहानी संग्रह ऐसे भी हैं जिनमें मेरी रचनाएं भी शामिल की गयी हैं। मनोज मुंतशिर की रचनाएं बीच बीच में पढ़ता रहता हूं। मुझे पूरी उम्मीद है कि मनोज हिन्दी सिनेमा में गीतों के गिरते स्तर को ऊपर उठाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। 

मेरे पत्रकार मित्र संजय सिंह ने अपनी पुस्तक एयर स्ट्राइक@बालाकोट में ऐसा ख़ूबसूरत विवरण दिया है कि सब आँखों के सामने सजीव हो उठता है। राजीव तनेजा का लेखन हमेशा आकर्षित करता रहा है… यहां भी वे गुदगुदाते हैं। प्रगति गुप्ता की कविताएं रुक कर पढ़ने को मजबूर करती हैं। काव्य में मुझे ग़ज़लें सबसे अधिक सुहाती हैं इसलिये ही रेखा राजवंशी के द्विभाषी ग़ज़ल संग्रह को पढ़ गया। अर्चना चतुर्वेदी के उपन्यास पर पोस्ट लिख चुका हूं… बाक़ी पुस्तकों पर लिखता रहूंगा। 

लेखक वरिष्ठ साहित्यकार, कथा यूके के महासचिव और पुरवाई के संपादक हैं. लंदन में रहते हैं.

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