हमारा मानना है कि भारत में मज़बूत विपक्ष की ज़रूरत जितनी आज है उतनी पहले कभी भी नहीं थी। विपक्ष में परिपक्वता की भारी कमी दिखाई देती है। जितना विपक्ष नरेन्द्र मोदी की आलोचना करना चाहता है, उतना ही देश की बुराई करता दिखाई देता है। कांग्रेस पार्टी की तीन राज्यों के चुनावों में बुरी तरह से पराजय हुई है, और उसका सबसे बड़ा नेता ब्रिटेन के विश्वविद्यालय में भारत की बुराई और चीन की तारीफ़ करता दिखाई देता है। चुनाव जैसी लोकतांत्रिक प्रक्रिया के बाद उस नेता को भारत में आत्ममंथन की ज़रूरत थी कि कांग्रेस के साथ जो हो रहा है वो क्यों हो रहा है।
भारत से जुड़ी दो बड़ी ख़बरें लगभग एकसाथ सुनने को मिलीं। पहली ख़बर कि नागालैण्ड, त्रिपुरा और मेघालय में हुए चुनावों में भारतीय जनता पार्टी की स्थिति सुदृढ़ हुई और तीनों ही राज्यों में भारतीय जनता पार्टी सरकार का हिस्सा होगी। वहीं कांग्रेस पार्टी का इन चुनावों में लगभग सफ़ाया हो गया।
चुनाव किसी भी लोकतंत्र के लिए महापर्व की तरह होता है। चुनाव ही लोकतंत्र की नींव है। भारत में चुनाव हो रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ़ केंब्रिज विश्वविद्यालय, यू.के. में भारतीय विपक्ष के भारत जोड़ो नेता राहुल गांधी सोग मना रहे हैं कि भारत में लोकतंत्र को ख़तरा है।
जब राहुल गांधी केंब्रिज पहुंचे तो पहला समाचार मिला था कि राहुल गांधी ने अपनी दाढ़ी ट्रिम करवा ली है। यह ख़बर हर ओर वायरल हो रही थी। राहुल गांधी ट्रिम की हुई दाढ़ी और टाई-सूट के साथ सोशल मीडिया में छा रहे थे।
मगर यह कोई विशेष मुद्दा राजनीतिक तौर पर नहीं था… बस राहुल गांधी की चुटकी ली जा रही थी। मगर भारत में बखेड़ा खड़ा कर दिया राहुल गांधी के उस एक घंटे के भाषण ने जो उन्होंने जज बिज़नेस स्कूल (केंब्रिज) में दिया। राहुल गांधी इस बिज़नेस स्कूल के विज़िटिंग फ़ेलो हैं। वे ‘लर्निंग टू लिसेन इन 21 सेंचुरी’ विषय पर विश्वविद्यालय के छात्रों को व्यॉख्यान दे रहे थे।
जब भी कभी कोई विपक्ष का नेता भारत सरकार की तारीफ़ में दो शब्द कहता है, तो जागरूक नागरिक को पता रहता है कि अभी कोई नया तीर छूटने वाला है जो प्रधानमंत्री और सरकार को भीतर तक बींध जाने वाला है। अपना पहला वाक्य पूरा करते ही वह कहता है ‘मगर’ और फिर एक मगरमच्छ सरकार को अपने जबड़े में दबाना शुरू कर देता है।
यहां भी कुछ ऐसा ही हुआ। वायनाड से कांग्रेसी सांसद और विपक्ष के सबसे बड़े नेता राहुल गांधी ने कहा कि महिलाओं को गैस सिलेंडर देना और आम लोगों के बैंक अकाउंट खुलवाना अच्छे कदम हैं. और इनमें खोट नहीं निकाला जा सकता मगर प्रधानमंत्री देश के बुनियादी ढांचे को बरबाद करने पर तुले हैं।
राहुल गांधी से जब पूछा गया कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सही काम किया है, इसके जवाब में राहुल गांधी ने कहा, शायद महिलाओं को गैस सिलिंडर देना और लोगों के बैंक अकाउंट खुलवाना अच्छा कदम है। लेकिन मेरे विचार में मोदी भारत की बनावट को बर्बाद कर रहे हैं। वो भारत पर एक ऐसा विचार थोप रहे हैं जिसे भारत स्वीकार नहीं कर सकता। भारत राज्यों का संघ है। अगर कोई एक विचार थोपा जाएगा तो प्रतिक्रिया होगी। भारत में धार्मिक विविधता है। भारत में सिख, मुस्लिम, ईसाई सभी हैं लेकिन मोदी इन्हें दूसरे दर्जे का नागरिक समझते हैं। मैं इससे सहमत नहीं हूं। जब बुनियादी स्तर पर असहमति हो तो फर्क नहीं पड़ता कि आप किन दो–तीन नीतियों से सहमत हैं।
यह तो केवल शुरूआत थी। उन्होंने कहा, “लोकतंत्र के लिए जरूरी ढांचा संसद, स्वतंत्र प्रेस, न्यायपालिका होते हैं। आज यह सब विवश होते जा रहे हैं। इसलिए हम भारतीय लोकतंत्र के मूल ढांचे पर हमले का सामना कर रहे हैं। भारतीय संविधान में भारत को राज्यों का संघ बताया गया है। उस संघ को बातचीत की ज़रूरत है। यह वोह बातचीत है जो खतरे में है। आप देख सकते हैं तस्वीर जो संसद भवन के सामने की है विपक्ष के नेता कुछ मुद्दों पर बात कर रहे थे और उन्हें जेल में डाल दिया गया। ऐसा तीनया चारबार हुआ है… जो हिंसक था।”
राहुल गांधी ने भारत की मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला। उन्होंने अपने संबोधन में आगे कहा, ‘भारत में मीडिया और न्यायपालिका नियंत्रण में हैं। मेरे फ़ोन में पेगासस से जासूसी होती है। खुफिया अधिकारियों ने मुझे बताया कि आपका फोन रिकार्ड हो रहा है। मेरे ऊपर आपराधिक मामले दर्ज कराए गए हैं।’
‘बड़े पैमाने पर राजनीतिक नेताओं के फोन में पेगासस है। मेरे फोन में भी पेगासस था। मुझे इंटेलिजेंस अफ़सरों ने बुलाकर कहा था कि आप फोन पर जो कुछ भी कहें, बेहद सतर्क होकर कहें, क्योंकि हम इसे रेकॉर्ड कर रहे हैं। यह एक ऐसा दबाव है, जो हम महसूस करते हैं।’
राहुल गांधी ने अपनी भारत जोड़ो यात्रा को लेकर लंबी चर्चा की। कश्मीर के बारे में बताते हुए राहुल ने कहा, कश्मीर में कई सालों से हिंसा हो रही है। सुरक्षा अधिकारियों ने सुरक्षा को लेकर आगाह किया लेकिन जब हम आगे बढ़े तो हजारों लोग तिरंगा लेकर आगे आए। एक व्यक्ति करीब आया उसने कुछ लड़कों की तरफ दिखा कर बताया कि वो उग्रवादी हैं। उन लड़कों ने मुझे घूर कर देखा लेकिन कुछ कर नहीं पाए। राहुल गांधी ने कहा कि यह लोगों की बात सुनने और अहिंसा की ताकत है।
थोड़ा अटपटा लगना स्वाभाविक है। जिस व्यक्ति के पिता और नानी हिंसा का शिकार हुए हों। पिता तो आतंकवादी आत्मघाती हमले के शिकार हुए थे। वह भला ऐसी हल्की बात कैसे कह सकता है। अब शायद आतंकवादियों का एक ही इलाज है… बस उन्हें घूर कर देखा जाए… वे कुछ नहीं कर पाएंगे। क्योंकि यह अहिंसा की शक्ति है। ये आतंकवादी शायद गुलज़ार की फ़िल्म ‘माचिस’ से निकल कर कश्मीर पहुंच गये थे।
राहुल गांधी ने कश्मीर को ‘तथाकथित हिंसक जगह‘ का नाम दिया है। साथ ही उन्होंने पुलवामा हमले में मारे गए शहीदों का भी एक तरह से अपमान किया है। उन्होंने कहा कश्मीर में काफ़ी उग्रवाद है और वह एक ‘तथाकथित हिंसक जगह’ है। इतना ही नहीं उन्होंने पुलवामा हमले को महज़ एक कार में हुआ धमाका करार दिया है। राहुल ने कैम्ब्रिज में अपने संबोधन में अपनी एक तस्वीर दिखाते हुए कहा कि, “इसमें मैं उस जगह पर फूल चढ़ा रहा हूं जहां पर 40 जवान एक कार धमाके में मारे गए थे।”
राहुल गांधी ने अपने भाषण में चीन की तारीफ़ की। उन्होंने कहा कि चीन का इंफ्रा-स्ट्रक्चर देखिए, वहां रेलवे हो, एयरपोर्ट हो, सब कुछ प्रकृति से जुड़े हैं। चीन प्रकृति से मजबूती से जुड़ा हुआ है। वहीं, अगर हम अमेरिका की बात करें तो वह खुद को प्रकृति से भी बड़ा मानता है। यह बताने के लिए काफी है कि चीन को शांति पसंद है। वहां सरकार एक कॉर्पोरेशन की तरह काम करती है। ऐसे में हर जानकारी पर सरकार की पूरी पकड़ रहती है. राहुल ने यह भी कहा कि भारत और अमेरिका में ऐसी स्थिति नहीं है। उन्होंने कहा, चीन शांति का पक्षकार है।
राहुल गांधी ने यह भी कहा कि 9/11 के हमले के बाद अमेरिका ने बाहरी लोगों को नौकरी देना कम कर रहा था, तब चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ने सद्भाव को बढ़ाने का काम किया।
यह जान कर थोड़ी हैरानी होना अनिवार्य है। भारतीय संसद में राहुल गांधी भारत सरकार और भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को चुनौती देते हैं कि चीन की आलोचना कर के दिखाइये। मगर ब्रिटेन में आकर स्वयं चीन की शान में क़सीदे पढ़ते हैं।
राहुल गांधी के व्याख्यान की यदि कुछ बातें क्रमबद्ध की जाएं तो उन्होंने कहा – 1) मेरी बातें रिकॉर्ड की जाती थीं; 2) भारत में मीडिया और लोकतांत्रिक ढांचे पर हमला; 3) विपक्षी नेता मुद्दों पर बात कर रहे थे, जेल में डाल दिया; 4) आतंकवादी मुझसे मिले थे, लेकिन उन्होंने मुझे कुछ नहीं किया; 5) पुलवामा में उग्रवादियों द्वारा कार-बम के ज़रिये 40 सैनिकों की हत्या; 6) कश्मीर तथाकथित हिंसक जगह है; 7) चीन शांति का पक्षकार है।
ज़ाहिर है कि राहुल गांधी के इस व्याख्यान पर सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी की प्रतिक्रिया भी हुई ही होगी। अनुराग ठाकुर ने पेगासस मुद्दे पर कहा- ‘यह कहीं और नहीं बल्कि राहुल के दिल-दिमाग में हुआ है। उनकी क्या मजबूरी थी जो अपना फ़ोन जमा नहीं करवाया। ऐसा क्या था उनके फ़ोन में। एक के बाद एक हार को वे पचा नहीं पा रहे हैं, जिस तरह से वे विदेश धरती पर, कभी विदेशी दोस्तों के जरिए भारत को बदनाम करते हैं, इससे ये सवाल सामने आता है कि कांग्रेस का एजेंडा क्या है?’
हमारा मानना है कि भारत में मज़बूत विपक्ष की ज़रूरत जितनी आज है उतनी पहले कभी भी नहीं थी। विपक्ष में परिपक्वता की भारी कमी दिखाई देती है। जितना विपक्ष नरेन्द्र मोदी की आलोचना करना चाहता है, उतना ही देश की बुराई करता दिखाई देता है। कांग्रेस पार्टी की तीन राज्यों के चुनावों में बुरी तरह से पराजय हुई है, और उसका सबसे बड़ा नेता ब्रिटेन के विश्वविद्यालय में भारत की बुराई और चीन की तारीफ़ करता दिखाई देता है। चुनाव जैसी लोकतांत्रिक प्रक्रिया के बाद उस नेता को भारत में आत्ममंथन की ज़रूरत थी कि कांग्रेस के साथ जो हो रहा है वो क्यों हो रहा है।
It is not only unfortunate that Rahul Gandhi spoke against our government n praised China on a foreign land,it is also very absurd.
When he should have restrained himself from mouthing this kind of criticism n praise.
Your Editorial of today rightly objects to his objectionable remarks with great force.
Congratulations n regards.
Deepak Sharma
नमस्कार
सशक्त विपक्ष बनने के बजाय सिर्फ विरोधी विचार रखने से किसी भी राजनैतिक दल को लाभ नहीं हो सकता । अपने राष्ट्र के यथार्थ से अनभिज्ञ हो जब कोई व्यक्ति वैश्विक स्तर का चिंतक ख़ुद को समझने लगे वो राहुल गांधी जैसा ही बनेगा ।
विपक्ष को परिभाषित करने वाली सम्पादकीय के लिए साधुवाद
Dr Prabha mishra
सत्ता पाने के अत्याग्रह में विदेश में देश को नीचा दिखाना और विरोधी देश का गुणगान करना देश के हित में नहीं है। काश इस तथ्य को पहचाने तो बेहतर! सही आकलन! बधाई जी।
जिस तरह की बातें राहुल गांधी करते हैं वह भी विदेशी धरा पर, इससे आपके निष्कर्ष सही हैं कि भारत को एक सार्थक विपक्ष की जरूरत है पर इस तरह की बातों से भारत को कम कांग्रेस को अधिक नुक्सान हो रहा है। इस प्रकार की हल्की सोच से राहुल गांधी कभी देश के प्रधानमंत्री बन पायेंगे, ऐसा नहीं लगता। प्रधानमंत्री बनाना या न बनाना जनता का काम है परंतु स्वयं की एक राष्ट्रीय छवि बनाना राहुल गांधी के हाथ में है। उन्होंने भारत यात्रा करके जो थोड़ी बहुत अपनी सुधारी हो गई, इस भाषण ने उन्होंने स्वयं ही पानी फेर दिया। भारत का बेहतर नेता बनने के लिए आज एक नये विज़न की जरूरत है। वह वे कहां से लायेंगे। कांग्रेस पार्टी खुद अपना सिर धुन रही होगी।
राहुल गांधी अभी तक मंदबुद्धि नेता हैं उनका भाषण लिखने वाले सलाहकार कांग्रेस के साथ ही विपक्ष की भी नैया डुबो रहे हैं।विदेश में दुश्मन देश की तारीफ करने पर कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने भी राहुल गांधी के भाषण का विरोध किया है ।यह देश की सबसे पुरानी पार्टी का दुर्भाग्य है।
छवि बनाने के लिए तो मोदी जी का शिष्य बनना पड़ेगा। परन्तु यह पप्पू तैयार अभी पाँच साल का गुड्डा ही है। आपने सच कहा, राहुल गाँधी का भाषण लिखने वाला इतना तो समझदार होना ही चाहिए कि वह राहुल को ढंग का भाषण लिखकर दे।
मोदी जी के नपे तुले भाषण का ये छोटे बच्चे क्या मुकाबला करेंगे। ऐसे भाषण तो कोई छुटभैये नेता भी नहीं देता जैसा राहुल देते हैं।
बहस का मुद्दा यही है कि भारत में विपक्ष कहीं नजर ही नहीं आ रहा और राष्ट्र को सही दिशा और दिशा देने के लिए सशक्त विपक्ष की बहुत आवश्यकता होती है। फिर भी देश आश्वस्त है कि एक अकेले नरेंद्र मोदी के विवेकपूर्ण निर्णय इस कमी को पूरा करते हैं।
आज के आपके संपादकीय ‘क्या दाढ़ी ट्रिम कराने से इंसान बदल जाता है?’ ने बिलकुल मेरे मन की बात कह दी। जो चीन हमें सदा सदा धोखा देता रहा, हमारे देश की जमीन पर जिसने कब्ज़ा कर रखा है, उसके प्रति इतनी सद्भावना, आश्चर्यचकित करती है। जहाँ तक कश्मीर की समस्या है वह भी इन्हीं की पार्टी की देन है। यह और इनके लोग तिरंगा फहरा पाये, इसका कारण जानकर भी अनजान बनना कोई इनसे सीखे। मुझे समझ में नहीं आता कि इनकी ऐसी सोच, देश के प्रधानमंत्री के प्रति नफरत का सूचक है या देश के प्रति…समझ में नहीं आता विदेशी धरती पर लोकतंत्र खतरे में है,कहकर यह क्या सिद्ध करना चाहते हैं।
मुझे आज अपनी ही कविता कि पंक्तियाँ याद आ गईं…
परभाषा के माध्यम से
पढ़े लोगों को
निज देश होगा क्यों प्रेम
सिसक रही माँ भारतीय
देख निज पुत्रों के कर्म
विपक्ष ग़ैर जिम्मेदार विपक्ष, सही कहा, मोदी की बुराई में देश की अस्मिता दाँव पर लगाने वाले को चीन आकार चुनाव जिता जायेगा या कश्मीर को अलग करके ये वहीं के प्रधान मंत्री बन जायेंगे, जैसे पहले की परंपरा थी।
लानत है कैंब्रिज की बिजनेस स्कूल पर, और कोई मिला नहीं था, ऐसे ज्ञानी के ज्ञान की मोती चुग रहे थे। खैर श्वान भौंकते हैं खड़े…
ईश्वर करे भारतीय जनता पार्टी यूँ ही विजयी होती रहे। आभार एक और मनोरंजन, तथ्यात्मक संपादकीय के लिए।
विदेशी धरती पर ऐसा अनर्गल प्रलाप !!!
सर्वथा असहनीय । आपने अपने सारगर्भित सम्पादकीय द्वारा वस्तुस्थिति का सटीक आकलन कर दिया है। ऐसे प्रलापी व्यक्ति द्वारा प्रधानमंत्री बन जाने का ख़्वाब देखना कितना हास्यास्पद है।
It is not only unfortunate that Rahul Gandhi spoke against our government n praised China on a foreign land,it is also very absurd.
When he should have restrained himself from mouthing this kind of criticism n praise.
Your Editorial of today rightly objects to his objectionable remarks with great force.
Congratulations n regards.
Deepak Sharma
Thanks so much Deepak ji for your Supportive comment.
अंग्रेजी?
भारत में विपक्ष की वैचारिक दरिद्रता और संवेदनहीनता को उजागर करता संपादकीय,
राहुल गांधी की दशा उस सियार जैसी है जो शहर की और भागता है।
धन्यवाद सरोजिनी जी। सार्थक टिप्पणी,!
नमस्कार
सशक्त विपक्ष बनने के बजाय सिर्फ विरोधी विचार रखने से किसी भी राजनैतिक दल को लाभ नहीं हो सकता । अपने राष्ट्र के यथार्थ से अनभिज्ञ हो जब कोई व्यक्ति वैश्विक स्तर का चिंतक ख़ुद को समझने लगे वो राहुल गांधी जैसा ही बनेगा ।
विपक्ष को परिभाषित करने वाली सम्पादकीय के लिए साधुवाद
Dr Prabha mishra
गंभीर और सारगर्भित टिप्पणी के लिए धन्यवाद प्रभा जी।
सत्ता पाने के अत्याग्रह में विदेश में देश को नीचा दिखाना और विरोधी देश का गुणगान करना देश के हित में नहीं है। काश इस तथ्य को पहचाने तो बेहतर! सही आकलन! बधाई जी।
जमुना जी सार्थक टिप्पणी के लिए धन्यवाद।
जिस तरह की बातें राहुल गांधी करते हैं वह भी विदेशी धरा पर, इससे आपके निष्कर्ष सही हैं कि भारत को एक सार्थक विपक्ष की जरूरत है पर इस तरह की बातों से भारत को कम कांग्रेस को अधिक नुक्सान हो रहा है। इस प्रकार की हल्की सोच से राहुल गांधी कभी देश के प्रधानमंत्री बन पायेंगे, ऐसा नहीं लगता। प्रधानमंत्री बनाना या न बनाना जनता का काम है परंतु स्वयं की एक राष्ट्रीय छवि बनाना राहुल गांधी के हाथ में है। उन्होंने भारत यात्रा करके जो थोड़ी बहुत अपनी सुधारी हो गई, इस भाषण ने उन्होंने स्वयं ही पानी फेर दिया। भारत का बेहतर नेता बनने के लिए आज एक नये विज़न की जरूरत है। वह वे कहां से लायेंगे। कांग्रेस पार्टी खुद अपना सिर धुन रही होगी।
इस विस्तृत और सारगर्भित टिप्पणी के लिए हार्दिक आभार सन्तोष जी।
राहुल गांधी अभी तक मंदबुद्धि नेता हैं उनका भाषण लिखने वाले सलाहकार कांग्रेस के साथ ही विपक्ष की भी नैया डुबो रहे हैं।विदेश में दुश्मन देश की तारीफ करने पर कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने भी राहुल गांधी के भाषण का विरोध किया है ।यह देश की सबसे पुरानी पार्टी का दुर्भाग्य है।
विदेशों में बसे भारतीय मूल के प्रवासियों को ऐसी बातें सुननी और सहनी पड़ती हैं।
कॉंग्रेस का अहंकार और राहुल गांधी की नादानी और नासमझी ही कॉंग्रेस की दुर्गति का कारण है। मोदीजी से नफ़रत करते करते देश से ही नफ़रत कर बैठी है कॉंग्रेस।
रिंकु जी सार्थक टिप्पणी के लिए हार्दिक आभार।
छवि बनाने के लिए तो मोदी जी का शिष्य बनना पड़ेगा। परन्तु यह पप्पू तैयार अभी पाँच साल का गुड्डा ही है। आपने सच कहा, राहुल गाँधी का भाषण लिखने वाला इतना तो समझदार होना ही चाहिए कि वह राहुल को ढंग का भाषण लिखकर दे।
मोदी जी के नपे तुले भाषण का ये छोटे बच्चे क्या मुकाबला करेंगे। ऐसे भाषण तो कोई छुटभैये नेता भी नहीं देता जैसा राहुल देते हैं।
बहस का मुद्दा यही है कि भारत में विपक्ष कहीं नजर ही नहीं आ रहा और राष्ट्र को सही दिशा और दिशा देने के लिए सशक्त विपक्ष की बहुत आवश्यकता होती है। फिर भी देश आश्वस्त है कि एक अकेले नरेंद्र मोदी के विवेकपूर्ण निर्णय इस कमी को पूरा करते हैं।
आज के आपके संपादकीय ‘क्या दाढ़ी ट्रिम कराने से इंसान बदल जाता है?’ ने बिलकुल मेरे मन की बात कह दी। जो चीन हमें सदा सदा धोखा देता रहा, हमारे देश की जमीन पर जिसने कब्ज़ा कर रखा है, उसके प्रति इतनी सद्भावना, आश्चर्यचकित करती है। जहाँ तक कश्मीर की समस्या है वह भी इन्हीं की पार्टी की देन है। यह और इनके लोग तिरंगा फहरा पाये, इसका कारण जानकर भी अनजान बनना कोई इनसे सीखे। मुझे समझ में नहीं आता कि इनकी ऐसी सोच, देश के प्रधानमंत्री के प्रति नफरत का सूचक है या देश के प्रति…समझ में नहीं आता विदेशी धरती पर लोकतंत्र खतरे में है,कहकर यह क्या सिद्ध करना चाहते हैं।
मुझे आज अपनी ही कविता कि पंक्तियाँ याद आ गईं…
परभाषा के माध्यम से
पढ़े लोगों को
निज देश होगा क्यों प्रेम
सिसक रही माँ भारतीय
देख निज पुत्रों के कर्म
सुधा जी, आपने संपादकीय के मर्म को पकड़ा है। इतनी सारगर्भित टिप्पणी के लिए हार्दिक आभार।
बहुत सुन्दर
मैं हमेशा ही आपकी संपादकीय पढ़ती हूँ और आपके अनुभवी एवं सारगर्भित लेख के माध्यम से विश्व संदर्भ से परीचित होती हूँ।बहुत-बहुत आभार!
सत्य वचन
विपक्ष ग़ैर जिम्मेदार विपक्ष, सही कहा, मोदी की बुराई में देश की अस्मिता दाँव पर लगाने वाले को चीन आकार चुनाव जिता जायेगा या कश्मीर को अलग करके ये वहीं के प्रधान मंत्री बन जायेंगे, जैसे पहले की परंपरा थी।
लानत है कैंब्रिज की बिजनेस स्कूल पर, और कोई मिला नहीं था, ऐसे ज्ञानी के ज्ञान की मोती चुग रहे थे। खैर श्वान भौंकते हैं खड़े…
ईश्वर करे भारतीय जनता पार्टी यूँ ही विजयी होती रहे। आभार एक और मनोरंजन, तथ्यात्मक संपादकीय के लिए।
शैली जी, मज़ेदार टिप्पणी के लिए हार्दिक आभार।
विपक्ष की ऐसी सोच उसकी कमजोरी दर्शाती है।
ऐसी सोच रखने वाले देश नही चला सकते।
Look तो change किया
अब थोड़ा अपने विचारों को भी सही दिशा दे
भला होगा कम से कम कांग्रेस पार्टी का
धन्यवाद
डॉक्टर सपना, आपने सही कहा। धन्यवाद।
सुना है शादी के बाद इंसान बदल जाता है।
Hahaha
विदेशी धरती पर ऐसा अनर्गल प्रलाप !!!
सर्वथा असहनीय । आपने अपने सारगर्भित सम्पादकीय द्वारा वस्तुस्थिति का सटीक आकलन कर दिया है। ऐसे प्रलापी व्यक्ति द्वारा प्रधानमंत्री बन जाने का ख़्वाब देखना कितना हास्यास्पद है।