ध्यान देने लायक बात यह है कि वर्तमान सरकार ने ‘कैशलेस सिस्टम’ को इस कदर बढ़ावा दिया है कि आम आदमी के पास तो ₹2000 का नोट होने की संभावनाएं कम हैं। ए.टी.एम. से केवल ₹500 या फिर ₹200 के बड़े नोट ही मिलते हैं। और दुकानदार छुट्टे के तौर पर ₹2000 का नोट तो देने से रहा। इसलिये बैंकों के बाहर कतारें लगने की संभावनाएं बहुत कम हैं।

अब की बार भारत के प्रधानमंत्री ने हिरोशिमा से ₹2000 का बम फोड़ा है। उन्हें टीवी पर आकर बहनों और भाइयो कहने की ज़रूरत ही नहीं पड़ी। रिज़र्व बैंक के गवर्नर ने ही कह दिया, “मैं धारक को दो हज़ार रुपये देने का वचन वापिस लेता हूं।… यह वचन केवल 30 सितम्बर 2023 तक चलेगा।”
जब 2016 में नोटबंदी की गई थी तो आम आदमी भौंचक्का रह गया था। बैंकों के बाहर कतारें लगने लगी थीं… लोग बेहोश हो रहे थे और मर भी रहे थे। लगा जैसे नोटबंदी किसी महामारी से कम नहीं थी। उस समय काम इतने ख़ुफ़िया तरीके से किया गया था कि बैंक कर्मचारियों तक को उस धमाके की ख़बर नहीं थी। न तो कोई तैयार था और न ही किसी को उस विषय में कोई जानकारी थी। जैसे-जैसे दिन आगे बढ़ रहे थे, सभी समस्या से जूझ रहे थे।
मगर अब की बार पूरी तैयारी है। रिज़र्व बैंक ने दिश-निर्देश भी जारी किये हैं और जनता को समय भी दिया है कि वे बिना किसी समस्या के अपने ₹2000 के नोट या तो छोटे नोटों में बदल लें या अपने बैंक अकाउंट में जमा करवा ले।
यहां ध्यान देने लायक बात यह है कि वर्तमान सरकार ने ‘कैशलेस सिस्टम’ को इस कदर बढ़ावा दिया है कि आम आदमी के पास तो ₹2000 का नोट होने की संभावनाएं कम हैं। ए.टी.एम. से केवल ₹500 या फिर ₹200 के बड़े नोट ही मिलते हैं। और दुकानदार छुट्टे के तौर पर ₹2000 का नोट तो देने से रहा। इसलिये बैंकों के बाहर कतारें लगने की संभावनाएं बहुत कम हैं।
रिज़र्व बैंक ने आम जनता के लिये जो जानकारी साझा की है वो कुछ इस प्रकार है :-
  1. रिज़र्व बैंक ने कहा क्या है?
रिजर्व बैंक 2000 का नोट चलन से वापस लेगा, लेकिन मौजूदा नोट अमान्य नहीं होंगे। रिज़र्व बैंक ने कहा है कि इसका उद्देश्य पूरा होने के बाद 2018-19 से ही इसकी छपाई बंद कर दी गई थी।
  1. फैसला कब से लागू हो रहा है?
रिज़र्व बैंक ने अपने परिपत्र में लिखा है कि वो ₹ 2000 के नोट को सर्कुलेशन से बाहर कर रहा है। इसकी कोई तारीख या समय नहीं दिया है। यानी ये फैसला तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है।
  1. नोट बदलने के लिए क्या-क्या करना होगा?
बैंक में जाकर इन नोटों को बदला जा सकता है। इसके लिए 30 सितंबर 2023 तक का समय है। नोट बदलने में कोई परेशानी न हो इसलिए बैंकों को भी इसके बारे में जानकारी दी गई है।
  1. 30 सितंबर तक नोट जमा नहीं किए तो क्या होगा?
लेन-देन के लिए ₹2000 के नोटों का इस्तेमाल जारी रख सकते हैं और उन्हें पेमेंट के रूप में स्वीकार भी कर सकते हैं। हालांकि, रिज़र्व बैंक ने 30 सितंबर 2023 को या उससे पहले इन बैंक नोटों को जमा करने या बदलने की सलाह दी है।
  1. क्या किसी भी बैंक में बिना अकाउंट के नोट बदले जा सकते हैं?
हां। जिन का बैंक खाता नहीं है, वे भी किसी भी बैंक शाखा में एक बार में ₹20,000/- की सीमा तक ₹2000 के नोट बदलवा यानी दूसरे मद के नोटों में बदल सकते हैं। वहीं अगर आपका अकाउंट है तो आप कितने भी ₹2000 के नोट जमा करवा सकते हैं।
  1. बाजार में 2000 के नोट से खरीदारी में क्या असर दिख सकता है?
सरकार ने इसे अभी चलन में भले ही बनाकर रखा है, लेकिन व्यापारी इससे लेनदेन करने में कतरा सकते हैं। ऐसे में बेहतर होगा कि इन्हें बैंक से ही बदल लें।
  1. यह फैसला किसने किया है और क्यों किया है?
‘क्लीन नोट पॉलिसी’ के तहत रिजर्व बैंक ने यह फैसला किया है। ‘क्लीन नोट पॉलिसी में लोगों से गुजारिश कि गई है कि वह करेंसी नोट्स पर कुछ भी न लिखें, क्योंकि ऐसा करने से उनका रंग-रूप बिगड़ जाता है और लाइफ भी कम हो जाती है। लोगों को लेन-देन में अच्छी क्वालिटी के बैंक नोट (पेपर करेंसी) मिलें इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए क्लीन नोट पॉलिसी लागू की गई है।
  1. इससे आम लोगों पर क्या असर होगा?
जिसके भी पास दो हज़ार का नोट है उसे बैंक में जाकर बदलना होगा। 2016 की नोटबंदी में जब ₹500 और ₹1000 के नोट बंद किए गए थे तो उसे बदलने के लिए लंबी लाइनें लग गई थी। इस कारण लोगों को काफी परेशानी उठानी पड़ी थी। इस बार वैसी स्थिति तो नहीं बनेगी, लेकिन थोड़ी बहुत परेशानी उठानी पड़ सकती है।
  1. क्या यह फ़ैसला सरकार की ओर से भूल सुधार है?
2016 में बंद किए गए ₹500 और ₹1000 के नोट की कमी को पूरा करने के लिए ₹2000 के नोट छापे गए थे। जब पर्याप्त मात्रा में दूसरे मद के नोट उपलब्ध हो गए तो 2018-19 में ₹2000 के नोटों की छपाई बंद कर दी गई। यानी ये सीधे तौर पर नहीं कहा जा सकता है ₹2000 के नोटों को सर्कुलेशन से बाहर करना सरकार की भूल सुधार है।
  1. किन लोगों के लिए लागू हो रहा है?
यह फैसला सभी के लिए लागू है। हर व्यक्ति को जिसके पास ₹2000 के नोट हैं, उसे उन्हें 30 सितंबर तक बैंक की किसी भी ब्रांच में डिपॉज़िट करने या दूसरे नोटों से एक्सचेंज कराने होंगे।
संयोग भी अजीब होते हैं। एक तरफ़ तो रिज़र्व बैंक ने ₹2000 को नोट पर नए दिशानिर्देश जारी किये, दूसरी तरफ़ जयपुर में योजना भवन में दो करोड़ से अधिक कैश (सभी ₹2000 के नोट) एवं एक किलो से अधिक सोना बरामद हुआ। योजना भवन में मिले कैश मामले का सचिवालय में राजस्थान के बड़े प्रशासनिक अधिकारियों ने देर रात सनसनीखेज खुलासा करते हुए सब को चौंका दिया।
योजना भवन के बेसमेंट में कई दिनों से बंद पड़ी एक अलमारी से 2 करोड़ 31 लाख 49 हजार 500 रुपए बरामद हुए। इसके साथ ही एक किलो सोने के बिस्किट मिलने से हड़कंप मच गया। सरकारी दफ्तर में इतनी बड़ी रकम और सोना मिलने के बाद प्रशासन और पुलिस तुरंत एक्शन में आ गई। मामले का खुलासा होने के बाद मुख्य सचिव उषा शर्मा, डीजीपी उमेश मिश्रा, एडीजी क्राइम दिनेश एमएन और पुलिस कमिश्रनर आनंद श्रीवास्तव ने शॉर्ट नोटिस पर सचिवालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई।
मुझे 1993 में एक फ़िल्म ‘अभय’ में नाना पाटेकर के साथ अभिनय करने का अवसर मिला था। उसमें एक संवाद था, “अगर लोग भूतों से डरना छोड़ देंगे, तो भूतों का अस्तित्व ख़तरे में पड़ जाएगा।” ठीक उसी तरह भारत के विपक्षी दल समझते हैं कि यदि वे चिल्लाना छोड़ देंगे, तो विपक्ष के रूप में उनका व्यक्तित्व भी ख़तरे में पड़ सकता है। इसलिये उन्होंने इस विषय पर धड़ाधड़ टिप्पणियां करनी शुरू कर दीं।
विपक्षी भारतीय जनता पार्टी राजस्थान में गहलोत सरकार को आड़े हाथ ले रही है तो केन्द्र में विपक्षी पार्टियां मोदी सरकार की खिंचाई करने में व्यस्त हैं। टीवी चैनलों पर व्यंग्य कसे जा रहे हैं। कांग्रेस पार्टी के महासचिव जयराम रमेश ने ट्वीट किया, ‘‘स्वयंभू विश्वगुरु की चिरपरिचित शैली। पहले करो, फिर सोचो। आठ नवंबर, 2016 को तुगलकी फरमान (नोटबंदी) के बाद बड़े धूमधाम से 2000 रुपये का नोट जारी किया गया था। अब इसे वापस लिया जा रहा है।”
कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने कहा, ‘‘आठ नवंबर, 2016 का जिन्न फिर से देश को परेशान करने के लिए लौट आया है। बड़े पैमाने पर प्रचारित कदम नोटबंदी देश के लिए भयावह त्रासदी बना हुआ है। प्रधानमंत्री ने 2000 रुपये के नोट के फायदों के बारे में देश के समक्ष उपदेश दिया था। आज जब इसकी छपाई बंद हो गई है तो उन सब वादों का क्या हुआ?” उन्होंने कहा, ‘‘सरकार को ऐसे कदम के पीछे के मकसद के बारे में स्पष्ट रूप से बताना चाहिए। सरकार जन-विरोधी और गरीब-विरोधी एजेंडा जारी रखे हुए है। आशा करते हैं कि मीडिया इस कदम के बारे में सरकार से सवाल करेगा।”
अरविंद केजरीवाल ने अपना राग अलापना जारी रखा, “पहले बोले 2000 का नोट लाने से भ्रष्टाचार बंद होगा। अब बोल रहे हैं 2000 का नोट बंद करने से भ्रष्टाचार ख़त्म होगा इसीलिए हम कहते हैं, प्रधानमंत्री पढ़ा लिखा होना चाहिए। एक अनपढ़ पीएम को कोई कुछ भी बोल जाता है। उसे समझ आता नहीं है। भुगतना जनता को पड़ता है।”
हम दो बातें अवश्य अपने पाठकों के साथ साझा करना चाहेंगे। मैं जब पिछले साल नवंबर और इस साल फ़रवरी में भारत गया तो मैंने एक भात स्पष्ट रूप से देखी की दिल्ली और मुंबई में सड़क पर ठेला लगाने वाले जो पानी पूरी और नारियल पानी बेच रहे थे, या फिर जो जूते मरम्मत कर रहा मोची… सभी ‘गूगल पे’ या ‘पेटीएम’ से पैसे ले रहे थे।
इससे एक बात तो ज़ाहिर है कि पिछली बार की नोटबंदी के बाद भारत में कैशलेस भुगतान कहीं अधिक हो रहे हैं। आम आदमी भी नोट के करारेपन से दूरी बना चुका है। ₹2000 के नोट के चलन से बाहर होने पर आम आदमी के जीवन पर अधिक असर नहीं पड़ने वाला।
मगर एक बात दिमाग़ में आ रही है। कहीं ₹2000 को 30 सितंबर तक चलन से बाहर करने के पीछे 2024 के चुनाव तो नहीं। सब जानते हैं कि भारत में चुनावी खर्चे में नोटों का आदान-प्रदान होने की घटनाएं तो आमतौर पर वायरल होती ही रहती हैं। अभी हाल ही में कर्नाटक में संपन्न हुए चुनावों में भी नोट बांटने के वीडियो सोशल मीडिया पर दिखाई दे रहे हैं।
कहीं प्रधानमंत्री मोदी ने इस निर्णय से चुनावों की सरगर्मियों की हवा तो नहीं निकाल दी? चलन से दूर हुआ ₹2000 का नोट और चाल लंगड़ी हो गई राजनीतिक दलों की! बेचारे नोट का जीवन कुल मिला कर सात साल ही रहा… कहा तो जाता है ‘अनलकी-13’ मगर यहां तो ‘लकी-7’ भी ‘अनलकी’ हो गया! साहिर लुधियानवी ने बासठ साल पहले ही लिख दिया था, “अभी न जाओ छोड़ कर, अभी तो दिल भरा नहीं!”
लेखक वरिष्ठ साहित्यकार, कथा यूके के महासचिव और पुरवाई के संपादक हैं. लंदन में रहते हैं.

41 टिप्पणी

      • आपने बहुत अच्छा संपादकीय लिखा है। 2000 के नोटों को लेकर विभिन्न पक्षों पर विचार करते हुए आपने अपनी बात रखी।
        मुझे भी ऐसा लगता है 2000 के नोट जो बंद किए जा रहे हैं वह केवल 2024 के चुनावों के मद्देनजर किया गया है । कर्नाटक की जीत ने विपक्ष के हौसले बढ़ा दिए हैं और कहीं ना कहीं भाजपा सतर्क हो गई है कि 2024 के चुनावों में उसे मुँह की ना खानी पड़े।

  1. 2000 के नोट लेन का मूल मकसद ही तस्तकालीं नोटों की समस्या को हल करना था ताकि कम नॉट मरे ज्यादा लोगों की करेंसी बदली जाय । जब यह मकसद पूरा हो गया तभी तय था कि 2000 के नोट अब वापस लिए जाएंव। वापस लेने का मतलब जितने बैंकों मीट जाएं उन्हें डिस्ट्रॉय कर दें पर इस प्रक्रिया में देखा गया कि करीब 1लाख करोड़ के नोट दबा लिए गए हैं अतः उन्हें बाहर लाने के लिए यह आवश्यक हो गया। जब तक कालाधन पूर्णतः समाप्तनबी होता नकली नोट पूर्णतः बन्द नहीं होती इस प्रकार केK प्रक्रिया हर 5 7 वर्ष मे करनी पड़ेगी इसे क्लीन इकॉनमी बोलते हैं।

  2. आपके रोचक सम्पादकीय पढ़ कर भी दिल भरता नहीं…
    जैसा मेरा अनुभव है कि 2000 का नोट तो सालों से दिखना भी बन्द हो गया है, आम जनता के बीच। सम्भवतः ये नोट कुछ धनिकों के तिजोरियों में पहुँच गए, इसीलिए समान्य उपयोग से कुछ पहले ही समान्य चलन से बाहर हो गये।
    विपक्ष को कुछ कहना है, कहेगा। 2000 के नोट जब आये थे तब से यह बात स्पष्ट थी कि यह कुछ समय की आपात व्यवस्था है।
    अपने पास तो एक भी नोट है नहीं तो हमें चिन्ता भी नहीं। राजनीतिक पार्टियों का दंगल भी अब इतना अधिक और पुराना हो गया है कि अब दो मिनट भी बर्दाश्त नहीं होता। धन्यवाद तेजेन्द्र शर्मा जी।

    • मज़ेदार टिप्पणी शैली जी। आपकी ही तरह अधिकांश लोगों के पास 2000 के नोट नहीं हैं।

  3. एक बार फिर आपके सामयिक और प्रासंगिक सम्पादकीय को पढ़कर निष्पक्ष और सम्पूर्ण सूचना मिली। सरकार का इसके पीछे क्या उद्देश्य है वह तो दैवो न जानती कुतौ मनुष्य:!

  4. सुंदर संपादकीय
    मुझे लगता है इससे नुकसान तो कम ही होंगे। पिछली बार की नोट बंदी जैसे प्रभाव देखने को नहीं मिलेंगे। और हां दुनिया में तीन तरह के लोग हैं। उच्च वर्ग, मध्यम वर्ग और निम्न वर्ग। इसमें उच्च वर्ग अगर उसके पास काला धन है तो कुछ ले देकर अपना काला फिर से सफेद कर लेगा। निम्न वर्ग के पास तो मुश्किल से 2000 का नोट मिले। मध्यम वर्ग हर बार की तरहपरेशान होगा मगर इस बार थोड़ा कम। इसी तरह नोट बंदी पहले की जाती तो काला धन तो नहीं वापस निकलता जैसे उन्होंने की उससे भी कहां काला धन निकल पाया। बस परेशानी ही बढ़ी। लोगों की शादियों में अड़चने आईं। बाकी नोट बंद के मामले के बहाने से हर जरूरी पहलू पर लिखा आपने। सार्थक संपादकीय। साहित्यिक पिता ☺️

  5. बहुत सुंदर, सटीक ,मूल्यवर्धक जानकारी।क्लीन नोट पोलिसी के बारे में भी आम लोगो को कम जानकारी है। आपका सम्पादकीय बहुत सी बातों को मिश्रण होता है। शुभकामनाएं

    • धन्यवाद विदुषी जी। प्रयास यही रहता है कि विषय पर प्रचुर मात्रा में जानकारी उपलब्ध कराई जाए।

  6. यह आर्थिक स्वछता अभियान है RBI ने दो हजार के जितने नोट जारी किए थे उसके आधे से भी कम इस समय चलन में थे यानी बाजार से गायब तो उन्हें वापस बुलाया जा रहा है
    जमाखोर तो कहेंगे ही “अभी न जाओ छोड़कर ———–
    सामयिक संपादकी है
    Dr Prabha mishra

  7. प्रायः भारत में समय समय पर छापों में पुलिस को नोटों से भरे कक्ष मिलते हैं। इसका अर्थ है कि काले धन की समस्या स्वयं अपना समाधान नहीं कर पाती, सरकार को हस्तक्षेप करना पड़ता है पर शायद सरकार भी पूरे मन से कोई कदम नहीं उठाती, काले धन को सफेद करने के पर्याप्त अवसर भी दे देती है और अब तो चार महीने का समय दे दिया। पिछली बार नोट बंदी के समय भी काले धन वालों ने गरीबों का खूब इस्तेमाल किया,वह खुद लाइनों में नहीं लगे, अपने प्रोक्सी भेजते रहे अर्थात् हायर कर अपना काला धन यथासंभव सफेद करवा लिया, तभी तो यह संभव हुआ कि लगभग सभी धन बैंकों में वापस आ गया। उसी भांति इस बार भी इतिहास खुद को दोहरायेगा और 2000 के सभी नोट चार महीने में बैंकों में जमा हो जायेंगे।
    खैर, अच्छी बात यह है कि इंग्लैंड में रह कर भी भारत की स्थिति पर आपकी पैनी नज़र रहती है और आपकी लेखनी से कोई भी मुद्दा छूटता नहीं है।

  8. आपने अपने लेख की पहली लाइन से लेकर आखरी लाइन तक बम फोड़ दिया है। निस्संदेह 2024 के चुनाव को लेकर यह निर्णय किया गया है। जब 2000 का नोट आया था तभी चर्चाएं गर्म थी यह नोट जल्द बंद हो जाएगा आम जनता के पास तो 2000 का नोट नहीं मिलेगा किंतु नेताओं की तिजोरियां में जरूर मिलेगा। देखने वाली बात यह है कि किस-किस का पिटारा खुलता है। मिशन सक्सेसफुल??

  9. आदरणीय संपादक महोदय, मेरे विचार से तो यह ‘नोटबंदी'(?) बहुत विलंब से आई क्योंकि जिस दिन से ₹2000 का नोट सरकार ने बाजार में उतारा ,तभी से यह मालूम था कि यह बहुत शीघ्र बंद हो जाएगा ।यूं भी पिछले काफी समय से 2000 के नोट प्रयत्न करने पर भी नहीं मिलते थे क्योंकि यदि आप यात्रा में नकद पैसा लेकर चलना चाहें तो बड़े नोट लेकर चलना अपेक्षाकृत आसान हो जाता है। हमारे पास तो आपात स्थिति के लिए जो नकद कोश आरक्षित रहता है उसी में 2000 के नोट मिलने की संभावना है और उन्हें बदलने के लिए पर्याप्त समय है ।अतः संभावना इसी बात की है कि हमारे जैसी सामान्य जनता को इस समय इस सरकारी कदम से कोई असुविधा नहीं होगी।
    जहां तक चुनाव की बात है तो संयोग से कर्नाटक के चुनाव के समय मैं बंगलौर में ही थी और यहां के स्थानीय अखबारों में नित्य ही ‘नोट के बदले वोट ‘के मनोरंजक समाचार छपते रहे, हम पढ़कर आनंद लेते रहे! हलांकि इस स्थिति का व्यक्तिगत अनुभव हमें अभी तक नहीं हुआ है।

  10. 2000के नोट बंद हो जायेंगे, इस बात का अहसास तो था । लम्बे समय से प्रचलन में कम होते जा रहे थे । सरकार की क्लीन नोट पॉलिसी के सुपरिणाम संभवतः आम जनता को समझ न आयें लेकिन विपक्ष को उसके दुष्परिणाम गिनाने और प्रधानमंत्री की आलोचना के गीत गाने के बहाने अवश्य मिल गये हैं ।
    प्रधानमंत्री जैसे प्रभावशाली व्यक्तित्व और पद का भी अनपढ़ कहकर अपमान करना शर्मनाक है । आलोचना में गरिमा बनाए रखना शायद इन नेताओं को आता ही नहीं है ।
    2000की नोटवापसी के तमाम पहलुओं को इस सम्पादकीय में बहुत आसान शब्दों में स्पष्ट किया गया है । इस लेख को आम जनता तक पहुंचना चाहिए ताकि वह भी इन सभी बिन्दुओं को समझ कर ही कोई धारणा बनाये।
    ज्ञानवर्धक संपादकीय के लिए बहुत धन्यवाद और साधुवाद!

  11. आपने अपने संपादकीय ‘2000 का नोट और चुनाव 2024 ‘ में 2000 के नोट को चलन से वापस करने के R B I के निर्णय तथा विपक्षी पार्टियों के विरोध को इंगित करते ठीक ही कहा है कि वर्तमान सरकार ने ‘कैशलेस सिस्टम’ को इस कदर बढ़ावा दिया है कि आम आदमी के पास तो ₹2000 का नोट होने की संभावनाएं कम हैं।
    मेरा भी यही मानना है। सच ठेले पर सब्जी बेचने से लेकर पार्क में गुब्बारे लेकर बेचने वाले भी आजकल पेटीएम या गुगुल पे से पेमेंट लेने लगे हैं अतः 2000 के नोट को चलन से वापस लेने से आमजनों को कोई परेशानी नहीं होगी।
    विपक्षी दलों को तो विरोध करना ही है, करेंगे ही, लेकिन काले धन को समाप्त करने के लिए यह आवश्यक भी है।
    जनता सब जानती है…। R B I के निर्णय की सटीक व्याख्या करने वाले आपके संपादकीय के लिए आपको साधुवाद।

  12. भारत के समसामयिक परिदृश्य पर बेबाक सम्पादकीय के लिए बधाई . 2000 के नॉट बंद होने की सूचना से उनके नोट उड़ने लगे जिन्होंने बिना मेहनत के इकठ्ठा किए हैं . आम जनता तो फैसले का स्वागत कर रही है .
    बड़े बड़े संस्थानों/कार्यालयों /गोदामों में कई-कई दिनों से तिजोरियां बंद हैं , सरकार उन सबको भी खुलवाने का प्रयास कर रही है चलिए हम सभी इस अभियान से जुड़कर देश-सेवा में सहयोग करें .
    शुभकामनाओं सहित

    • सामयिक परिवर्तित भारतीय अर्थव्यवस्था पर दृष्टिपात।
      महत्वपूर्ण विषय।
      सामान्य जनों के पास तो यह नोट दुर्लभ है।
      धन्यवाद तेजेन्द्र जी।

  13. Your present Editorial presents the conditions n concessions given by the RBI to the holders of the 2000 rupee note which will go out of circulation in September.
    Also how there will be few only who would be having them in great numbers except the ones who indulge in corruption.
    A comprehensive study indeed.
    Warm regards
    Deepak Sharma

  14. आम जनता के पास 2000 की नोट तो है ही नहीं तो आम लोगों को कोई चिंता ही नहीं है । केवल विपक्षी नेता लोग है तौबा मचा रहे हैं ।
    हमेशा की तरह समसामयिक और बढ़िया संपादकी सर।

  15. संपादक महोदय
    सराहनीय संक्षिप्त रूप से परिपूर्ण रोचक जानकारी
    बस अब चमड़े के सिक्कों का इंतजार है!

  16. आपको देश के बाहर रह कर भी इतना ज़्यादा सब पता रहता है जितना देश के भीतर रहने वालों को नहीं ; इस संदर्भ में आपकी जितनी प्रशंसा की जाये, कम है।
    मैं तो आपके असीमित ज्ञान को देखकर अचम्भित हो जाती हूँ। ईश्वर आपको ऐसा ही सजग बनाए रखें।
    ₹2000/- की नोटबन्दी के कई दृष्टिकोणों की पर्याप्त जानकारी देने वाले सम्पादकीय के लिए हार्दिक साधुवाद।

  17. बहुत रुचिकर,आँखें खोलने वाला संपादकीय ! जिन पहलुओं पर हम पहुंच भी नहीं पाते। चिंतन की बात तो बहुत दूर की है उन्हें स्पष्टता से सरल सहज सलीके से कह देना, आपकी विशेषता है। आपकी दूरदर्शिता को सलाम।
    विस्तार से प्रस्तुत करके आप हर विषय के द्वारा मस्तिष्क के भीतर हलचल तो कर ही देते हैं। अब हलचल हो और दिमाग शांत रहे, ऐसा तो असंभव है।
    चुनाव एक महत्वपूर्ण कारण हो सकता है। जहाँ तक 2000 के नोट की बात है, हम जैसे लोग तो निश्चिंत ही हैं।
    साधुवाद आपको

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