सांकेतिक चित्र

इमरान ख़ान जब पाकिस्तान के प्रधानमन्त्री बने तो आम पाकिस्तानी को यही उम्मीद थी कि वे एक साफ़ सुथरी छवि वाले नेता हैं जिनका भ्रष्टाचार से दूर दूर तक कोई रिश्ता नहीं। कुछ ऐसी ही छवि भारत में प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह की भी थी। मगर उनके कार्यकाल में भारत में सबसे अधिक भ्रष्टाचारी घोटाले हुए। पाकिस्तान की जनता पूछ रही है कि हम इमरान ख़ान की छवि की रोटी तो पका कर नहीं खा सकते।

पाकिस्तानी प्रधानमन्त्री इमरान ख़ान तुर्की और मलेशिया को अपना सबसे करीबी दोस्त मानते रहे हैं। वे तो तुर्की, मलेशिया और ईरान के साथ मिल कर एक नया टीवी चैनल शुरू करने के सपने भी देख रहे थे। वो टीवी चैनल तो नहीं बन पाया मगर उस चैनल की पहली ख़बर कल पूरी दुनिया के सामने आ गयी जब समाचार मिला कि मलेशिया ने कुआलालम्पुर हवाई अड्डे पर पाकिस्तान इंटरनेशनल एअरलाइन्स के एक विमान को जबरन कब्ज़े में कर लिया। 
ज़ाहिर है कि इस समाचार से पाकिस्तान सरकार एवं एडमिनिस्ट्रेशन हिल गया है। पाकिस्तानी मीडिया इमरान ख़ान सरकार का मज़ाक भी उड़ा रहा है और आलोचना भी कर रहा है। एक एंकर ने तो इमरान ख़ान का मज़ाक उड़ाते हुए कह दिया, “अगर इमरान ख़ान से पूछा जाएगा कि उनके राज में पाकिस्तान की पूरी दुनिया में इतनी जग-हँसाई क्यों हो रही है। तो उनका जवाब होगा कि यह तो हमारी हुकूमत का कमाल है कि सिर्फ़ एक ही जहाज़ ज़ब्त हुआ है। अगर नवाज़ शरीफ़ या आसिफ़ ज़रदारी की हुकूमत होती तो अब तक कम से कम दस जहाज़ ज़ब्त हो चुके होते।”
मैं पुरवाई के पाठकों के साथ एक बात साझा करना चाहूंगा कि मैं स्वयं दो दशकों से अधिक भारत के अंतर्राष्ट्रीय एअरलाइन एअर इण्डिया में फ़्लाइट परसर के पद पर कार्यरत रहा। मगर मैंने कभी नहीं सुना कि किसी एअरलाइन का जहाज़ इसलिये ज़ब्त कर लिया गया क्योंकि विमान की लीज़ की किश्त जमा नहीं करवाई गयी। जी हाँ, मलेशिया में विमान बोइंग 777 को ज़ब्त करने का कारण यही था कि पी.आई.ए. ने लीज़ की किश्त, जो कि करीब 14 से 15 मिलियन डॉलर की थी, जमा नहीं करवाई। विमान को मलेशिया की एक अदालत के आदेशानुसार ज़ब्त किया गया। 
सूत्रों के अनुसार पाकिस्तान इंटरनेशनल एअरलाइन के पास कुल 12 बोइंग 777 विमान हैं। इन विमानों को समय समय पर अलग अलग विमान कंपनियों से ड्राइ लीज़ पर लिया गया है। ड्राइ लीज़ का अर्थ होता है कि केवल विमान लीज़ पर लिया गया है मगर चालक और कर्मीदल पी.आई.ए. के अपने होंगे। इसके मुकाबले वेट-लीज़ का अर्थ होता है कि विमान और चालक दल सभी लीज़ पर लिये जाते हैं। 
सबसे अधिक शर्मिन्दगी की बात यह है कि जब विमान को ज़ब्त किया गया उस समय यात्री एवं क्रू सभी विमान में बोर्डिंग कर चुके थे और विमान पाकिस्तान के लिये उड़ान भरने की तैयारी कर रहा था। 
पी.आई.ए. के प्रवक्त अब्दुल्लाह हफ़ीज़ ख़ान ने एक वीडियो वक्तव्य के ज़रिये बताया, “हमारी एअरलाइन की लीगल टीम मलेशिया की अदालत में केस लड़ेगी। और हमें उम्मीद है कि मामले को जल्दी ही सुलझा लिया जाएगा।… दरअसल पेरेग्रीन कंपनी के साथ हमारा लीज़ को लेकर विवाद चल रहा है और यू.के. की अदालतों में केस भी करीब 6 महीने पहले दायर किया गया था।” उनका कहना था कि 2015 से लगातार समय पर पेमेण्ट की जा रही थी मगर कोरोना वायरस के चलते एअर की आर्थिक स्थिति में गिरावट आ गयी।
पी.आई.ए. के विमान बोईंग 777 200ईआर में 35 बिज़नस क्लास और 294 इकॉनामी क्लास के यात्री सफ़र कर सकते हैं। उन पर यह बैन लगा दिया गया था कि उनके इस श्रेणी के दो विमान – नंबर 32716 और 32717 यदि कुआलालम्पुर में लैण्ड करें तो उन्हें वापिस उड़ान न भरने दी जाए। 
याद रहे  पिछले साल मई महीने में कराची में कर्ज़ के पहाड़ तले दबे पी.आई.ए. का एक विमान क्रैश हो गया था। यही नहीं देश में पाकिस्तान इंटरनेशनल एअरलाइन को लेकर नए-नए राज़ खुल रहे हैं। देश के उड्डयन मंत्री सरवर ख़ान ने कुछ समय पहले आरोप लगाया था कि पी.आई.ए. के करीब चालीस प्रतिशत पायलट फर्ज़ी होते हैं। यही नहीं इमरान ख़ान की पार्टी की प्रवक्ता ने कहा है कि यह बात भी सबको पता है कि पी.आई.ए. स्टाफ़ कई बार तस्करी करते हुए भी पकड़ा जाता रहा है।
पाकिस्तान को अपने एटमी ताक़त होने का ख़ासा गर्व है। मगर वहां की सरकार एक बात नहीं समझ पा रही कि एटमी हथियार तो सोवियत संघ के पास भी बहुत से थे मगर कमज़ोर आर्थिक स्थिति के चलते सोवियत विघटन को कोई रोक नहीं पाया। एटम बम्ब न तो पाकिस्तानी जनता को सही दाम पर आटा, चावल, आलू, प्याज़, सब्ज़ियां, गोश्त और अण्डे दिलवा सकते हैं और न ही पेट्रोल या डीज़ल। 
इमरान ख़ान जब पाकिस्तान के प्रधानमन्त्री बने तो आम पाकिस्तानी को यही उम्मीद थी कि वे एक साफ़ सुथरी छवि वाले नेता हैं जिनका भ्रष्टाचार से दूर दूर तक कोई रिश्ता नहीं। कुछ ऐसी ही छवि भारत में प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह की भी थी। मगर उनके कार्यकाल में भारत में सबसे अधिक भ्रष्टाचारी घोटाले हुए। पाकिस्तान की जनता पूछ रही है कि हम इमरान ख़ान की छवि की रोटी तो पका कर नहीं खा सकते। 
पाकिस्तान के लिये स्थितियां बहुत नाज़ुक हैं। कभी लंदन में उनके उच्चायोग का अकाउण्ड फ़्रीज़ कर दिया जाता है तो कभी विमान ज़ब्त हो रहा है। पाकिस्तान की राष्ट्रीय एअरलाइन पी.आई.ए. के पायलट भी महेशा संदेह के घेरे में रहे हैं। यह आरोप लगाये जाते रहे हैं कि उनके पायलट इम्तहान तक पास नहीं करते। एअरलाइन की मेन्टेनेंस (रख रखाव) को लेकर भी सवाल उठते रहे हैं।
पाकिस्तान की स्थिति तो यह है कि सऊदी अरब ने उससे अपने दो अरब डॉलर वापिस माँग लिये और उसे चीन से ये पैसे उधार लेकर वापिस करने पड़े।  
9/11 के बाद से पाकिस्तान हमेशा ग़लत कारणों से समाचारों की सुर्ख़ियां बनता रहा है। एफ.ए.टी.एफ़. में भी उसका नाम ‘ग्रे-लिस्ट’ में मौजूद है और उसके ‘ब्लैक-लिस्ट’ में जाने की पूरी संभावना है। पाकिस्तान की छवि एक आतंकवादियों को आश्रय देने वाले देश की बन चुकी है। अच्छा यह होगा कि पाकिस्तान अपनी भीतरी स्थितियों को सुधारने के लिये गंभीर रूप से काम करे और फ़िलहाल वैश्विक लीडर बनने की अपनी आकांक्षाओं को ठण्डे बस्ते में डाल दे। 
लेखक वरिष्ठ साहित्यकार, कथा यूके के महासचिव और पुरवाई के संपादक हैं. लंदन में रहते हैं.

3 टिप्पणी

  1. पाकिस्तान के मौजूदा हालात पर सम्पादकीय बेहतरीन और बेबाक है । कुछ तथ्य ज्ञानवर्धक हैं । सोवियत रूस के विघटन
    की ओर संकेत रेखांकित ।
    साधुवाद
    प्रभा

  2. वाह,कमाल की संपादकीय लिखी है।सबको जगजाहिर कर दिया।ऐसी जानकारी से ही पाठक पुख्ता तथ्यों से वाकिफ हो पाते हैं।सतही बातों से संपादक का दूर रहना ही उसके व्यक्तित्व को जानदार बना देता है जिसके आप हकदार है।हमेशा नई जानकारी देना ही पत्रिका का मूल उद्देश्य होता है जिसे पुरवाई के संपादक महोदय हमेशा पूर्ण करते हैं।आपको साधुवाद। डॉ.सविता सिंह
    पुणे।

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