एक गुरुजी थे । बहुत ही सीधे-सादे । ईमानदार लेकिन पढ़ाने के मामले में बहुत ही कड़क । वह अकेले रहते थे। उनका घर परिवार बहुत दूर किसी गांव में रहता था । वह बच्चों को बहुत मन लगाकर पढ़ाते थे। जो बच्चे पढ़ाई में मन नहीं लगाते, उनको डांटते फटकारते भी थे इसलिए बहुत कम बच्चे उनसे खुश रहा करते। जिस किसी बच्चे ने पढ़ाई में कमजोरी दिखाई तो गुरु जी उसकी हालत खराब कर देते। उसकी जमकर पिटाई करते। वह बच्चों को स्कूल में भी पढ़ाते और सबको पाठ अच्छे से समझ में आ जाए इसलिए घर पर भी बुला लिया करते थे। जिन बच्चों में पढ़ने की लगन रहती, वे उनके घर भी चले जाते । इन बच्चों में राहुल भी एक था। लेकिन कुछ बच्चे ऐसे भी थे जो गुरुजी से दूर-दूर ही रहते ।
एक दिन गुरुजी बीमार पड़ गए । घर पर अकेले ही रहते थे इसलिए उनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं था । एक दिन ..दो दिन… तीन दिन बीत गए। गुरुजी स्कूल नहीं आए, तो बच्चे आपस में बात करने लगे।
एक ने कहा, ” ऐसा पहली बार हुआ है कि गुरु जी तीन दिन तक स्कूल नहीं आए। पता नहीं क्या बात है ?”
दूसरे ने कहा, ” हो सकता है, अपने गांव गए हों!”
तीसरे बच्चे ने कहा, ” अरे अच्छा हुआ यार,नहीं आ रहे हैं ,वरना मन लगाकर पढ़ना पड़ता ।होमवर्क करके नहीं लाते तो हमारी पिटाई करते।”
राहुल सबकी बातें सुन रहा था। उसने कहा, ” गुरुजी के बारे में ऐसा सोचना गलत बात है ।गंदे बच्चे ही अपने गुरु के बारे में ऐसी बातें कर सकते हैं ।” राहुल ने मन-ही-मन सोचा, मैं गुरु जी को देखने उनके घर जाऊंगा। उसी दिन राहुल स्कूल की छुट्टी होने के बाद सीधे गुरुजी के घर पहुंच गया। गुरुजी बिस्तर पर पड़े कराह रहे थे ।उन्हें देखकर राहुल की आंखें भर आई। वह घर आया और पिताजी को गुरुजी की बीमारी के बारे में बताया । फिर गुरुजी के इलाज के लिए पैसे मांगने लगा। पिताजी बोले, ” तुम्हारे गुरुजी की देखभाल हम लोग करेंगे । तुमने भला काम किया जो अपने गुरु की खोज- खबर ली, वरना आजकल के लड़के अपने गुरुओं का मजाक उड़ाते हैं। सेवा की बात तो बहुत दूर ।”
राहुल पिता के साथ गुरु जी के घर पहुंचा फिर उन्हें डॉक्टर के पास ले जाया गया । डॉक्टर ने चेक किया, कुछ दवाइयां दीं। तीन दिन बाद गुरु जी स्वस्थ हो गए। इस बीच राहुल ने जब अपने दोस्तों को गुरु जी की सेवा की बात बताई, तो सब हँस पड़े । राहुल को अपने दोस्तों पर दया आई ।
एक दोस्त ने कहा, ” राहुल , तुमने अच्छे नंबर पाने के लिए गुरु जी की सेवा की है। हम सब समझते हैं ।”
राहुल मुस्कुराते हुए बोला, “मैंने अच्छे नंबर पाने के लिए नहीं, अच्छा इंसान बनने के लिए गुरुजी के सेवा की है।”
राहुल की बात सुनकर सभी की बोलती बंद हो गई। सब एक दूसरे का चेहरा देखने लगे। वे अब मन-ही-मन अपनी हरकत पर शर्मिंदा भी हो रहे थे।