शाम के पाँच बज रहे थे । दीदी बस से उतरकर घर की तरफ जा रही थी । बस स्टॉप से उनके घर का अच्छा खासा 10 मिनट का रास्ता है । उनके आगे-आगे उनकी ही सोसायटी के बच्चे, कुणाल और तान्या चल रहे थे । दोनों स्कूल से आ रहे थे । कुणाल मस्ती करता हुआ, अपने वाटर बेग से पानी गिराता हुआ जा रहा था और तान्या चुपचाप गुमसुम – सी चल रही थी ।
तान्या जैसी चहचहाती चिड़िया आज इतनी शांत कैसे है ? दीदी ने आगे बढ़कर पूछा, “तान्या क्या हो गया, क्या किसी से झगड़ा हो गया” ? तान्या कुछ बोल ही नहीं पाई की कुणाल बीच में ही बोल पड़ा, “दीदी ये तान्या थोड़ी – सी पागल है, आज हमारे स्कूल में दो मिनट का मौन रखा गया था, तब से ये पागल अभी तक मौन रखे हुए है” । कुणाल उसके बाल खींचते हुए बोले, “…अरे पागल, मौन दो मिनट का था, दो घंटे का नहीं…” । “… तेरे को क्या करना है, छोड़ मेरे बाल…” । बाप रे ! हो गया झगड़ा शुरू । झगड़ा हाथा-पाई तक पहुंचे, उसके पहले ही दीदी ने विषय बदल दिया और पूछा, “…तान्या आज स्कूल में मौन क्यों रखा गया था …? तान्या अपनी गोल-गोल आँखों को और गोल करके बोली, “…दीदी… पता है आज 30 जनवरी है, और 30 जनवरी को गांधीजी का मर्डर हुआ था, इसलिए स्कूल में दो मिनट का मौन रखा गया था …”। दीदी ने बनावटी आश्चर्य से कहा, “…अच्छा हुआ तान्यातुमने बता दिया। कुणाल ने अचानक पूछा,“… दीदी गांधी जी का मर्डर किसने किया था …?”
“…नाथूराम गोडसे नाम के एक व्यक्ति ने गांधीजी का मर्डर किया था । यही कोई पाँच बजे का वक्त था, गांधीजी प्रार्थना के लिए जा रहे थे कि हत्यारे ने तीन गोलियां उनके सीने में दाग दी । गांधी जी हे ! हे राम ! कहते हुये इस संसार से चले गए …”। तान्या दीदी की तरफ देखती ही रह गई, फिर अपनी तोतली आवाज में बोली, “…दीदी और कुछ बताओ न गांधीजी के बारे में…” । “…अच्छा सुनो, तुमने वह गाना सुना है न,दे दी हमें आजादी बिना खड़ग बिना ढाल, साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल … रघुपति राघव राजाराम … । “ हाँ … हाँ दीदी सुना है, आज सुबह टीवी पर आ रहा था, पर इसका मतलब हम नहीं समझ पाये…” ।
“… ठहरो, मैं समझाती हूँ, पहले हमारे देश में अंग्रेजों का शासन था, हम उनके गुलाम थे, अब हम आजाद हैं । अंग्रेज़ों से आजादी प्राप्त करने के लिए बहुत मार-काट हुई, बहुत सारे लोग शहीद हो गए । लेकिन गांधीजी ने वगैर मार-काट के सत्य और अहिंसा के द्वारा ही आजादी दिलवा दी । आजादी की प्राप्ति के लिए न तो उन्होने बंदूक उठाई और न तलवार । गांधी जी का आश्रम, गुजरात में साबरमती नाम की जगह पर है । यही इस गाने का मतलब है कि वगैर किसी हथियार के हमें आजादी दिलाकर आपने कमाल कर दिया …”
कुणाल कुछ सोचते हुये बोला, “… दीदी आपने एक शब्द बोला था शहीद, उसका क्या मतलब होता है …”?
“… जो लोग देश की रक्षा के लिए अपनी जान दे देते हैं, उन्हें शहीद कहते हैं । गांधी जी की मृत्यु 30 जनवरी को हुई थी । उन्होंने हमे सत्य और अहिंसा का पाठ पढ़ाया और देश के रक्षा के लिए अपनी जान दे दी । इसका मतलब गांधीजी शहीद हुये । इसलिए हम 30 जनवरी को शहीद दिवस के रूप में मनाते हैं । इस दिन 2 मिनट का मौन रखकर हम शहीदों को शृद्धांजलि शृद्धांजलिदेते हैं …”।
कुणाल तान्या का स्कूल बेग खींचते हुये बोला, “… समझी तान्या, अब ये मौन तोड़ और जल्दी घर चल, दीदी का घर आ गया, अब वे अपने घर जाएंगी …”।
पर तान्या मौन तोडने का नाम ही नहीं ले रही थी और तिरछी नजर से मेरे तरफ देखते हुये घर की तरफ चली जा रही थी ।