बड़े शहर की एक कालोनी है, जिसमें अधिकांशत; सभ्रांत परिवार रहते हैं। बहुत सारे बच्चे भी हैं । उसी कालोनी में एक दीदी भी रहती हैं । बच्चे , दीदी के मनोरंजन के साधन हैं और दीदी बच्चों के लिए ज्ञान का भंडार। बच्चों में और दीदी में खूब छनती है ।  दीदी ये बात जानती हैं कि आजकल के बच्चे बहुत होशियार हैं । कंप्यूटर और मोबाइल के इस युग ने उन्हें, उम्र से ज्यादा समझदार बना दिया है ।  हरेक बात उन्हें, उनके स्तर पर जाकर समझानी होती है ।
बस इसी बात को ध्यान में रखते हुये वार्ता  में,  यह छोटी – सी कहानी लिखी गई है । आशा है बच्चे इससे कुछ जानकारी हासिल कर सकेंगे  ।
बच्चो ! आज मैं एक बहुत मजेदार बात बताती हूँ, ये बात है तो बहुत छोटी–सी पर है बहुत महत्वपूर्ण
“सुनाओ दीदी सुनाओ” सब बच्चे एक साथ बोल पड़े ।
“तो सुनो …”
एक छोटी – सी चुलबुली नटखट लड़की है, नाम है उसकी सोनिया । सोनिया मुंबई में तीसरी कक्षा में पढ़ती है । सोनिया की एक पक्की सहेली है, फ़ौजिया । दोनों स्कूल में साथ में टिफिन खाती, साथ में खेलती, साथ में मस्ती करती, और साथ – सजा पातीं । जितनी तेज पढ़ाई में दोनों उतनी ही शरारत करने मे ।
एक दिन सोनिया गुस्से में भरी हुई घर पर आई और स्कूल बेग फेंककर चुपचाप सोफ़े पर बैठ गई । रोज तो जब सोनिया घर में आती है, तो लगता है जैसे तूफान आ गया, स्कूल बेग एक कोने में फेंकेगी, जूते-मौजे दूसरे कोने में, टीवी की आवाज बढ़ा देगी । पर आज ऐसा कुछ भी नहीं हुआ । लगता मामला कुछ “संगीन” है । मम्मी ने पूछा, “सोनिया क्या हो गया…” ?
“कुछ नहीं …”
“क्या हो गया, किसी से लड़ाई हो गई क्या …” ?
सोनिया वैसे ही गुस्से में भरी हुई बोली, “मम्मी, आज से मैं फ़ोजिया से बात नहीं करूंगी …. फ़ौजिया की बच्ची ….”
“अरे क्यों, वह तो तुम्हारी पक्की सहेली है…”?
“कोई सहेली-बहेली नहीं है, पता है आज उसने क्या किया ?”
“ क्या किया ?”
“आज है न क्लास में एक नई टीचर आई थीं, उन्होने कहा, सब लड़कियां दो-दो के ग्रुप बनाओ और एक दूसरे के बारे में जानकारी लो, 10 मिनट के बाद मैं, तुम्हारे ग्रुप पार्टनर के बारे में पूंछूगी । मेरे पार्टनर थी फ़ोजिया । मैंने उसको बताया, की मेरा नाम सोनिया है, मेरे पिताजी बैंक में सर्विस करते हैं और मेरे गाँव का नाम भोपाल है । उसने पता है टीचर को क्या बोला, सोनिया के गाँव का नाम भोपला है … ” । अब भोपाल को कोई भोपला बोलेगा तो गुस्सा आयेगा न । मैंने उसको थप्पड़ मारा, उसके बाल खींचे और उससे बात करना बंद कर दिया …” ।
मम्मी बोली, “भोपाल को भोपला बोलने में कौन-सी बड़ी बात हो गई ? बोलने में गलती हो सकती है, इसमें लड़ाई करने की क्या जरूरत थी ” ।
सोनिया अपनी नई-नई सीखी हुई मराठी का ज्ञान बघारते हुये बोली, “मम्मी आपको पता नहीं है, मराठी में कद्दू को भोपला कहते हैं, वैसे तो यह एक सब्जी का नाम है, पर मज़ाक उड़ाने का भी ही शब्द है । इसलिए मैंने फ़ोजिया को मारा” ।
बच्चो इस घटना से कुछ समझ में आया, इसमें छिपा है, “देश प्रेम”
सब बच्चे एक साथ बोल पड़े । “भोपला में देश प्रेम, वाह दीदी, आप भी कमाल करती हैं, भोपला में देश प्रेम आपका भी जवाब नहीं” और ज़ोर ज़ोर से हंसने लगे ।
“ठहरो, मैं तुम्हें समझती हूँ, तुम सोनिया की उम्र देखो, उसकी दुनिया उसके अपने शहर तक ही सीमित है । उसके शहर का नाम कोई गलत ढंग से बोल दे तो वह सहन नहीं कर सकी, और मार-पीट पर उतर आई । जब वह बड़ी होगी, अपने राज्य के बारे में जानेगी, अपने देश के बारे में जानेगी, वह इन सब की बुराई सुन नहीं सकेगी, गाँव के नाम के गलत उच्चारण से वह इतनी नाराज हो गई, तो वह देश की बुराई कैसे सुन सकेगी । यह है उसके देश प्रेम का प्रतीक । बड़े होने उसका देश प्रेम और भी मजबूत हो जाएगा…” ।
“… तो समझे बच्चू, इसे कहते हैं, मातृभूमि से प्रेम और हमारे देशवासियों में यह कूट-कूट कर भरा है । क्यों विश्वास नहीं आ रहा, तो ठीक है, कल स्कूल में, जरा अपने किसी भी दोस्त के शहर का नाम उल्टा-सुल्टा बोले देना, रिजल्ट सामने आ जाएगा और मेरे बात का विश्वास भी ।

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