कांग्रेस एवं अन्य विपक्षी दलों को बार बार यह समझाया गया है कि उनका मोदी, भाजपा एवं आर.एस.एस. विरोध इतना दिशाहीन नहीं होना चाहिये कि वह भारत विरोध लगने लगे। भारत तेरे टुकड़े होंगे, अफ़ज़ल हम शर्मिन्दा हैं तेरे कातिल ज़िन्दा हैं और ऐसे बहुत से मामलों में विपक्ष अपनी राह भूल कर भारत और भारत की संस्थाओं के विरुद्ध खड़े दिखाई देते हैं। उन्हें याद रखना होगा कि कांग्रेस, कश्मीर, कॉर्बिन की तरह कफ़न और क़ब्र भी ‘क’ से ही शुरू होते हैं।

जम्मु कश्मीर से धारा 370 हटाने पर हुई बहस के दौरान लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने लोकसभा में अपना वक्तव्य देते हुए अपनी पार्टी का मत स्पष्ट किया था कि कश्मीर भारत और पाकिस्तान का द्विपक्षीय मुद्दा नहीं है। उन्होंने इसे एक अंतर्राष्ट्रीय मुद्दा  कहा।

यह सुन कर सभी को हैरानी हुई थी क्योंकि 1971 में ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो और भारत की प्रधानमन्त्री इंदिरा गान्धी के बीच यह लिखित फ़ैसला हुआ था कि कश्मीर दोनों देशों के बीच आपसी मुद्दा रहेगा। किसी तीसरे पक्ष को इसमें दख़ल नहीं देने दिया जाएगा।

अधीर रंजन को सोनिया गांधी से डांट पड़ी मगर कांग्रेस पार्टी ने इससे कोई सबक़ नहीं लिया। पार्टी नेता समय समय पर कश्मीर के मुद्दे पर ऐसे वक्तव्य देते रहे जिनका इस्तेमाल इमरान ख़ान और अन्य पाकिस्तानी नेता पाकिस्तानी संसद में भारत के ख़िलाफ़ करते रहे। संयुक्त राष्ट्र संघ के अपने भाषण में भी इमरान ख़ान ने कांग्रेस पार्टी के नेताओं के वक्तव्यों का सहारा लिया।

चलिये यहां तक तो सब ठीक था। कांग्रेस और उसके नेता भारत में भारत की इज्ज़त का कचरा कर रहे थे। मगर इस बार तो भारत की सबसे पुरानी पार्टी ने देशहित के उपेक्षा की सभी सीमाओ को लाँघ लिया है। ब्रिटेन की ओवरसीज़ कांग्रेस के अध्यक्ष कमलप्रीत ढालीवाल के नेतृत्व में एक प्रतिनिधि मण्डल ने कश्मीर मसले पर लेबर पार्टी के सुप्रीमो जेरेमी कॉर्बिन से एक मुलाक़ात की जिसका ब्यौरा कॉर्बिन ने अपने एक ट्वीट से दिया।

कॉर्बिन अपने ट्वीट में लिखते हैं, “भारतीय कांग्रेस पार्टी के यूके प्रतिनिधियों से एक सार्थक मुलाक़ात संपन्न हुई जिसमें हमनें कश्मीर में मानवाधिकारों की चर्चा की। भारत के इस क्षेत्र में फैले हिंसा और डर के वातावरण को कम करना होगा।”

क़रीब इक्कीस घंटे तक कांग्रेस पार्टी ने इस ट्वीट पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। ज़ाहिर है कि भाजपा को एक और मौका मिला कि वह कांग्रेस को कटघरे में खड़ा कर सके। भाजपा प्रवक्ताओं ने कांग्रेस नेताओं को कटघरे में खड़ा कर उनसे चुभते हुए सवाल पूछे। उस पर कमल ढालीवाल ने एक कमज़ोर सा ट्वीट करते हुए कहा कि हमने कॉर्बिन से मुलाक़ात अवश्य की थी मगर उन्हें यह कहने के लिये कि कश्मीर भारत और पाकिस्तान का द्विपक्षीय मामला है। उनके इस मज़ाक पर अनायास ही चेहरे पर मुस्कुराहट आ जाती है।

भाजपा ने जब इस मुलाक़ात को शर्मनाक बताया तो अचानक आनन्द शर्मा की भी नींद खुली और उन्होंने प्रवक्ता का धर्म निभाया, “यह मामला हमारे ध्यान में आया है, जिस प्रतिनिधि मंडल ने मुलाक़ात की उसका भारत के आंतरिक मामले पर बोलने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने तो कमल ढालीवाल को अपना प्रतिनिधि मानने से ही इन्कार कर दिया। जबकि सच यह है कि उसकी नियुक्ति स्वयं राहुल गान्धी ने की थी।

कांग्रेस एवं अन्य विपक्षी दलों को बार बार यह समझाया गया है कि उनका मोदी, भाजपा एवं आर.एस.एस. विरोध इतना दिशाहीन नहीं होना चाहिये कि वह भारत विरोध लगने लगे। भारत तेरे टुकड़े होंगे, अफ़ज़ल हम शर्मिन्दा हैं तेरे कातिल ज़िन्दा हैं और ऐसे बहुत से मामलों में विपक्ष अपनी राह भूल कर भारत और भारत की संस्थाओं के विरुद्ध खड़े दिखाई देते हैं। उन्हें याद रखना होगा कि कांग्रेस, कश्मीर, कॉर्बिन की तरह कफ़न और क़ब्र भी ‘क’ से ही शुरू होते हैं।

लेखक वरिष्ठ साहित्यकार, कथा यूके के महासचिव और पुरवाई के संपादक हैं. लंदन में रहते हैं.

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.