होम ग़ज़ल एवं गीत कारगिल विजय दिवस पर डॉ. यासमीन मूमल की ग़ज़ल – बच नहीं... ग़ज़ल एवं गीत कारगिल विजय दिवस पर डॉ. यासमीन मूमल की ग़ज़ल – बच नहीं पाता कोई भारत से टकराने के बाद द्वारा डॉ. यासमीन मूमल - July 26, 2022 121 2 फेसबुक पर शेयर करें ट्विटर पर ट्वीट करें tweet परचमे’ इंसानियत सरहद पे लहराने के बाद। सर क़लम करते हैं हम दुश्मन को समझाने के बाद।। कारगिल की जंग से दुश्मन ये ले ले अब सबक़। बच नहीं पाता कोई भारत से टकराने के बाद।। पीछे हटना हमने सीखा ही नहीं है फ़ितरतन। इक दफ़ा दुश्मन को अपने सामने पाने के बाद।। जान दे देंगे वतन के वास्ते सच मानिये। इक दफ़ा अपने तिरंगे की क़सम खाने के बाद।। “यास्मीं” को है यक़ीं अब देखकर सेना ए हिन्द। बच नहीं पायेगा दुश्मन गोलियां खाने के बाद।। संबंधित लेखलेखक की और रचनाएं डॉ रूबी भूषण की ग़ज़ल – हम को जीना पड़ा जतन कर के सतीश उपाध्याय का नवगीत – मुझ में ही सपने पलते हैं आशा शैली की ग़ज़ल – साथ तू था न तेरा साया था 2 टिप्पणी वाह यास्मीन ख़ूब कहा ,जय हिंद Dr Prabha mishra जवाब दें प्रभा जी बहुत शुक्रिया जवाब दें कोई जवाब दें जवाब कैंसिल करें कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें! कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें आपने एक गलत ईमेल पता दर्ज किया है! कृपया अपना ईमेल पता यहाँ दर्ज करें Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Δ This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.
वाह यास्मीन ख़ूब कहा ,जय हिंद
Dr Prabha mishra
प्रभा जी बहुत शुक्रिया