परचमे’ इंसानियत सरहद पे लहराने के बाद।
सर क़लम करते हैं हम दुश्मन को समझाने के बाद।।
कारगिल की जंग से दुश्मन ये ले ले अब सबक़।
बच नहीं पाता कोई भारत से टकराने के बाद।।
पीछे हटना हमने सीखा ही नहीं है फ़ितरतन।
इक दफ़ा दुश्मन को अपने सामने पाने के बाद।।
जान दे देंगे वतन के वास्ते सच मानिये।
इक दफ़ा अपने तिरंगे की क़सम खाने के बाद।।
“यास्मीं” को है यक़ीं अब देखकर सेना ए हिन्द।
बच नहीं पायेगा दुश्मन गोलियां खाने के बाद।।

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