होम ग़ज़ल एवं गीत निज़ाम फतेहपुरी की ग़ज़ल ग़ज़ल एवं गीत निज़ाम फतेहपुरी की ग़ज़ल द्वारा निज़ाम फ़तेहपुरी - October 24, 2021 31 0 फेसबुक पर शेयर करें ट्विटर पर ट्वीट करें tweet नाम लिक्खा छुरी, जिसने छूरी नहीं हमसे क़ाबिल हो वो, ये जरूरी नहीं बन गए क्यों ग़ज़ल, के बहुत से नियम जानकारी किसी, को थी पूरी नहीं इतना आसाँ नहीं, सीखना शायरी लफ़्ज़ कम बात हो, पर अधूरी नहीं राह अपनी अलग, सोच अपनी अलग फिर भी अपनी किसी, से है दूरी नहीं काम शायर का बस, सच है कहना ‘निज़ाम’ करना दरबार मे, जी-हुज़ूरी नहीं संबंधित लेखलेखक की और रचनाएं डॉ रूबी भूषण की ग़ज़ल – हम को जीना पड़ा जतन कर के सतीश उपाध्याय का नवगीत – मुझ में ही सपने पलते हैं आशा शैली की ग़ज़ल – साथ तू था न तेरा साया था कोई जवाब दें जवाब कैंसिल करें कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें! कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें आपने एक गलत ईमेल पता दर्ज किया है! कृपया अपना ईमेल पता यहाँ दर्ज करें Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Δ This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.