1
मेहनत के बाद भी मिलीं नफ़रत की रोटियां
सब के नसीब में कहां इज़्ज़त की रोटियां
आंखों से देखने की नहीं चीज़ मां का प्यार
पर फिर भी दिखातीं इन्हें औरत की रोटियां
जब जब हमारी भूख की ये आग जल उठी
वो सेंक गये इस पे सियासत की रोटियां
आटा ही नहीं, प्यार है, ईमान है इस में
मां की दुआ का हाथ है भारत की रोटियां
है स्वाद इनका खूब, मगर सच तो यही है
पचती नहीं सभी से ये शोहरत की रोटियां
बीवी से हम ने सच ये छुपाया है उम्र भर
औरत से बड़ी चीज़ है औरत की रोटियां
2
आंखों में बहुत बाढ़ है, फिर शेष सब कुशल
जीवन नहीं अषाढ़ है, फिर शेष सब कुशल
गीतों से, सिसकियों से, यादों से ना कटे
ये रात इक पहाड़ है, फिर शेष सब कुशल
उस मोगरे को आंख से हम देख ही लेंगे
घूंघट की ज़रा आड़ है, फिर शेष सब कुशल
हम-तुम जहां मिले थे उसी झोपड़ी का अब
टूटा हुआ किवाड़ है, फिर शेष सब कुशल
जो भी कहेंगे आप हम गायेंगे उम्र भर
सब पेट का जुगाड़ है, फिर शेष सब कुशल
रमुआ का नाम हाथ पर लिखती है ननदिया
मां जी का बहुत लाड़ है, फिर शेष सब कुशल
जब से सजन का पत्र इधर में नहीं
ये डाकघर उजाड़ है, फिर शेष सब कुशल
3
तुम्हारे क़िस्से में दिल का मेरे मक़ान जला
लगा फ़क़ीर की दरगाह पे लोबान जला
अभी भी रात को बुढ़िया वो महक उठती है
न जाने कितने बरस पहले ज़ाफ़रान जला 
वहां यूं देर शाम आग जली चूल्हे में
सुबह से शाम तलक पहले वो इन्सान जला
वहां कुरान था, गीता थी और क़समें थीं
अदालतों में मगर रोज़ ही ईमान जला
गवाह ख़ौफ़ से, रिश्वत से बेज़ुबान हुए
कई जहान जले जब भी इक बयान जला
सभी तो टांक के आये थे अपना चांद वहां
ज़रा बताओ तो किस किस का आसमान जला

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.