होम कविता विनय बंसल की कविता – बहुत कुछ है इन आँखों में कविता विनय बंसल की कविता – बहुत कुछ है इन आँखों में द्वारा Editor - November 6, 2022 55 0 फेसबुक पर शेयर करें ट्विटर पर ट्वीट करें tweet बहुत कुछ है इन आँखों में, तुमको हम बतलाएँ। बादल, बिजली, इन्द्रधनुष है, हैं घनघोर घटाएँ। इनमें लोरी,गजल, गीत हैं, सरगम है, संगीत। सपने हैं, अपने हैं इनमें, शोला-शबनम, प्रीत। शर्म, हाय आँखों में रहती, आँखे कभी लजातीं। आँखे आँखों से मिल जाएं, सच्ची प्रीति निभातीं। आँखों में है जोश, उदासी, नफरत है, अरु प्यार। रुदन और परिहास भी इसमें, पतझड़ और बहार। नशा, चुनौती इन आँखों में, यादें अरु एहसास। आशा और निराशा इनमें, प्रेम और विश्वास। आँखों में पतवार है प्यारी, आँखों में है कश्ती। नादानी है, प्यार-वफा है, खुशी, मौज है मस्ती। होंठ नहीं कह पाते जिसको, वो भी ये कह जातीं। विरह, वेदना, दर्द, व्यथा सब, ये आँखे सह जातीं। कभी गर्व से उठतीं आँखे, कभी शर्म से झुकतीं। कभी रात में स्वप्न दिखातीं, कभी रात भर जगतीं। दोनों आँखे साथ ही खुलतीं, साथ ही हंसतीं-रोतीं। दोनों आँखें साथ-साथ ही, सदा-सदा को सोतीं। कोई आँख में धूल झोंकता, कोई आँख उठाता। कोई जगह देता आँखों में, कोई आँख चुराता। आँख उठाकर भी न देखे, कोई आँख मिलाए। कोई आँखों में खटकत है, कोई आँख बिछाए। कोई आँखों में चुभता है, कभी आँख भर आतीं। कोई गिर जाता आँखों से, कभी आँख चढ़ जातीं। आँख तले न लाते बच्चे, बाप हुआ बेचारा। आँख दिखाए आज वही जो, कल था आँख का तारा। सागर से भी ज्यादा होता, इन आँखों में पानी। मौन रहें फिर भी कह जातीं, इनकी यही कहानी। विनय बंसल 310, पुष्पाञ्जलि अपार्टमेंट केशवकुञ्ज, प्रताप नगर आगरा 282010 संबंधित लेखलेखक की और रचनाएं हिंदी भाषा पर मधु शृंगी की कविता प्रीति रतूड़ी की कविताएँ सरिता मलिक की कविताएँ कोई जवाब दें जवाब कैंसिल करें कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें! कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें आपने एक गलत ईमेल पता दर्ज किया है! कृपया अपना ईमेल पता यहाँ दर्ज करें Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Δ This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.