Saturday, October 12, 2024
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फरहाना फारूक सय्यद की कविता – आईना एक जौहरी

आईना सामने लाओ पर
चेहरा देखने नहीं,
महसूस करने के लिए
चेहरे की खूबसूरती नहीं
काबिलियत जानने के लिए
अंजान होकर भी वह,
हमको हमसे मिलाता है,
सवाल खड़े करता है
हल ढूढ़ने का साहस देता है।
सिर्फ चेहरे का नहीं,
दिल का भी मुआयना करो,
बाहरी खूबसूरती ही क्यों,
अंदरूनी नूर पर नज़र डालो
सिर्फ चेहरा क्यों साफ करना,
चरित्र भी तो दाग से मुक्त करो
आइने में तन ही नहीं बल्कि
मन की खूबसूरती निहारो।
आईना कभी झूठ नहीं बोलता,
सच से अवगत सीख कराता है
यह सुख में खिले चेहरे और
ग़म में रोने को उजागर करता है
आइने से सामना होने पर
किरदार को परखना सीखो,
आईने से सूरत में नहीं
सीरत में कई बदलाव लाओ।
ज़्यादा फ़िक्र तो उस आइने को है,
वह आपको आपसे मिलाता है
प्रेरित करता है सुधरने को
सुंदरता का प्रतिनिधित्व करता है
गलतियों देखकर अफसोस नहीं करना
खुद को कोसना नहीं बल्कि
सीप से मोती बनाना है।।
फरहाना फारूक सय्यद
फरहाना फारूक सय्यद
कवयित्री. संपर्क - [email protected]
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