28 वर्षीय पोस्ट ग्रेजूएट, हाईट 6 फीट, हैण्डसम, गृहकार्य दक्ष, किसी तरह के नशे की कोई आदत नहीं, सीधे सादे, स्वभाव से शरीफ लड़के हेतु डाक्टर, इंजिनियर या सी ए टाइप डिग्रीधारी अच्छी नौकरी वाली कन्या चाहिए जो लड़के के खर्चे उठा सके… खुद का मकान और गाड़ी अनिवार्य है ..लड़के को ड्राइविंग आती है | लड़की ऐसी हो जो लडके की कमाई में कोई इंटरेस्ट ना ले ..उसकी शोपिंग पर सवाल ना उठाये ..उसे फिल्म दिखाने घुमाने ,डिनर करवाने ले जाए ..हर छुट्टियों में देश विदेश की सैर करवाए |
घर के हर काम में माहिर हमारा लड़का घर परिवार और बच्चों की देखभाल अच्छे से करेगा शिकायत का कोई मौका नहीं देगा | इन्डियन, चाइनीज, मुगलाई हर तरह का भोजन बनाने के अलावा केक पेस्ट्री भी अच्छे से बना सकता है |
आने वाले समय में इस तरह के वैवाहिक विज्ञापन देखने को मिलेंगे…!
लड़के भी कब तक घर की जिम्मेदारियां अपने नाजुक कंधों पर उठाते रहेंगे ? उन्हें भी मौका मिलना चाहिए घर पर बैठ कर मनपसंद सीरियल देखने का ..उनके कान भी सुनना चाहते हैं कि कोई उनसे कहे दिनभर घर पर पड़े पड़े करते क्या हो ? उनका भी सपना हो सकता है कि बिंदास शोपिंग करें ..दोस्तों के संग घूमें ..थकी हुई पत्नी जब घर आये तो उसके लिए चाय बनाएं ..उसकी पसंद का खाना बनाएं ..बच्चों को होम वर्क कराएँ ..दोपहर में अच्छी नींद लें ..काम वाले के संग गॉसिप करें…
वे दिन खत्म जब सुन्दर ,सुशील ,घर के काम में निपुण कन्या की तलाश होती थी ..और मिल भी जाती थी ..अब लड़का और लडकी बराबर हैं . लडकियाँ पढ़ लिख कर उच्च पदों पर नौकरी कर रही हैं … किचन में जाकर पसीने बहाना उनकी पर्सनेलिटी को शूट नहीं करता | वे अपना खर्चा खुद उठा सकती हैं ..किसी पर निर्भर नहीं है ..जब कमाने वाले लडके घरेलू लड़की की डिमांड कर सकते हैं तो कमाऊ लड़की घरेलू लड़के को तो पसंद कर ही सकती है |
आज लड़कियां आत्मनिर्भर हैं ..उन्हें अपने शौक पूरे करने के लिए पति की जेब की दरकार नहीं है ..ना ही घर सम्भालने के लिए अपने सपनों को खत्म करने की जरूरत है ..जब खुद इतना अच्छा कमा रही हैं तो क्यों ज्यादा कमाऊ पति चाहिए ..बल्कि कोई तो हो जो घर सम्भाले ..कब तक बेचारी लडकियाँ अपने सपने छोड़ कर हाउसवाइफ बनती रहेंगी उनको भी लगता है उन्हें भी एक हाउस हसबेंड मिले जो घर और बच्चों की देखभाल करें उनका भी तो दिल चाहता है कोई ऐसा हो जो उनकी लम्बी उम्र की कामना करें और करवी चौथ,और पत्नी छठ टाइप व्रत रखें |
वे जमाने लद गए जब पढ़ लिख कर लड़के कमाते थे और लडकियाँ चुपचाप सिर्फ एक दो कामवाली के भरोसे घर सम्भालती थी ..शोपिंग और किट्टी में अपना समय काटती थी ,टीवी सीरियल की बहुओं को देखकर आंसू बहाती थीं | अब लड़का लडकी बराबर हैं टाइप भाषण देने का वक्त जा चुका है अब वक्त आ गया है दिखाने का कि छोरियां छोरों से कम ना होती ..अब लडकियाँ ड्राइविंग सीट पर आकर गाड़ी चलाएंगी और घर की पतवार लडकों के हाथ में देंगी ..पढ़ी लिखी कमाऊ लडकी घर का चूल्हा चौका नहीं करेगी.. उस काम के लिए वो हाउस हसबैंड रखेगी ..एक गरीब लड़के का उद्धार करेगी वो भी बिना दहेज़ लिए …
आज की लड़कियां लड़कों से ज्यादा कमा रही है फिर भी क्यों लड़कियों से ही उम्मीद करें कि वे चौका चूल्हा सम्भालें ? क्यों हमेशा लड़की से ज्यादा कमाने वाले पति की तलाश हो ? यदि सच में समाज की दकियानूसी सोक बदलना चाहती हैं तो बराबरी वाले भाषण देना बंद करिए और उठाइए एक मजबूत कदम और ले आइये एक हाउस हसबेंड जो घर भी सम्भाले और बच्चे भी …आपकी लम्बी उम्र के लिए व्रत भी करे और जब थक कर आयें तो पानी का गिलास लेकर भी खड़ा हो | जब गाड़ी अपने हिसाब से चलानी है तो तुरंत ड्राइविंग सीट पर आइये और चला डालिए गाड़ी मनमुताबिक दिशा की तरफ और बदल डालिए दुनिया की सोच ..