“बहुतमेहनत एवं लगन से काम कर रही है।” कल ही नौकरी पर नवनियुक्त नीना के जवान एवं सुडोल शरीर को एक्स-रे की नजरों से देखते हुए बॉस अपने अधीनस्थ कर्मचारी को बोला ।
इतने में नीना बॉस के केबिन में आकर बोली,“सर अगर हम यह प्रोजेक्ट अच्छे से हैंडल कर गए तो आगे से यह बहुराष्ट्रीय कंपनी भविष्य में सारे प्रोजेक्ट हमारी कंपनी को ही देगी, जिससे कंपनी का नाम मार्केट में तो होगा ही, इसके साथ– साथ अत्यंत आर्थिक लाभ भी मिलेगा।”
“मैं तुम्हें इंटरव्यू के दौरान पहली नजर में ही भांप गया था कि तुम बहुत मेहनती लड़की हो और कंपनी को सफलता के नए मुकाम पर पहुंचा दोगी।” बॉस खुशी से चहकता हुआ बोला।
“अच्छा कल सुबह मेरे घर 7:00 बजे आ जाना। मुझे तुमसे इस फाइल से संबंधित जरूरी बातें करनी है।”
प्रफुल्लित नीना बॉस के केबिन से बाहर आकर अपनी सहेली सीमा से कहने लगी “ बॉस मेरे काम से बहुत खुश हैं। पहले ही दिन उन्होंने मेरी प्रशंसा की है।”
“तो कल तुम्हें सुबह 7:00 बजे अपने घर भी बुलाया होगा।फाइलों से संबंधित कामकाज के लिए।” सीमा की बात सुनकर नीना के कान खड़े हो गए ।
“तुम्हें कैसे पता?
“ इस दफ्तर में नवनियुक्त प्रत्येक सुंदर युवती के साथ ऐसा ही होता है।”
अगले दिन नीना बॉस के घर ना जाकर समय पर दफ्तर पहुंची । तभी उसे बॉस का संदेशा मिला। अंदर केबिन में पहुंची तो तिलमिलाए बॉस ने कहा,” इस फाइल में तुमने इतनी अधिक गलतियां की है। तुम्हें तो नौकरी पर रख कर पछता रहा हूं। कोई इतना लापरवाह भी कैसे हो सकता है।”
सीमा के कहे गए शब्द उसके कानों में गूंज रहे थे और अब पहले दिन की अपनी प्रशंसा और आज के निकाले गए दोषों का कारण नीना अच्छे से समझ चुकी थी।
“बहुत मेहनत एवं लगन से काम कर रहा है।” कल ही नौकरी पर नवनियुक्त रमेश के जवान एवं सुडोल शरीर को एक्स-रे की नजरों से देखते हुए बॉस अपने अधीनस्थ कर्मचारी को बोली ।
इतने में रमेश बॉस के केबिन में आकर बोला, “मैडम अगर हम यह प्रोजेक्ट अच्छे से हैंडल कर गए तो आगे से यह बहुराष्ट्रीय कंपनी भविष्य में सारे प्रोजेक्ट हमारी कंपनी को ही देगी, जिससे कंपनी का नाम मार्केट में तो होगा ही, इसके साथ– साथ अत्यंत आर्थिक लाभ भी मिलेगा।”
“मैं तुम्हें इंटरव्यू के दौरान पहली नजर में ही भांप गई थी कि तुम बहुत मेहनती लड़के हो और कंपनी को सफलता के नए मुकाम पर पहुंचा दोगे।” बॉस खुशी से चहकती हुई बोली
“अच्छा कल सुबह मेरे घर 7:00 बजे आ जाना। मुझे तुमसे इस फाइल से संबंधित जरूरी बातें करनी है।”
प्रफुल्लित रमेश बॉस के केबिन से बाहर आकर अपने सहकर्मी तेज से कहने लगा “ बॉस मेरे काम से बहुत खुश हैं। पहले ही दिन उन्होंने मेरी प्रशंसा की है।”
“तो कल तुम्हें सुबह 7:00 बजे अपने घर भी बुलाया होगा।फाइलों से संबंधित कामकाज के लिए।” तेज की बात सुनकर रमेश के कान खड़े हो गए ।
“तुम्हें कैसे पता?
“ इस दफ्तर में नवनियुक्त प्रत्येक जवान युवक के साथ ऐसा ही होता है।”
अगले दिन रमेश बॉस के घर ना जाकर समय पर दफ्तर पहुंचा । तभी उसे बॉस का संदेशा मिला। अंदर केबिन में पहुंचा तो तिलमिलाए बॉस ने कहा,” इस फाइल में तुमने इतनी अधिक गलतियां की है। तुम्हें तो नौकरी पर रख कर पछता रही हूं। कोई इतना लापरवाह भी कैसे हो सकता है।”
तेज के कहे गए शब्द उसके कानों में गूंज रहे थे और अब पहले दिन की अपनी प्रशंसा और आज के निकाले गए दोषों का कारण रमेश अच्छे से समझ चूका था !
ये कहानी यूं भी तो हो सकती है:
“बहुत मेहनत एवं लगन से काम कर रहा है।” कल ही नौकरी पर नवनियुक्त रमेश के जवान एवं सुडोल शरीर को एक्स-रे की नजरों से देखते हुए बॉस अपने अधीनस्थ कर्मचारी को बोली ।
इतने में रमेश बॉस के केबिन में आकर बोला, “मैडम अगर हम यह प्रोजेक्ट अच्छे से हैंडल कर गए तो आगे से यह बहुराष्ट्रीय कंपनी भविष्य में सारे प्रोजेक्ट हमारी कंपनी को ही देगी, जिससे कंपनी का नाम मार्केट में तो होगा ही, इसके साथ– साथ अत्यंत आर्थिक लाभ भी मिलेगा।”
“मैं तुम्हें इंटरव्यू के दौरान पहली नजर में ही भांप गई थी कि तुम बहुत मेहनती लड़के हो और कंपनी को सफलता के नए मुकाम पर पहुंचा दोगे।” बॉस खुशी से चहकती हुई बोली
“अच्छा कल सुबह मेरे घर 7:00 बजे आ जाना। मुझे तुमसे इस फाइल से संबंधित जरूरी बातें करनी है।”
प्रफुल्लित रमेश बॉस के केबिन से बाहर आकर अपने सहकर्मी तेज से कहने लगा “ बॉस मेरे काम से बहुत खुश हैं। पहले ही दिन उन्होंने मेरी प्रशंसा की है।”
“तो कल तुम्हें सुबह 7:00 बजे अपने घर भी बुलाया होगा।फाइलों से संबंधित कामकाज के लिए।” तेज की बात सुनकर रमेश के कान खड़े हो गए ।
“तुम्हें कैसे पता?
“ इस दफ्तर में नवनियुक्त प्रत्येक जवान युवक के साथ ऐसा ही होता है।”
अगले दिन रमेश बॉस के घर ना जाकर समय पर दफ्तर पहुंचा । तभी उसे बॉस का संदेशा मिला। अंदर केबिन में पहुंचा तो तिलमिलाए बॉस ने कहा,” इस फाइल में तुमने इतनी अधिक गलतियां की है। तुम्हें तो नौकरी पर रख कर पछता रही हूं। कोई इतना लापरवाह भी कैसे हो सकता है।”
तेज के कहे गए शब्द उसके कानों में गूंज रहे थे और अब पहले दिन की अपनी प्रशंसा और आज के निकाले गए दोषों का कारण रमेश अच्छे से समझ चूका था !
बहुत सुन्दर सामयिक कहानी।