इधर सरकार शादी की उम्र 21 करने में जुटी है। सरकार के 21 की उम्र वाले फंडे में कई कन्फ्यूजन हैं। कल को कई सवाल खड़े होंगे, लड़की आराम से कह सकती है जब मैं अठारह बरस की उम्र में देश का नेता चुन सकती हूँ तो अपने लिए पति क्यों नहीं ? उधर फिल्म वालों ने प्रेम की उम्र 16 कर रखी है “सोलह बरस की बाली उम्र को सलाम” या तू सोलह बरस की मैं सत्रह बरस का।
बेचारे बालक पहले ही भ्रमित थे फिल्मों की मानें या सरकार की। फिल्म वालों की बात के साथ तो जनता ने फिर भी एडजस्ट कर लिया प्यार और शादी को अलग करके। बेचारों को बात तो माननी थी सो स्कूल में ही प्यार-व्यार निपटाया और माता पिता की मर्जी से शादी कर ली। अब तो जमाना और तरक्की कर गया ऐसे में बहुत से मामले फंस जायेगे जैसे लिव इन में जाने के लिए भी शादी वाली उम्र देखनी होगी या प्यार वाली ?
जो लोग बेटियाँ सिर्फ ब्याहने के लिए और जनसंख्या बढ़ाने के लिए पैदा करते हैं उनके काम में अवरोध पैदा हो जाएगा सो वे अलग राग अलाप रहे हैं “ बताओ जे कोई बात है “त्रिया तेरह मर्द अठारह” होवे अब जा सरकार से कहे से घर में ही बेटी कू बूढ़ी कर लें, कहा करेगी इतने साल मायके में बैठ कर पढ़ लिख कें कौन सी मास्टरनी बनेगी ,करेगी तो चूल्हो चौका ही,जितनी उम्र सरकार कह रही है उतनी उम्र तक तो दो तीन टाबर गोदी में आ जाती, जिन्हे हर बात में घुसनों है”
उधर वे लोग अलग परेशान हैं उनकी नींदे उड़ना शुरू हो गई हैं जो बच्चियों को फुसला कर भगा ले जाते हैं । अब 21 साल की लड़की शायद अपना भला बुरा सोच पाए और किसी के फुसलाने में आकर गलत कदम उठाने से पहले सामने वाले के इरादों को भांप लेगी ।
जिस हिसाब से फिल्में और डिजिटल प्लेटफार्म ने विदेश के तर्ज पर तरक्की की है बच्चों के ज्ञान में और जिज्ञासा वृद्धि की है। फिल्म वालों को भी उम्र घटाने की जरुरत है क्योंकि इतना ज्ञान अर्जित करने के बाद जवानी सोलह बरस के होने का इंतजार नहीं करती बल्कि 12 -14 में ज्ञान चक्षु पूरी तरह खुल जाते हैं । इस देश की सरकार कितना भी भला सोच ले जनता का जनता जनार्दन है जो न तो अपनी मनमानी छोड़ेगी न ही नियमों की धज्जियां उड़ाना … जो लड़कियां पढ़ना चाहती थी वे खुश हैं । फेमिनिष्ट बराबरी पर खुश होंगी अब लड़के लड़की दोनों की उम्र 21 जो होगी । बाकी कुछ हो न हो फिलहाल फ़ेसबुक और ट्विटर पर जुगाली के लिए विषय तो मिल ही गया है सो लगे रहो मुन्ना मुन्नी टाइप भाई बहन ।