होम ग़ज़ल एवं गीत अलका मिश्रा की ग़ज़ल : दिल लगाता है अर्ज़ियाँ अक्सर ग़ज़ल एवं गीत अलका मिश्रा की ग़ज़ल : दिल लगाता है अर्ज़ियाँ अक्सर द्वारा Editor - July 4, 2019 102 1 फेसबुक पर शेयर करें ट्विटर पर ट्वीट करें tweet अलका मिश्रा तोड़ देती हैं बेड़ियाँ अक्सर क़ैद में रह के बेटियाँ अक्सर चीर देती हैं दिल के दामन को तंग ज़ेह्नों की बर्छियां अक्सर ख़्वाब आँखों में छोड़ कर आधे जाग जाती हैं लड़कियाँ अक्सर ज़ह्र रिश्तों में घोल देती हैं सख़्त लहजे की तल्खियां अक्सर नाम पर्ची पे उसका लिख लिख के दिल लगाता है अर्ज़ियाँ अक्सर जब भी सोचूँ मैं उसके बारे में याद आती हैं खूबियाँ अक्सर ज़िन्दगी औरतों को देती हैं घर की छोटी सी खिड़कियाँ अक्सर दिल में चुभती हैं आज भी मेरे टूटे रिश्तों की किर्चियाँ अक्सर संबंधित लेखलेखक की और रचनाएं डॉ. यासमीन मूमल की ग़ज़ल – दर्द मेरे थे जितने सभी मेरे दिल में निहाँ हो गए निज़ाम फतेहपुरी की दो ग़ज़लें अखिल भण्डारी की दो ग़ज़लें 1 टिप्पणी बढ़िया प्रस्तुति, जवाब दें Leave a Reply Cancel reply This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.
बढ़िया प्रस्तुति,