होम ग़ज़ल एवं गीत डॉ. यासमीन मूमल की ग़ज़ल – जग को रोशन कर दीपों का... ग़ज़ल एवं गीत डॉ. यासमीन मूमल की ग़ज़ल – जग को रोशन कर दीपों का पर्व मनायेंगे द्वारा डॉ. यासमीन मूमल - November 7, 2021 62 1 फेसबुक पर शेयर करें ट्विटर पर ट्वीट करें tweet हर दिल में आशा का झिलमिल दीप जलायेंगे। जग को रोशन कर दीपों का पर्व मनायेंगे।। नन्हे नन्हे फुलझड़ियों से बच्चों को देखो। अपने वतन का अंधियारा ये दूर भगायेंगे।। सीमाओं के रखवालों को बारंबार नमन। जिन के कारण अमनो अमां के दीप जलायेंगे।। जिनके आंगन अंधियारों के घने बसेरे हैं। उनके आंगन उजियारे त्यौहार मनायेंगे।। महलों के ऊंचे क॔गूरों से मत बहस करो। इनके नख़रे झोपड़ियों के दर तक आयेंगे।। “मूमल” की भी आज गुज़ारिश है सब मिल जुल कर। हम नफ़रत के हर पर्वत का शीश झुकायेंगे।। संबंधित लेखलेखक की और रचनाएं निज़ाम फतेहपुरी की ग़ज़ल – मुझपे नज़रे इनायत मगर कीजिए सुभाष पाठक ‘ज़िया’ की ग़ज़लें डॉ. यासमीन मूमल का गीत – उड़ जाए चुनरिया भी सर से 1 टिप्पणी बहुत खूब, बहुत सुंदर गजल है । जवाब दें Leave a Reply Cancel reply This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.
बहुत खूब, बहुत सुंदर गजल है ।