होम ग़ज़ल एवं गीत डॉ. यासमीन मूमल की ग़ज़ल – जग को रोशन कर दीपों का... ग़ज़ल एवं गीत डॉ. यासमीन मूमल की ग़ज़ल – जग को रोशन कर दीपों का पर्व मनायेंगे द्वारा डॉ. यासमीन मूमल - November 7, 2021 83 1 फेसबुक पर शेयर करें ट्विटर पर ट्वीट करें tweet हर दिल में आशा का झिलमिल दीप जलायेंगे। जग को रोशन कर दीपों का पर्व मनायेंगे।। नन्हे नन्हे फुलझड़ियों से बच्चों को देखो। अपने वतन का अंधियारा ये दूर भगायेंगे।। सीमाओं के रखवालों को बारंबार नमन। जिन के कारण अमनो अमां के दीप जलायेंगे।। जिनके आंगन अंधियारों के घने बसेरे हैं। उनके आंगन उजियारे त्यौहार मनायेंगे।। महलों के ऊंचे क॔गूरों से मत बहस करो। इनके नख़रे झोपड़ियों के दर तक आयेंगे।। “मूमल” की भी आज गुज़ारिश है सब मिल जुल कर। हम नफ़रत के हर पर्वत का शीश झुकायेंगे।। संबंधित लेखलेखक की और रचनाएं डॉ पुष्पलता की ग़ज़ल – प्यास बैठी है पास पानी के गज़ाला तबस्सुम की ग़ज़ल – बच्चों पे कुछ तो रहम किया कर ऐ मुफ़लिसी डॉ. बुद्धिनाथ मिश्र का गीत – कभी सोचा नहीं था 1 टिप्पणी बहुत खूब, बहुत सुंदर गजल है । जवाब दें कोई जवाब दें जवाब कैंसिल करें कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें! कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें आपने एक गलत ईमेल पता दर्ज किया है! कृपया अपना ईमेल पता यहाँ दर्ज करें Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Δ This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.
बहुत खूब, बहुत सुंदर गजल है ।