होम ग़ज़ल एवं गीत फ़िरदौस ख़ान की ग़ज़ल ग़ज़ल एवं गीत फ़िरदौस ख़ान की ग़ज़ल द्वारा फ़िरदौस ख़ान - March 14, 2021 151 1 फेसबुक पर शेयर करें ट्विटर पर ट्वीट करें tweet जूड़े में फूल आंखों में काजल नहीं रहा मुझसा कोई भी आपका पागल नहीं रहा ताज़ा हवाओं ने मेरी ज़ुल्फ़ें तराश दीं शानों पे झूमता था वो बादल नहीं रहा मुट्ठी में क़ैद करने को जुगनू कहां से लाऊं नज़दीक-ओ-दूर कोई भी जंगल नहीं रहा दीमक ने चुपके-चुपके वो अल्बम ही चाट ली महफ़ूज़ ज़िन्दगी का कोई पल नहीं रहा मैं उस तरफ़ से अब भी गुज़रती तो हूं मगर वो जुस्तजू, वो मोड़, वो संदल नहीं रहा ‘फ़िरदौस‘ मैं यक़ीं से सोना कहूं जिसे ऐसा कोई भी मुझसा क़ायल नहीं रहा संबंधित लेखलेखक की और रचनाएं निज़ाम फतेहपुरी की ग़ज़ल – मुझपे नज़रे इनायत मगर कीजिए सुभाष पाठक ‘ज़िया’ की ग़ज़लें डॉ. यासमीन मूमल का गीत – उड़ जाए चुनरिया भी सर से 1 टिप्पणी दीमक ने चुपके-चुपके वो अल्बम ही चाट ली महफ़ूज़ ज़िन्दगी का कोई पल नहीं रहा जवाब दें Leave a Reply Cancel reply This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.
दीमक ने चुपके-चुपके वो अल्बम ही चाट ली
महफ़ूज़ ज़िन्दगी का कोई पल नहीं रहा