होम ग़ज़ल एवं गीत निज़ाम फतेहपुरी की ग़ज़ल ग़ज़ल एवं गीत निज़ाम फतेहपुरी की ग़ज़ल द्वारा निज़ाम फ़तेहपुरी - March 20, 2022 114 0 फेसबुक पर शेयर करें ट्विटर पर ट्वीट करें tweet शिकवा गिला मिटाने का त्योहार आ गया। दुश्मन भी होलि खेलने को यार आ गया।। परदेसी सारे आ गए परदेस से यहाँ। अपना भी मुझको रंगने मेरे द्वार आ गया।। रंगे गुलाल उड़ रहा था चारों ओर से। नफ़रत मिटा के देखा तो बस प्यार आ गया।। ठंडाइ भांग की मिलि हमनें जो पी लिया। बैठा था घर में चैन से बाज़ार आ गया।। मजनू पड़े हैं पीछे मुझे रंगने के लिए। धोखा हुआ पहन के जो सलवार आ गया।। सब लोग मिल रहे गले इक दूजे से यहाँ। लगता है मुरली वाले के दरबार आ गया।। खेलो निज़ाम रंग भुला कर के सारे ग़म। सबको गले लगाने ये दिलदार आ गया।। संबंधित लेखलेखक की और रचनाएं नीलम वर्मा की ग़ज़ल त्रिलोक सिंह ठकुरेला का गीत – मैं उजाला बाँटता हूँ, तिमिर में डूबे घरों में डॉ. रश्मि कुलश्रेष्ठ के दो गीत कोई जवाब दें जवाब कैंसिल करें कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें! कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें आपने एक गलत ईमेल पता दर्ज किया है! कृपया अपना ईमेल पता यहाँ दर्ज करें Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Δ This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.