होम ग़ज़ल एवं गीत डॉ. गुरविंदर बंगा की ग़ज़लें ग़ज़ल एवं गीत डॉ. गुरविंदर बंगा की ग़ज़लें द्वारा डॉ. गुरविंदर बांगा - November 1, 2020 86 0 फेसबुक पर शेयर करें ट्विटर पर ट्वीट करें tweet 1 हाकिम ने दस्तख़त किए, सौदा भी पट गया अच्छा भला दरख़्त कुल्हाड़ी से कट गया कुछ ऐसे लोग भी हैं सियासत में इन दिनों जिस के भी पांव छू लिए क़द उस का घट गया जब मैं ने सच कहा, मेरे अपने उदास थे दुश्मन तो आ के मेरे गले से लिपट गया रिश्तों की भीड़ भाड़ में अपनों की थी तलाश सब ठीक ठाक ही था मगर दिल उचट गया मैंने परख लिया है, बताता हूं क्या है मौत इक फ़ैसला जो वक़्त के हक़ में पलट गया ‘बांगा’ तबादले की ख़बर सुन के ख़ुश हैं सब ईमानदार राह का रोड़ा था, हट गया 2. मुझ को मेरा यक़ीन दे देगी मौत दो गज़ ज़मीन दे देगी सोचता हूं ख़ुदा से क्या मांगूं अब तो सब कुछ मशीन दे देगी ऐसा लगता है अब सियासत ही सांप के मुंह में बीन दे देगी मांगिए मत कभी रिआया से खुद ही ताज़ातरीन दे देगी धरती बन्जर सही मगर ‘बांगा’ थोड़ा मोटा महीन दे देगी 3 पूंजीपतियों और ऊंचे कारख़ानों के लिए कुछ नए एलान होंगे फिर किसानों के लिए जो हुकूमत बाढ़ सूखे बर्फ़ पर पर ख़ामोश थी आज कल बेचैन है शाही मचानों के लिए ऐश में डूबी सियासत गांव से दिल्ली तलक इस तऱफ बेरोज़गारी नौजवानों के लिए इस लिए मेहनतकशों की भीड़ है फ़ुटपाथ पर क़र्ज़ मिलता ही नहीं कच्चे मकानों के लिए पंख के सपने यहां ‘बांगा’ किसी ने बोए फिर लोग फिर तैयार हैं ऊंची उड़ानों के लिए 4 भूख, रोटी, हक़ सी बहकी बातें क्यों करने लगा यह बशर बेमौत आख़िर किस लिए मरने लगा जब लगा, इंसान सारे एक हो जाएंगे, तब ज़ह्र धीमा सा रगों में रहनुमा भरने लगा गिद्ध, नेता, वर्दियां मंडरा रहे हैं रात दिन हादसा दर हादसा है, शहर फिर डरने लगा फिर किसी अबला के ऊपर धर्म की होगी दया फिर पुजारी इत्र, संदल, फूल, फल धरने लगा लोग मुद्दत से अंधेरे की गुफा में क़ैद थे आप ‘बांगा’ आ गए तो नूर सा झरने लगा संबंधित लेखलेखक की और रचनाएं डॉ रूबी भूषण की ग़ज़ल – हम को जीना पड़ा जतन कर के सतीश उपाध्याय का नवगीत – मुझ में ही सपने पलते हैं आशा शैली की ग़ज़ल – साथ तू था न तेरा साया था कोई जवाब दें जवाब कैंसिल करें कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें! कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें आपने एक गलत ईमेल पता दर्ज किया है! कृपया अपना ईमेल पता यहाँ दर्ज करें Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Δ This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.