मन के द्वारे पर
खुशियों के
हरसिंगार  रखो.
जीवन की ऋतुएँ बदलेंगी,
दिन फिर जायेंगे,
और अचानक आतप वाले
मौसम आयेंगे,
संबंधों की
इस गठरी में
थोड़ा प्यार रखो.
सरल नहीं जीवन का यह पथ,
मिलकर काटेंगे,
हम अपना पाथेय और सुख,दुःख
सब बाँटेंगे,
लौटा देना प्यार
फिर कभी,
अभी उधार रखो.
त्रिलोक सिंह ठकुरेला समकालीन छंद-आधारित कविता के चर्चित नाम हैं. चार पुस्तकें प्रकाशित. आधा दर्जन पुस्तकों का संपादन. अनेक सम्मानों से सम्मानित. संपर्क - trilokthakurela@gmail.com

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