चाहत है
हसरत है
दौलत है
लानत-मलानत भी है
पर वो नहीं है
जिसके लिए हमारी
ये हालात है।
आहट है
रुकावट है
बेमजा सी
थकावट भी है, पर
इश्क़ में
तुमसे,लबों
पर एक
मुस्कुराहट भी है।
रिश्ते हैं,
रिश्तेदार भी हैं
यारों के यार
भी हैं
पर हम ना
जाने क्यों
अब भी तेरे ही
तलबगार भी हैं।