यूं झूमकर चली एक दिन पूरब से पुरवाई
हिलने लगा हर पत्ता बूटा, कली और अमराई,
झूम झूम कर अनजाने में पहुंच गई पश्चिम की ओर
नए-नए सब चेहरे देखे, नया जमाना, नया दौर….
यूं ही मस्ती में घूमते पहुंच गई लंदन शहर
चल रही थी वहां ज़ोर की ठंडी शीतलहर,
बड़े-बड़े महल, गगनचुंबी इमारतें वहाॅं
ब्रिटेन की महारानी रहती थी जहाॅं…
गोरे चिकने लोग वहां पर
बिग बेन, लंदन आॕय वहां पर
सारा दिन घूमी फिरी पुरवइया चितचोर
लगी याद घर की सताने तो मुड़ी पूर्व की ओर…
जब घूम फिर के लंदन शहर वो आई
थोड़ा मंद मंद मुस्कायी,
आंखों देखी अपनी उसने
फिर बच्चों को सुनायी….
नव जीवन से भरी पुरवाई ने
बच्चों को यह बात समझायी,
प्रदूषित मुझे ना होने देना, प्रदूषण से रखना दूर
मैं साॅंसे दूंगी भरपूर, बीमारियों से रखूंगी दूर.…
प्यारे बच्चों ! पुरवाई की बात मानना तुम जरूर
वरना जहरीली आबोहवा में रहने को हो जाओगे मजबूर,
ये पुरवाई कितनी शांत और कितनी है सुखदायी
इसकी रक्षा को बच्चों रहना तुम उत्तरदायी…।।