सपनों से वो दिन थे अपने,
सपनों सी वो रातें,
सच्ची सच्ची सी लगतीं थीं
तेरी झूठी सच्ची बातें।
ख़्यालों भरे दिलों में,
न थे सवाल कोई आते,
प्यार भरे जीवन के दिन थे,
थीं वो सुहानी रातें।
मन ही मन बतियाते थे
चोरी चुपके से मिलते,
यादों के वृंदावन में फिर
होतीं थीं मुलाक़ातें।
सुन मधुर धुन बंसी की,
मिल गीत नया कोई गाते,
अनोखी सी दुनिया अपनी
थे जीवन जहाँ मुस्कुराते।