Friday, October 11, 2024
होमकवितासुमन शर्मा की कविता

सुमन शर्मा की कविता

सपनों से वो दिन थे अपने,
सपनों सी वो रातें,
सच्ची सच्ची सी लगतीं थीं
तेरी झूठी सच्ची बातें।
ख़्यालों भरे दिलों में,
न थे सवाल कोई आते,
प्यार भरे जीवन के दिन थे,
थीं वो सुहानी रातें।
मन ही मन बतियाते थे
चोरी चुपके से मिलते,
यादों के वृंदावन में फिर
होतीं थीं मुलाक़ातें।
सुन मधुर धुन बंसी की,
मिल गीत नया कोई गाते,
अनोखी सी दुनिया अपनी
थे जीवन जहाँ मुस्कुराते।
RELATED ARTICLES

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Most Popular

Latest