Saturday, July 27, 2024
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अर्चना चतुर्वेदी की चुटकी – भक्ति का झरना

हमारे देश के लोगों में भक्ति भाव लबालब भरा है ,अब चाहे देशभक्ति ,भगवान की भक्ति या कोई और भक्ति  ये बात और है कि वे अपने भावों को दुबका कर रखते हैं  मौका मिलते ही भक्ति का झरना बहने लगता है ।   जिस तरह देश भक्ति दिखाने के लिए स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस जैसे दिन हैं,  इन दिनों अचानक से हर तरफ देशभक्त दिखने लगते हैं ,ललबत्ती पर भी झंडे बिकने लगते हैं , हर तरफ देशभक्ति के गाने सुनाई देने लगते हैं ,लोगों की शर्ट पर झंडे वाले बैच दिखने लगते हैं , लोगों के कपड़े से लेकर चेहरे तक पर तिरंगा दिखने लगता है वैसे ही नवरात्र आते ही देवी माँ की भक्ति की गंगा जमुना बह निकलती है। 

हर तरफ से”चलो बुलाया आया है माता ने बुलाया है” टाइप  गीत सुनाई पड़ने लगते हैं ,घर घर कीर्तन वाली आंटियों के जमघट लगने लगते हैं ,बाजार भी  माता की चुन्नी और नारियल से अटे होते हैं । रोज मुर्गे में कुट्टा लगाने वाले अचानक सेब और अमरूद में कुट्टा लगाने लगते हैं । तेल में डूब मसालेदार भोजन त्याग कर सात्विक भोजन करने लगते हैं।  प्याज लहसुन भी रसोई से बाहर खड़े टकटकी लगाए जीरे के तड़के से जलते हैं। लोग अंगूर की बेटी से दूरी बना ससुर की बेटी के साथ आरती का थाल पकड़े नजर आते हैं । हर घर से धूप दीप की खुशबू आती है और जयकारे की आवाज से माहौल भक्तिमय रहता है । 
माथे पर टीका लगाए लोग थाली भर फल और लोटा भर लस्सी पीते हुए बड़े ही चौड़े होकर अनाउंस करते हैं “अजी अपन तो पूरे नौ दिन माता के व्रत करते हैं माता की पूजा करे बिना पानी भी नही पीते ।” सुनने वाला उन्हें देखता है और वृद्धाश्रम में पड़ी उनकी मां के बारे में सोचता है और मंद मंद मुस्कुराता है और सोचता है ‘जन्म देने वाली माँ की भी सोच लेते भगत जी’ पर मन मसोस कर ही रह जाता है।
बेटी पैदा करने पर बहु को रात दिन कोसने वाली सासू मां भाव विभोर हो मुहल्ले भर की कन्याओं को पूजती हैं और अपनी पोतियों को दिनभर दुत्कारने वाली दादी माँ आज उन्ही पोतियों पर लाड़ की वर्षा करती हैं। ‘माँ दादी रोज इतनी अच्छी क्यों नहीं हो सकती?” पोती के इस मासूम सवाल का जबाब उनकी माँ के पास भी नहीं क्योंकि भक्ति तो रोज जग नहीं सकती।
हर कदम पर औरत को कमजोर साबित करने वाले नौ दिन शक्ति के नौ रूपों की पूजा करेंगे । सालभर भक्तों का इंतजार करते मंदिरों में भी अचानक भक्तों की बाढ़ आ जाती है । चुन्नी और नारियल के बड़े बड़े पहाड़ बन जाते हैं । डांडिया और जगराते के उत्सवी माहौल के बीच माता रानी आएंगी और पूरे नौ दिन भक्तों के बीच मगन रह हलवा पूरी चना खा कर विदा हो जाएंगी । विदाई   के साथ ही माता के मंदिर सूने हो जाएंगे और  सूनी पड़ी मीट मुर्गे की दुकाने फिर गुलजार हो जाएंगी अंगूर की बेटी को बगल में दबाए ससुर की बेटी को फिर दूर धकेल दिया जाएगा । 
भक्ति भाव फिर से कमरे की खूटी पर टंगा छ महीने पूरे होने का इंतजार करेगा। 
जोर से बोलो … 
जय माता दी 
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