तुम्हारी गीली आँखों में अक्षर कई तस्वीरें हैं कूट भाषा की डोरियाँ हैं एक पुराकथा का अकुलाता विस्तार है
तुम्हारी गीली आँखों में जीवन की गहराई को पा लेने वाली धरती में समाती पानी की प्यास हैं
तुम्हारी गीली आँखों में रहस्यमयी कहानियों के रंगों का घोल है एक सोंधी उसांस है
तुम्हारी गीली आँखों में मिट जाने वाले सपने हैं सपनों में बसा न मिटने वाला जीवन हैं
तुम्हारी गीली आँखों में अब तक न गाया जा सका संगीत है जिसमें अनगिनत राग हैं जिसमें अनगिनत आलाप हैं
तुम्हारी गीली आँखों में एक अपराजेय साहस है ……
2- बस चुपचाप
तुम्हारे मजबूत घाट और मेरी शांत नदी के मध्य तैरता है हमारा अतीत बस चुपचाप …. शिरा-जालों के नेपथ्य में भोले सपनों का संगीत तुम्हारे स्पर्श से गूँज उठता है बस चुपचाप … तुम्हारे होठों पर पड़े शब्द झर जाते हैं मेरे मन पर बिछने के लिए तुम्हारी स्वरलिपि को पढ़ने के बाद बस चुपचाप ….. मौन प्रेम और सूने सन्नाटे आपस में गढ़ते रहे कई अनहद नाद बस चुपचाप …
और तुम कविता बन यथार्थ को नजदीक से देख दूर की सोचते रहे बस चुपचाप …..