Saturday, October 12, 2024
होमकहानीसंगीता सिंह की कहानी - ये कैसा वादा

संगीता सिंह की कहानी – ये कैसा वादा

जब भी डोर वेल बजती है नीलम एकदम सुधबुध गबाये हुए दौड़ पड़ती है दरवाजे की ओर , इसी उम्मीद में कि शायद पिछले दिनों जो हुआ, काश!वह सब झूठ हो और कहीं से मेरा सोमेश आये और कहे क्यों क्या हुआ??इतनी उदास क्यों हो चलो मैं आ गया हूँ न, अब सब सही होगा। लेकिन जैसे ही पता चलता है दरवाजे पर कोई और है नीलम की आँखों में फिर वही आँसुओ का झरना वह निकलता है ,, जो न किसी के थामने से थमता है और न ही किसी के रोके रुकता है।जो भी सुनता है यही कहता है कैसी अभागी लड़की है ,भगवान ने इसकी किस्मत लिखते जाने किस जनम का बैर निकाला है बेचारी से । जिस ने पैदा किया वह जन्म देते ही दुनिया से अलविदा कह गयी ।
अब जाके लग रहा था कि यह लड़का नीलम की अंधेरी सी इस जिंदगी में उजाला भर देगा लेक़िन…..! लेक़िन क्या ??नीलम जोर जोर से रोते हुए ,कुछ नहीं हुआ है मेरे सोमेश को वो हॉस्पिटल में है तो क्या ?वो बहुत जल्द ठीक होकर मेरे घर आएगा मुझे लेने के लिए…..उसने फोन पर यही तो कहा था।पापा मैंने आपको बताया तो था ,आप भूल गए क्या?नीलम के पापा भी अपनी आँखों में आँसू छिपाए अंदर कमरे में चले गए।
नीलम रोते -रोते  अतीत की यादों में खो जाती ।सोमेश से उसकी पहली मुलाकात का वह सुखद क्षण कैसे भूल सकती है,,और वह निकल पड़ती है अतीत रूपी समुद्र में गोते लगाने को
कॉलेज का पहला दिन था,और नीलम पहले ही दिन लेट हो गयी जब नीलम क्लास में पहुँची तो क्लास चल रही थी ,,मे आई कमिंग मैम ? मैम, नो..
मैम प्लीज आज के बाद फिर कभी ऐसा नहीं होगा। ओह्ह तो आगे से नहीं होगा,चलो बैठो,मैडम गुस्से में बोली, पूरी क्लास हँस पड़ती है नीलम नीचे सिर झुकाए बैठ जाती है।
क्लास खत्म होते ही एक अजनबी लड़के ने आकर पूछा, कुछ प्रॉब्लम  क्या है ?? आप कौन होते हो पूछने वाले मैं आपको जानती भी नहीं! वह लड़का ,अरे!आप तो बुरा मान गयीं ,मुझे आपके चेहरे पर परेशानी की लकीरें दिखी तो पूछ लिया ।
तुम जैसे लड़कों को मैं खूब जानती हूं क्यों इतनी हमदर्दी दिखा रहे हो सब पता है।उस लड़के का नाम सोमेश था ।सॉरी आपको अगर बुरा लगा है तो ,बट मेरा इंटेंशन गलत नहीं है। फिर भी मैं माफ़ी मांगता हूं।यह कहकर सोमेश वहां से निकल गया ।और नीलम को सुबह अपने साथ हुई झगड़े की सोचकर रुआई सी आ गयी ।हे प्रभु मैंने तेरा क्या बिगाड़ा था जो तूने मेरे ऊपर से ममता का साया ही छीन लिया 
क्या गुनाह हुआ मुझसे जो मेरी माँ मुझसे मिले बगैर ही चली गई, जब तक दादी थी तब तक तो छोटी माँ फिर भी ठीक था लेकिन अब रोज रोह झगड़े क्या करूँ??कहाँ जाऊ?? कुछ समझ नहीं आता। अगर किसी होस्टल में रहने की कहती हूँ तो छोटी माँ कहती है, जानती हूँ तू क्या करेगी वहाँ जाकर घर के काम से भागना चाहती है, देखो मैं कह देती हूँ इज्जतदार लोगों की बेटियाँ यूँ होस्टल वोस्टल में जाकर नहीं पढ़ती,घर में क्या दिक्कत है इसे, पापा इस बात को कभी समझ न सके ।
यह सोचते सोचते नीलम की आँखों मे आँसू छलक आये,इतने मैं सेकेंड पीरियड का टाइम हो गया और सोमेश जैसे ही अंदर आता है तो नीलम उसे आँसू पोंछते हुए दिखी ,उसने देखकर भी अपनी आंखें नीची कर ली ,और अपनी नोटबुक उलटने पलटने लगा दिखाना चाहता था कि मुझे कोई मतलब नहीं है तुमसे, नीलम भी पढ़ने लगती है, कॉलेज आते जाते रोज सोमेश उसे किसी न किसी बहाने से मिल ही जाता धीरे धीरे दोस्ती होने लगी सोमेश क्लास का एक्सलेंट स्टूडेंट था ।नीलम भी पढ़ाई में कम होशियार नहीं थी अगर उसे पढ़ने के लिए भरपूर समय मिलता तो वह कॉलेज क्या,यूनिवर्सिटी टॉप करती।
फिर भी वह हमेशा अच्छे नंबरों बसे पास होती ।कॉलेज खत्म होते होते एहसास हुआ कि एक दूसरे के दुःख सुख बांटते बांटते कब उनकी दोस्ती प्यार में बदल गई पता ही न चला नीलम किस तरह जिंदगी जी रही है अब सोमेश से कुछ न छिपा था।इसलिए वो अक्सर कहा करता था, अब सब सही होगा, मैं आ गया हूँ न,तुम्हें बहुत जल्द इस तरह की जिंदगी  से आजाद करा लूँगा।
तुम्हारी यह परीक्षा अब ज्यादा दिन नहीं चलेगी ।नीलम कौन सी परीक्षा?? अरे जो परीक्षा भगवान आज तक तुमसे लेता आया है, नीलम मुस्कुराते हुए अच्छा जी वो कैसे? क्योंकि मेरे मम्मी पापा बहुत जल्द तुम्हारे घर जाने वाले हैं हम लोगों की शादी बात करने के लिए,अरे! तुमने यह सब अपने मम्मी पापा क्यों बताया,पता नहीं अब वो हमारा मिलना जुलना बंद न करा दे।नीलम घबराहट में बगैर सुने समझे कहे जा रही थी।
 मैं तुम्हारे बिना एक पल भी नहीं जी सकती।अरे, अरे ऐसा कुछ नहीं होगा मेरे पेरेंट्स मुझसे बहुत प्यार करते हैं जैसे ही मैंने तुम्हारे और मेरे बारे में बताया वो झट से राजी हो गए,बिकॉज़ माय पेरेंट्स इस द बेस्ट पेरेंट्स।नीलम की आँखों में खुशी के आँसू झलक आये मानो कोई वर्षों की प्रार्थना कुबूल हुई हो ,फिर एकदम बेचैन होकर, मग़र मेरे घर वाले मानेंगे क्या? क्यों नही?सोमेश ने कहा ,मैं कल ही अपने मम्मी पापा को तुम्हारे घर भेजता हूँ बात करने के लिए ,लेक़िन अगर ,लेक़िन अगर मग़र छोड़ो वो सब मैं देख लूँगा ।तुम बस कल तैयार रहना मेरे मम्मी पापा एक ही नज़र में पसंद आनी चाहये , नीलम ने मुँह बनाकर नहीं आयी तो ,तो क्या तो भी बनोगी तो तुम मेरी ही बीबी ।अगले दिन ही सोमेश के माता पिता दोनों नीलम के घर आते हैं उन्हें नीलम बेहद पसंद आई नीलम के पापा तो बहुत खुश थे  मन ही मन सोचने लगे चलो नीलम को अच्छा घर परिवार मिलेगा जो सुख मैं उसे न दे पाया कम से कम उसके ससुराल में तो मिलेगा ।हाँ उसकी छोटी माँ जरूर खामियां निकालने में लगी थी लेक़िन बाद में चलो सिर बला टलेगी सोचकर राजी हो गयी । घर में शादी की तैयारियां चल रही थीं इसी बीच सोमेश का इंटरव्यू था दिल्ली में ,सोमेश आठ मार्च को ही दिल्ली निकल गया था
नीलम वर्तमान में लौट आई सब कुछ तो ठीक था दस मार्च को दिल्ली में उसका इंटरव्यू था जिसके लिए वो गया था पहुँचकर उसने बताया कि इंटरव्यू एकदम मस्त रहा, दो तीन में मुझे अपॉइंटमेंट लेटर मिल जाएगा और हम जल्द शादी करके दिल्ली सेटल हो जाएंगे । दो दिन बाद नीलम ने फोन किया कि सोमेश फोन क्यों नहीं आया तुम्हारा कुछ नहीं बस अभी तबियत कुछ ठीक नहीं है बस, क्यों क्या हुआ?नीलम ने पूछा, बस कुछ नहीं सिर दर्द,बदन दर्द,तेज बुखार है जाँच रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आयी है पंद्रह दिन में ठीक हो जाऊँगा  जैसे ही ठीक होता हूँ वापस आता हूँ….
वापस…….वापस….सोमेश तो नहीं आया।
सिर्फ़ खबर आई………सुनते ही नीलम धड़ाम से चक्कर खाकर गिर गयी ।
संगीता सिंह
संगीता सिंह
सहायक प्राध्यापक( हिंदी) शा. स्नातकोत्तर महाविद्यालय श्योपुर मप्र
RELATED ARTICLES

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Most Popular

Latest