उसका रंगगहराकाला है, दुबलापतलामध्यम कद। कुछभीऐसानहीं कि, कोईघरबारबच्चों वालीऔरतउसके पीछे अपनाबसासंसार छोड़छाड़के चलीआये। परप्रेमकुछभीकरासकता।
रहिमन सोनकछुगनैजासोंलागोनैन सहि के सोच बेसाहियोगयोहाथकोचैन।
पिछलेपच्चीस छब्बीस सालसेदेखरहीहूँउसे। कभीसालदोसालकेलिए इधरउधरहुआफिर वापसयहींआगया। यहीहालमेराभीथा। मैने भीबीचमेआसपास स्थानान्तरण लिया, फिर घूमफिर करयहींआगयी । ईश्वर किसीको कंगाल नहीं भेजता। हरजीवमेकोईनकोई विशेषता होतीहीहै। कन्हैया लालमेंभीएकखूबीथीउसकासधाहुआगला। विभाग काकोई कार्यक्रम होतातोउसकागानाएकआकर्षणहोता। क्यातोगलापायाथाकमबख़्त ने। रफी ,किशोरऔरमुकेशतीनों केगानेपूरेकांफिडेंससे गाता। पलपलदिलकेपास रहतीहो ,और, ‘ जिसगलीमेंतेराघरनहोबालमा ‘ मेदिलहीनिकालकररखदेता। गानेपरहीलूट गयीहोगीमरीजीजानसे।
इधर छुट्टी में गाँव माता पिता पत्नी के पास न जाकर वहभाईके पासइलाहाबाद जानेलगाथा। जबनहीं तबछुट्टी कीदरख्वासलेकरआजाता।
” भाई ठीक तो है न… बारबार क्योंजातेहो? सारीछुट्टी खत्महोजायेगी ”
भाई तो ठीक था उसका। इसबारआयातोसाथमेउससेएकहाथऊँचीऔरतथी। कालोनीमेंखुसफुसमचगयी। कन्हैया लालकीपत्नी कोसबसे देखाथा। छोटेसेकदकीगोरीचिट्टी सुंदरसीलड़की थी सुधा। शादी केतुरंतबाद लायाथाअपने साथ ।जच्चगीके लिए मैकेगई थी, वहीसेससुराल चलीगई।ससुरकापोतामोहउमड़पड़ाथा। सासभीबहूपोतेकाकुछदिनदुलारकरनाचाहते थी। अकेली बहूछोटेसेबच्चे केसाथ भलापरदेसमेकैसेरहेगी ? कन्हैयाकीतोड्यूटी कभीरातबिरातभीलगती। अभीतोशहरसेपैंतालीस किलोमीटर दूरड्यूटीहै। वहींक्वार्टर है। छोटासास्टेशन हैसुनसान सा। कुछपैसेंजर ट्रेन हीरुकी हैंवहां। शामसेहीसन्नाटा पसरारहताहैबस्तीभीदूर है। सासजबबहूऔरपोतेकोलेकर आईतोवहाँ कीअसुविधा देखकरउल्टेपैरोंदोनों कोलेकर वापसहोली। ईकोईभलेलोगों केरहनेकीजगहहै? ।एकक्वार्टर सेदूसराइतनादूरहैकि, कोईगटईदबादेतो पतानचले। कहतेहैंशामेसेसियारलकड़बग्घा घूमने लगते।कंहैयारहे यहाँ। जबशहरमेबदलीहोजायेगीतबरक्खेंगेअपने साथ बहूबेटेको।
यही कन्हैया जब कलकत्ते से जवान जहान औरत के साथ लौटातोसभीकेचेहरेफक्कपड़गए। कौनहै ये? कहाँ कीहै? कन्हैया केसाथ क्योंरहरही?
कुछ दिनों मे कन्हैया के भैया भाभी भी आ पहुँचे बड़े साहब के पास दोनों जनन कन्हैया कीकरतूतलेकरपहुँचे – समझाओ साहब। अंधेरमचाने है… दूसरेकीऔरतलेकरभागआयाहै। तीनबच्चों कीमहतारीहैउ।
साहब का समझाते । इश्क़ का भूत दोनोंपरजबरदस्त चढ़ा था। कन्हैया उसीकेचक्कर मेजबतबकलकत्तेदौड़ लगातेरहतेथे। उसकापतिभैयाकापड़ोसीथा। रातकीड्यूटी होतीबेचारे कीतोरातगुलजारकरनेकन्हैया उसकेघरपहुँचनेलगे। पहलेतोमामलाबातचीत, चायपानी तकहीसीमित रहा।बैठकके आगे पैठनहीं हुई। गृहणीबेचारीपड़ोसिन केदेवरको देवरसमझहीइज्जत देती, पतिकेदोस्त काभाईहै, बेचारायहाँकहाँबैठे, किससेबोलेबतिआये?
कन्हैया समझतेथेउनकारंगरूप भौजीकोउनके प्रतिअरूचिहीउत्पन्न करताहै। काशएकबारअपने टैलेन्टकाप्रदर्शन करपाते ।मौकाभीजल्दीमिलगया। भतीजेकाजन्मदिन पड़ा। उसजमानेमें मंदिरजाकर टीकालगाकर , प्रसाद बांधकर जन्मदिन मनालियाजाताथा। परकन्हैया थे, तोभलाभतीजेके जन्मदिन पररौनकक्योंनहोती। केकआर्डर हुआपड़ोसियोंकोन्यौतामिला, अगलबगलकीदोतीनकर्मठगृहणियांदुपहर सेआगयींरसोईसंभलवाने। जाहिरसीबात थीसरोजभीपड़ोसीधर्म निभाने दुपहरसेशपहुँचीथी। शामकोबाहरअहातेमेंकालोनी घरोंसेमंगवायेकुर्सी मेजोंऔरपड़ोसियोकेघरोंसेमंगाया बर्तनोसेपार्टी कारंगजमाऔर असलीसमातोतबबंधाजबकन्हैयानेअपनीसधी औरमधुरआवाज़ मे ‘ तुमअगरसाथ देनेकावादा करो, मैयूँ हीमस्तनग़मा लुटाना चलूं ‘ गानाशुरू कियातोलोगों के मुंहखुलेरहगये। फिर तोएकके बाद एकनग़मोकीपैमाइश होनेलगी। कन्हैया भीमौजमेथे। बड़ीअदासेगाने केबीचमेंसरोजकोदेखलेतेखूबगहरीनजरोंसे। मानोंकहरहे हो ं, येसारेगीतआपके चरणों में अर्पणहै।
– पल पल दिल के पास तुम रहती! जादुईआवाजकोईकिसी कोयेमहसूस करातेहुएगायेकिवोउसीकेलिए गारहातोक्यों नकोई सुधबुधभुलादे।फिर तोसरोजभी आकर्षित होगई कन्हैयाकीतरफ। कन्हैया केजादूनेइसकदरजकड़ा कि, पतिबच्चों कीचै पेंपेखीजलगनेलगी। प्रेमनामकी शै कोफिल्मोंमेदेखाजानाथा, किताबों मेपढ़ाथापरमहसूस नही कियाथासरोजने। विवाह हुआ, तीनबच्चे हुएपरपतिकेलिए दिलकभीवैसेनधड़काजैसेकन्हैया केलिए धड़कताहै। उसकीआवाजरोमांचित करदेतीहै, दिन रात जैसेकिसीनशेमेबेसुधहोतीहैवो।हरआहटउसेचौंका देतीहै। पतिटोकनेलगेहैं – कहाँ रहताहैतुम्हारा ध्यान आजकल?
जैसे कोई चोरी पकड़ी गई होउसकी ।वहहड़बड़ा करछोटकेकाकोईकाम करनेलगतीहै।छोटकेसेउसेबहुतमोहहै। पेटपोछनाबेटाहै, एहीसे दुलारज्यादा पाताहैवो। अपने पापाकातोजानपरानहैछोटका। जबतकपापाघरमें होते, छोटकाकभीउनके गलेमें झूलता, कभीपीठपर। दूधपाएगा तोपापाकेहाथों से, खाना खायेगातोपापाके हाथों से। नहानाकपड़ापहननासबपापाकेसाथ। साइकिल परआगेलगीछोटीसीसीटपरबैठवहबाजार जातापापाके साथ ।जातक पापाघरमेहोतेछोटकाकेनक्शेहीनहीं मिलते। बड़ेभाइयोंकोतोधमकाना ही, माँपरभीरोबजमाता।
हफ्ते भर बाद कन्हैया वापस आ गये। परमनतोसरोजके आँचल मेगठियाआयेथे। कहीं राहतनहीं। दोस्त यार, सिनेमाकहीं मननलगे। गाना गानेआदतथी, वहीसहाराथा – ‘ यादआरही है, तेरीयाद आरही है ‘ गाकरआँसू बहाते।मनज्यादा घबरायातोदोदिन कोगाँवचलेगये। पत्नीपूरेदिन सेथी ,अबतबलगाथा। नमनबहलसकानतनहीआरामपासका। गर्भवती पत्नीकेकष्टकारी अवस्था के मद्देनजरपतिउसके कष्ट मेंसहाराबननेकेलिए गाँवआयेहैंऐसासोचकरपत्नीकेदिल मेकन्हैया केलिए प्रेम केसाथ आदरभावकापार्दुभावभीहुआजोगृहस्थी मेंलगभगअनहोनी घटनाकीतरहदेखीजानीहै। पतिसेप्रेम करनापत्नीकाकर्तव्य हैपरआदरदिखानामजबूरी। ऐसाकमहीहोताहैकि, जोआदरपत्नी केहृदयमेउठावोदाम्पत्य केदैनंदिनी मेंदीर्घावधि तकबचाभीरहजाए ।यहाँ भीयेआदरक्षणिकहीरहपाया। सुबहकन्हैया खीजेहुएथेऔरपत्नी आहत। पत्नीकीडबडबाईशिकायतीआंखों कीताबकन्हैयाज्यादा नहीं झेलपाये, फौरनवापसलौटआये।
सरोज की याद विह्वल किये थी कन्हैया को। पत्रलिखें, तो पकड़ेजाने काडरथा।सरोजकेपतिकीड्यूटीतोरातकीरहतीथीअक्सर , दिन मेतोवहघरमें हीरहताथा।पत्र लिखनेपरपकड़ेजानेकीपूरीसंभावनाथी। परदिलकाहालसरोजतकपहुँचानाभीलाजिमीथा। ग़ालिब योहीनहीं फरमा गये – येवोआतिशहै जोलगायेनलगे, बुझायेनबुझे। बड़ी फेरमेपड़गयेथेकन्हैया। जबजलनहदसेबढ़गयीतोफिर छुट्टी कीअर्जीलगाकर कल्कत्तेनिकललिए। हफ्तेभरबाद लौट तोअकेलेनहीं थे। साथमेंहाथभरलम्बाघूंघटकरेसरोजभीथी।।रेलवेकॉलोनी मेसुगबुगशुरुहोगयी। पहलेतोसभीनेयहीसमझाकि, कन्हैया पत्नीको साथलायेहैं ।पर, कन्हैयाकीपत्नी कोतोबच्चाहोनेवाला था।फिर बच्चाकहाँगया? क्वार्टर सेकिसी बच्चे कीहंसने रोनेकी आवाज़ तो सुनाईनही देती
राज आखिर कबतक राज रहता… जल्द हीसबकोपताचलगया। अॉफिसमें सबनेकन्हैयाकोसमझाने कीचेष्टा कीपरकन्हैया तोइश्क़ में होशोहवासगुमकियेबैठेथे। जिसकीबांहपकड़लिएभलाकैसे छोड़दें। स्टाफकेलोगों नेनौकरी जाने काडरदिखायापरइश्क़ के फितूरकेआगेग़म-ए–रोजगार कीक्याबिसात। कन्हैया अपनेमेऔरसरोजमेंमगनथे।
राजेउल्फतखुलचुकाथा। कलकत्तेमेंबड़ेभाईऔरउनकापरिवार, कन्हैया कीकरतूतके कारणशर्मिंदगी उठारहे थे। औरसरोजकापतिअलगएकमुफ्त काकलंकढोरहाथा। दोनों नेअपना स्थानान्तरण अन्यत्र करवालिया। कन्हैयाकेगाँव तकभीउसकासुयशपहुँचगयाथा।रोनापीटनामचगयापरिवार में। सुधा केमायकेभीख़बरगयी। उसके बापभाईभागेआये। समधीकेपैरों मेअपनासिररखकर बिलखपड़े। कन्हैया के पिताजीमारेशर्म के सिरनहीं उठासके – नालायककन्हैया नेगाँवभरमेंहँसाई करादी। आतेजाते कोईभीमुंहउठाकर पूछलेता – काहोपंडितजी, कन्हैया के बारे मेकासुनरहे?
बेचारे मुड़ी नीचे घुसाकर शर्मसार होते अपने बेटे के कुकर्म पर। आजकल चाहनेसेधरतीभीतोनहीं फटती …कोईत्रेतायुग थोड़ेहै… येतोकलयुग है, सारीबेशर्मी कोप्रशयदेनेकायुग। परऐसेबिनाकुछ कियेधरेभीतोनहीं रहसकते। जवानजहानबहू, दुधमुंहा बच्चा… इंतजाम तोकरनाहीपड़ेगा।कन्हैयाकीबदचलनी कीसजाबहूऔरपोताकाहेभुगते …औरवोछिनालराजकरे! येअन्याय वोनहोनेदेंगे।
कुछ सोच विचार कर उन्होंनेबहूऔरछोटे बेटेको बुलवाया ।घूँघट कीओटसे भीबहूकाकुम्हलायाचेहराउन्हें दिख गया। लरकोरीऔरतों जैसीकोईममतालूस्निग्धता उसचेहरे पर नहीं थी।उन्होंने बेटेकोअच्छी तरहसमझाया।उसेअपनीभौजाईकोभाई के पास छोड़कर आनाहै।
‘ और सुनबहुरिया !’बहूको समझातेहुएबोले, ” कन्हैया कुछुकहेंबोले… तुमको लौटनानहीं है। जीकड़ाकरकेजाओ, लड़नापड़ेतोलड़लियो…रोवेपड़ेरोलियो। मिन्नत करनीपड़ेपैरोंगिरनापड़े… सबकरना, बस्सलौटनानहीं बच्ची। ”
“जाओबहू, तैयारी कर लोजानेकी। सुबहकी बसहै। औरसुनो, मनकोखूबकड़ाकरलेना। इम्तहान कीघड़ी है।यादरखना, कन्हैया तुम्हें ब्याहकरलायेथे, भगाकरनही ।कानूनभीतुम्हारे साथ है।
अगले रोज सुधा देवर के साथ चलदीथीअपनी लड़ाईलड़ने। देवरउसे लेकरसीधेआफिस हीपहुँचे। कन्हैया तोअपनी पत्नी ,बच्चे के साथ भाईको देखते हीमानोंचक्कर खागये।
ये लोगयहाँ कैसे?
” बाबू कहें हैं अबसेइपंजे इहैरहिएं, तोहर पास।“ छोटे भाईसे इतना सुनतेहीकन्हैया तैशमें आगये
” अइसे कइसे इहाँरहिएं? ”
” हम कुछ नाहीं जनते …”
” वापस ले जा… हमइहाँ नही रखसकते… ”
” नहीं ,हम वापस नहीं ले जा सकते… बाबूजीयतनाहीं छोड़िहेंहमको। ” भाईकीघिघ्घीबंधगई, इसकल्पना मात्रसेहीकि, कहीं भौजीकोवापसनले जानापड़े …सड़कपरतोछोड़कर नहीं जासकतान।
कन्हैया ने हाथ बढ़ाकर बेटे को अपनी गोद में ले लिया। बच्चाभीमाँ कीसंक्षिप्त सीगोदऔरघूंघटमें सेनिकलकरबापकेविस्तृत गोदमेंपहुँचहवाबयारपाकरउत्फुल्लता अनुभवकरनेलगाऔरकुछहीदेरमें रोनाभूलकरकिलकारीभरनेलगा। उधरसेगुजरने वालेअॉफिसकेसाथी, कर्मचारीदिलचस्पी सेयेनजारादेखरहेथे। एकदोनेपूछाभी –कौनहैयेलोग?
” अरे तो क्वार्टर पर ले जाओ इन्हें… यहाँ काहेबैठाये हो? ” साहबकीबातपरकन्हैया चेते।सहीबात थी, यहाँ कितनीदेरबिठाकररखसकते थेइन्हें ।पर, क्वार्टर परकैसे लेजाएं… सरोजतोबवालमचादेती, लेकिन लेतोजानापड़ेगा। बेटाअबतकउनके कंधेपरसिरधरेनिश्चिंत होसोचुकाथा। उसके नन्हेंसेहृदयकीधड़कन उनके अपने हृदयकीधड़कन सेजुगलबंदीसीकररही थी। ममतामें भरकरउन्होंनेबेटेकामुंहचूमलिया है, घूंघटकीओटसेसुधानेयेदृश्य अपनी आँखों मेंभराऔरआँखें सजलहोगईं। भाईनेभीइसदृश्य को स्मृतिमें जगहदी – आखिर गाँवलौटकरबाबूकोपूराब्यौरा भीतोदेनाहै।
बाजार में एक जगह रुककर कन्हैया ने कुछसौदासुलभ खरीदाऔरएकगुमटीमें भाईऔरपत्नी कोचायसमोसाखिलाया।पता नहीं घरमें क्यापरिस्थिति निर्मित हो? चायपीतेहुएवहयहीसोचरहा था। जोहोगावोदेखेंगेयहीसोचउसे इनलोगों कोघरलेजानेऔर सरोजकासामनाकरनेकोप्रेरित कियेथीऔरबेटेकास्पर्श सुखहिम्मत देरहाथा।
उसदिन दरवाजे की थपथप से उमगकरसरोजनेलास्यबिखेरतेहुएप्रियतमकेस्वागतमेंजबदरवाजाखोलातोशरीरकीमांसपेशियोंकाकसावशिथिलपड़गया। संभावितप्रेमकिल्लोलकेस्वप्निल दृश्योंसेसजीआँखों कीचमकतिरोहित होगई। अवाकस्थिति मेंउसनेस्वयंकोएकओरकरकेआगन्तुकों कोरास्तादिया। झटसेतीनों जनिभीतरदाखिल होगयेऔरबिजलीकीगतिसेकन्हैयानेकुंडीचढ़ादी।
बच्चे को आहिस्ता से खाट पर लिटाकर सुधा से बोले – उधर गुसलखाना है, जाओहाथमुंहधोलो।
अबतक सरोज की चेतना वापस आ चुकी थी। उसेकुछपूछनेकीजरुरतनहीं थी। आनेवालोंकापरिचयउसकीसमझनेउसेबतादिया था। आवाजमेंदुनियाभरकीतल्खीभरकरउसनेपूछाथा।
– तो अउर कहाँ भेजते? बियाहकियेहैंउससे… भगाकरनहीं लाये। कन्हैया केस्वरमें खीजकापुटदेखकरसरोजनेफिलहाल के लिए झगड़ा स्थगित करदिया ।
देवर ने भौजी को उसके ठिकाने सही सलामतपहुँचाकरअपने हिस्से काकाम पूरा करदिया था। एक गिलासपानी पीकरउसनेभाईभाभीकेचरणस्पर्शकियेभतीजे के गालकाचुम्बन लिया औरजानेकेलिए खड़ाहोगया।
सुधा अपना रोना नहीं रोक पाई। देवरकीभीआँखगीलीहोगई। क्याकहकरभौजीकोढ़ाढसदे – हमआतेरहेंगे भौजी… बाबूभीआयेंगे कुछदिन में। अपनाऔरलल्लाकाध्यान रखना।
एक कमरा उससे लगा छोटा सा बरामदा, बरामदेसेलगारसोईघर, आँगनऔरआँगन के छोरपरपखानाऔरगुसलखाना। उसदिनकमरेमे सुधाअपनेबच्चे केसाथ तख्त परबिछेबिस्तर परसोईऔरकन्हैया औरसरोजबारामदेमें फोल्डिंगचारपाईबिछाकर ।रातभरकन्हैया सरोजकी मिन्नतेकरतेरहे औरसुधाअपने बच्चे को सीनेसेचिपकायेकरवटबदलती, रोतीरहीऔरसाथ हीआगतभविष्य कीकल्पना करआतंकसेघुलतीरही।
अगले कुछ महीने मे कन्हैया ने बरामदे को घेरकरएकछोटा सादरवाज़ा लगवाकरकोठरीकीशक्ल देदीऔरस्वयंमयसरोजके उसकोठरीमेंअपने सोनेरहनेकीव्यवस्था बनाई। सरोजबहुतभिन्नाईंइसनयीव्यवस्था सेपरलल्लाकावास्ता देकरउसे चुपकरादिएकन्हैया। सुधाको तोरसोईमें ठेलदेते, परसाथमेंबेटाहैउनका।भला इतने छोटे बच्चे को बेआरामीमेंकैसेरखसकते। गैरकाबच्चा तोहै नहीं आखिरउनकाअपना खूनहै। बेटेके लिए अपनी ममतापरसरोजकोकैसेभीभारीनहीं पारहेथेकन्हैया। सरोजके पासइसनयीव्यवस्था सेसामन्जस्य बिठानेकेअलावा कोई चारानही था। वापस लौटनेकीधमकीदेतीतोशायद कन्हैया उसे रोकनेकाउपायनकरते… परवापसलौटकरजायेगीकहाँ। दुनियां काकिसआदमीकाइतनाबड़ा दिलहोपायाहै, जोभागीहुईऔरतकोफिर सेअपने घरमें बसाले। बच्चे कोखटियापरचिहुँकीचलातेदेखते मनभटककरछोड़ेहुएघरमें जापहुँचता।छोटकेकीयादमेंछातीटभकनेलगती। अभीदोसालकाहोनेमेंमहीनाभरबाकीथा। जबतबआचलमें मुहढुकाकरउसकी छातीचुसनेलगता। दूधछुड़ानेकेउपायआजमानेकासोचनेलगीथीवो। परइतना दूधहोताभी तोथा। तीनटाइमछोटकाकापेटभरजाता ।पेटपोछनाबेटाथा, उसपरमोहभीज्यादा थासरोजका। कन्हैया के साथ आनेकीशर्तभीथी, किछोटकाकोनहीं छोड़ेगी।वोछोटकाहीऐनवक्त पररिक्शा सेउतरकरघरकीओरभागगया। औरकन्हैया हरबिआनेलगेथे – रेलकासमयहोगया हैरेलछूटजायेगी… ! जानेकैसाहोगाउसकाछोटका …बिनाउसकीछातीमुंहमेधरेउसे नींदभीनहीं आतीथी।
सुधा तो कभी कभार कुछ दिन के लिए मायके ससुराल टर भी जाती थी, परसरोजको जानेके लिए कोई ठौर नहीं थी। चौदहपन्द्रह बरसबीतगयेइसीतरह। अबलल्लाबड़ाहोरहाथा। उसकीअपारजिज्ञासा थी।बाहरलड़के चिढ़ाते ,ऊतोहर घरमें कौनरहतीहै… तोहर पापासेओकरकारिश्ता है। लड़कागुमसुम रहनेलगा, सरोजकोगरिआनेलगता। कन्हैया कपालपर हाथधरे सोचते… यहीसबदेखनेसुननेके लिए ऐतनापइसाखर्च करकेअंग्रेजी स्कूल मेपढ़ारहेएकराके। लल्लातोपापासेभीजवानलड़ानेलगाथा।
कन्हैया इस समय बड़ी प्रॉब्लम मे हैं येबात अॉफिसमेंभीसभीकोपताथी।प्रॉब्लमकीवजहभीपताथी। साहबलोगभीकन्हैया काकिस्साशुरुयेसेदेखरहे थे। कन्हैयाकोसभीलोगसमझानेलगे –लड़केसेहाथ धोबैठोगेमहराज… येउम्रबड़ीनाज़ुक होती।गुस्से औरशर्म सेकहींकुछ करकरानबैठे।अबबहुतहुआ ,उसऔरतसेछुटकारा पाओ।
” पर कैसे? ” बड़ीसमस्या यहीथी।मायकाससुराल सभीजगहवहअवांछित थी। सबसेअच्छा होअपने बालबच्चों के पास वापस चली जाए।परयेकैसेसंभवहोगा। सीतामैयाजैसीसतीजबवापसरामचन्द्रजीकेओतनाबड़राजमहल में दुबारानबससकींतोइपापिनके कौनबड़भारीहृदयवालावापस लेई। परसरोजके भूतपूर्व स्वामी काहृदयविशाल हीनिकला।
हुआ यों कि, कलकत्ता सेरांचीकेपास इसकस्बे तककईरेलवेकर्मचारी काआनाजानाहोताथा।इसबीचसरोजके भूतपूर्व स्वामी भीकलकत्ता के आसपास के कस्बोंमेंनौकरी के कुछसालबिताकर फिर सेकलकत्ता आगयेथे। कुछदिन मेरिटायरहोनेवाले थे। रांचीऔरकलकत्तेकेसाहबोंनेआपसमेंबातकीकुछलोगऔरमध्यस्थ बने। इसबीचपताचलाकिसरोजके दोनोंबड़ेबेटेबढ़िया नौकरीसेलगेहैंशादीहोगई है। बड़केके तोएकडेढ़सालकी बेटी भीहै। पक्कादोमंजिला मकान बनगयाहै। छोटकाबेटाइसीसालकॉलेजगयाहै। स्वामी तोराजाहोगयेहैं ।
अपने झोलाबैगके साथ जबसरोजरिक्शा में अपने पतिकेसाथ बैठीतोसुधानेअरसेबाद मानोंचैनकीएकसांसली।आज जाकरयेघरपूरीतरहउसकाहुआथा। कन्हैया भीशामढलेवापसआगये। आजउन्हें भीएकसद्गृहस्थहोनेकाभलासएहसास होरहाथा। पत्नीऔरबेटेपरसेजैसेकोई मनहूससायाउतरगयाहो। तनावमुक्त येचेहरेहीउसके अपने थे पूरीदुनिया में। सुधानेपूरीखीरऔरआलूकीरसेदार सब्जीबनाईथी।भरपेटखाकरतृप्त मनसेबापबेटेसोनेचलेगए। सुधाजबचौकासमेटकरसोनेआईतोदोनोंगहरीनींदमें थे। संतुष्ट मनवहभीसोनेचली। आजउसेभीनिश्चिंत होकरनींद आयेगी।अंतभलासबभला….
गहरी नींद का पहले पड़ाव पर ही थी वो कि, दरवाजेकीसांकलखटकी… इतनीरातकौनहोगाभला… नींदमेंभ्रमहुआशायद, सोचकरवहफिर सोनेजारहीथीकि, फिर सांकलखड़की …भ्रमनहीं है।अबतक कन्हैयाऔरलल्लाभीउठआयेथे। कौनहैइतनीरात… बड़बड़ातेहुएकन्हैया नेदरवाजाखोलाऔरउसेदेखचिहुँककरदोकदमपीछेहटगये – तुम! गयीनहीं ?
अबतकसुधाभीदरवाजेपरखड़ीसरोजकोदेखचुकीथी… सरोजमयसामानकेदरवाजे पर खड़ीथी। कन्हैया नेरास्ता छोड़ दिया सामानसहितसरोजभीतरआतेहुएबड़बडाई “आपनभागतोहमपहिलहीमेटचुके थे… अबतोओघरमे… दाई, के रुपमेभीहमकोईकोनहीं चाहिए …।बेटेलोगअड़गये, अगरहमरहेतोउलोगघरछोड़के चलेजायेंगे… काकरतेबेचारे …मुझपापिनके लिए बेटनकोतोनहीं नछोड़ते… हमकोवापसीकीगाड़ी मेबिठादिए…।