हर चीज के दो पहलू होते हैं, 2 पक्ष होते हैं। हम सभी जानते हैं कि भारत में भी 21 दिन का लॉक डाउन किया गया है। पीछे के दिनों में नवरात्रि पर्व होने की वजह से हम लोग शायद थोड़े से व्यस्त रहें क्योंकि नवरात्रि में पूजा, आराधना,हवन इत्यादि हम करते रहे जिसमें हम में से कई लोगों ने अतिरिक्त पूजा, अर्चना भी की।
दुर्गा सप्तशती का पाठ भी किया कि मां दुर्गा इस वैश्विक महामारी से जल्द से जल्द मुक्ति प्रदान करें और पूर्ण विश्व जल्दी से स्वस्थ हो जाए। अब इन दिनों में हम सभी लोग घर पर हैं और हमें अपने माननीय प्रधानमंत्री जी  बातों को, उनके (आदेश) अनुरोध को अक्षरश: मानना भी चाहिए क्योंकि यह हम सभी के लिए हितकारी है, कल्याणकारी है ।इसी के साथ-साथ यह हमारे समाज के लिए, देश के लिए, विश्व के लिए भी कल्याणकारी है ।
कई लोग इस लॉक डाउन से बहुत परेशान भी हो रहे हैं। निश्चय ही पूरी अर्थव्यवस्था डगमगा गई है। हर चीज बहुत सीमित हो गई है। परंतु क्यों ना हम इसकी सकारात्मकता की तरफ देखें?
शायद प्रकृति में भी मनुष्य से यह कहा हो कि मुझे थोड़ा ब्रेक चाहिए। एक ब्रेक तो बनता है। हम मनुष्यों ने क्या-क्या नहीं किया यह किसी से भी छुपा नहीं है।
हम लोग कितने व्यस्त हो गए थे कि दूसरों से छोड़िए अपने आप से मिलने को तरस गए थे। केवल भागम भाग ही रह गई थी हमारे जीवन में। ना सुकून की रोटी खा पा रहे थे ना सुकून की नींद ले पा रहे थे ।हर जगह शोर-शराबा, प्रदूषण, लड़ाई झगड़े, अपराध कितना सब कुछ हो गया था। ऐसे में शायद प्रकृति भी परेशान हो गई थी कि कुछ समय तक कुछ ना किया जाए तो मुझे भी थोड़ा सा आराम मिले।
मेरी नदियों को, मेरी पहाड़ों को, मेरे वातावरण को, मेरे जीवो को कुछ समय का विश्राम ताकि उन्हें भी  सृजनात्मक क्षमता को बढ़ाने का अवसर मिले, रीक्रिएशन का अवसर मिले ।हम अक्सर खेती के अवसरों में भी एक जमीन से बहुत सी फसल लेने के बाद उसे कुछ समय के लिए खाली छोड़ देते हैं ताकि वह अपनी उर्वरा शक्ति को बढ़ा सकें जिससे कि हमें दूसरी फसल बहुत अच्छी मिल सके। यही सब कुछ  लॉक डाउन कर रहा है।
मेरा ऐसा मानना है यह लॉक डाउन   एक पारिवारिक मधुमास की तरह है। यकीन मानिए पूरा विश्व इस महामारी से उबर आएगा तो हम इस लॉक डाउन पीरियड को याद रखेंगे कि हमने इन दिनों में कितना अच्छा समय व्यतीत किया। घर पर रहे, शांति से रहे, प्रेम से खाना बनाया, पूरे परिवार के साथ बैठकर खाया, ना कोई जल्दी है जाने की, ना जल्दी सोने की, न सुबह भागम भाग करने की। यकीन मानिए इन दिनों में हम न केवल अपने करीब आएंगे बल्कि अपने परिवार के भी।
जो कामकाजी महिलाएं समय के अभाव के कारण अपने बच्चों को, अपने पति को, अपने परिवार के सदस्यों को पूरा समय नहीं दे पाती थी अब  बड़े इत्मीनान  से उनका ख्याल रखती हैं। उनकी पसंद का भोजन बनाती हैं सब साथ मिलकर खाते हैं। अपने बच्चों को अच्छे संस्कार देते हैं ,उनकी बातें सुनते हैं, उनके साथ खेलते हैं, उनकी शरारती देखते हैं, उनको बढ़ता हुआ देख रहे हैं ।उनके साथ समय बिताते हैं, अपने बुजुर्गों के अनुभव सुनते हैं, अपने बच्चों को अपने जिंदगी के अनुभव बताते हैं, कहानियां सुनाते हैं, कितना कुछ कर रहे हैं तो यह लॉक डाउन निरर्थक कैसे हो सकता है?
एक तरह से यह हमारी जिंदगी का गोल्डन पीरियड भी कहा जा सकता है क्योंकि हम अपने साथ हैं, अपने परिवार के साथ हैं ।अपवाद हर जगह मौजूद है जो लोग अपने परिवार के साथ नही है  उन्हें भी कोशिश की गई है वहां तक पहुंचाने की) फिर एक बार  यह भी है कि हमें कोई सजा नहीं दी गई है, हमें केवल अपने परिवार के साथ अपने घर पर रहने के लिए ही तो कहा गया है।
बाकी लोग तो ऐसे हैं कि उनमें  और कुछ  हो ना हो  पर यह  “खूबी” बहुत बड़ी है  कि वह कमियां हर जगह ढूंढ लेते हैं ,यहां भी ढूंढ लेंगे।
 लेकिन हम में से अधिकतर लोग अपने घर पर हैं अपनों के साथ हैं, अपनों के पास है और इस पारिवारिक मधुमास का आनंद भी ले रहे हैं ।इस वैश्विक महामारी से निश्चय ही हम बहुत डरे हुए हैं एवं ईश्वर से निरंतर प्रार्थना दे कर रहे हैं कि जल्द से जल्द इस महामारी का अंत हो जाए ।उसी के साथ-साथ  हम अपने परिवार के साथ हैं, सुरक्षित हैं इससे बड़ी और क्या बात हो सकती है। कई बार हम बहुत कुछ कहना चाहते हैं, बहुत कुछ करना चाहते हैं लेकिन समयाभाव के कारण नहीं कर पाते। तो अब समय है और बहुत सारा समय है उसका सही उपयोग करने का। वो सब चीज़े करने का, वो सब बातें कहने का जो हम केवल सोच कर रह गए थे,  पर अब वो हमें कर देनी चाहिए ,कह देनी चाहिए।
 बस हम अपने घर पर रहें, सुरक्षित रहें। अपनी सभ्यता, संस्कृति,  मूल्यों को अपनाएं और अपने बच्चों को भी उनसे अवगत कराएं कि देखिए हमारी भारतीय सभ्यता, संस्कृति कितनी महान है, कितनी महत्वपूर्ण है जहां पर सभी के लिए
 “सर्वे भवंतु सुखिनः” की नीति अपनाई जाती है।
 मेरा आप सभी से अनुरोध है इस लॉक डाउन ‘पारिवारिक मधुमास’ का भरपूर आनंद उठाइए। अपने घर पर रहिए ,सुरक्षित रहिए और अपने देश को भी ,विश्व को भी सुरक्षित रखने में अपना अभूतपूर्व योगदान दीजिए।

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