संपादकीय – इटली की माताएं चर्चा में…!

चाहे आप किसी भी वर्ग का हिस्सा हों, जब रिश्तों में खटास या दरार आती है तो दर्द एक सा ही होता है। एक विकसित देश की प्रधानमंत्री होते हुए भी जॉर्जिया मेलोनी अपने निजी रिश्तों को लेकर जितनी गंभीर बनी रहीं, उनका पति...

संपादकीय – एक नये समाज का निर्माण

एक पिता ने अपनी बेटी पर ससुराल वालों द्वारा ढाये जा रहे ज़ुल्मो सितम के जवाब में अपनी बेटी को न केवल अपने घर वापिस बुला लिया बल्कि यह काम पूरी तरह से बैण्ड बाजे के साथ किया। ज़ाहिर है कि पिता का उद्देश्य...

संपादकीय – हैं और भी खेल… क्रिकेट के सिवा!

हाल के वर्षों में खेल नीति का अस्तित्व महसूस होता दिखाई देने लगा है। भारतीय खिलाड़ियों से हम ओलंपिक मेडल की भी अपेक्षा करने लगे। पहले हमारे सबसे बड़े हीरो मिल्खा सिंह थे जो कि मेडल जीत नहीं पाए... मगर बिना किसी सहायता या...

संपादकीय – सोशल मीडिया… कल किसने देखा है!

फ़ेसबुक और व्हाट्सएप का एक ज़बरदस्त योगदान है कि कवियों, ग़ज़लकारों, टीकाकारों एवं लघुकथाकारों को एक ऐसा मंच मिलने लगा है जहां वे अपनी रचनाओं को प्रकाशित कर पाते हैं और उन्हें प्रतिक्रिया भी तत्काल मिल जाती है। पिछले 20 वर्षों में विश्व में कम्पयूटर...

संपादकीय – यह रेडियो कैनेडिस्तान है…!

18 जून को हरदीप सिंह निज्जर की हत्या हुई और 18 सितंबर को जस्टिन ट्रूडो ने कनाडा की संसद में अपने ग़ैर-ज़िम्मेदाराना बयान का बम फोड़ा। इसके ठीक बारह दिनों बाद ही ट्रूडो को समझ आ गया कि अपनी राजनीतिक गद्दी बचाने के लिये...

संपादकीय – किराये पर परिवार…!

अब जापान में किराये के रिश्तेदार मिलने लगे हैं। डेली वेज वाले कलाकार भी हैं। जो दिन में परिवार के सदस्य की एक्टिंग करते हैं और शाम को अपनी दिहाड़ी के पैसे अपनी जेब में डाल के वापिस घर को निकल लेते हैं। यह...