Friday, May 10, 2024
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नरेंद्र कौर छाबड़ा की लघुकथा – रोटी के सपने

सरकारी माध्यमिक स्कूल में खाने की छुट्टी की घंटी बजी ।सभी बच्चों ने अपने अपने टिफिन खोले और खाना खाने बैठ गए। पांचवी क्लास के विद्यार्थी खाना खाते हुए एक दूसरे के साथ बातें भी कर रहे थे । उनमें एक बच्चा बहुत गरीब परिवार से था।
एक बच्चा बोला –“ पता है कल रात को मैंने क्या सपना देखा ? मैं चांद पर पहुंच गया हूं और वहां घूम रहा हूं। बड़ा मज़ा आया ।“ दूसरा बोला –” मैं तो  कल सपने में परियों के देश में घूम रहा था। इतनी सुंदर सुंदर परियां थी कि क्या कहूं…उनके बहुत सुंदर,चमकीले , रंगबिरंगे पंख थे। वे आसमान में ऐसे उड़ रही थी मानो हवा में तैर रही हों। उनके साथ मैं बहुत देर तक खेलता रहा ।“ तीसरा बोला—” मैं तो कल पता नहीं किस जहान में पहुंच गया । इतना खूबसूरत देश , सुंदर बगीचे, नदियां झरने , प्यारे और सुंदर पक्षी बहुत मजा आया देखकर….।“ . फिर तीनों ने गरीब बच्चे से पूछा –” तूने क्या सपना देखा..?” गरीब बच्चा बोला—” कल मैंने सपना देखा , मेरी थाली में चार रोटी पड़ी हैं। साथ में सब्जी और दाल , चटनी  भी है ।“ सभी हंसने लगे और बोले –”तू क्या सोते  हुए भी रोटी के सपने देखता है?” वह बोला – “ जिसके जीवन में जो चीज नहीं  होती और हमेशा उसे हम पाना चाहते हैं उसी के तो सपने देखते हैं ना……”
नरेंद्र कौर छाबड़ा
ए – 201 , सिग्नेचर अपार्टमेंट,
तंदूर होटल के पीछे, बंसीलाल नगर,
औरंगाबाद  –  431005  ( महाराष्ट्र)
Mo. 9325261079
E mail—narender.chhabda@gmail.com
नरेंद्र कौर छाबड़ा
नरेंद्र कौर छाबड़ा
संपर्क - narender.chhabda@gmail.com
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