पैडमैन इन स्कूल (व्यंग्य)

अर्चना चतुर्वेदी

(अर्चना चतुर्वेदी व्यंग्य का एक ज़रूरी नाम बनता जा रहा है। पढ़िये उनका लिखा एक ताज़ा व्यंग्य एकदम अछूते विषय पर – संपादक)

जैसे ही उस सरकारी स्कूल में सरकार की तरफ से नया आर्डर आया .. उस स्कूल में मानो भूकंप के हालत उत्पन्न हो गए थे  ..स्कूल जर्जर दीवारें भरभरा के गिरने को आतुर हो गयी थी.. छत के टीन  शेड फड़फड़ाने लगे थे .वर्षों से सूखी पड़ी नलों से पानी की बूदें टपकने को बैचेन हो उठी. प्रिंसिपल साहब के दिमाग की बत्ती गुल हो गयी, उन्होंने तुरंत प्रभाव स्कूल के मुट्ठीभर स्टाफ की मीटिंग बुला डाली ..क्या हुआ सर सब खैरियत तो है यूँ अचानक मीटिंग ? एक मास्साब ने आते ही प्रश्न किया ..प्रिंसिपल साहब ने लेटर उनकी तरफ बढाया . मास्टर जी जोर जोर से पत्र पढ़ रहे थे और बाकी सब उनके चेहरे को ताक रहे थे ..अजी इसमें तो कुछ अंग्रेजी शब्द लिखा है सेनेटरी नेपकिन वो का होता ? पत्र पढ़ते ही प्रश्न आया ..

यही तो ई तो हमको भी समझ नहीं आया तभी तो तुम सबको बुला भेजा .प्रिंसिपल जी की आवाज में परेशानी झलक रही थी . वो उधर डिब्बों में रखे हैं देख लो समझ आये तो …

इसमें लिखा है कि स्कूल की लड़कियों को बांटना है और इस्तेमाल का तरीका भी समझाना है, मतलब कुछ लड़कियों के इस्तेमाल का साधन है”मास्टर जी ने ज्ञान बघारा

तभी नए नए भरती हुए एक मास्टर जी गूगल से ज्ञान प्राप्त करने का प्रयास करने लगे. ठीक उसी समय चपरासी महोदय ने एक पैकिट खोल डाला और जो सामान निकला उसे लहराते हुए जोर से बोले अरे जे तो कोई पट्टी लगे चोट पे लगाने की  ..बाकी सब मूर्खों की तरह उसके चेहरे को ताक रहे थे.. ..नए मास्टर जी तुरंत ज्ञानी की तरह बोले”अरे जो तो वही है जो पैडमैन फिलम में अक्षय कुमार ने बनाया था… उसके बाद मास्टर जी ने सबको डिटेल में समझाया

मामला समझ आते ही प्रिंसिपल साहब तो मानो सदमे में चले गए “हे भगवान अब इस उम्र में ऐसी मिटटी पलीत  ..हमारी तो पत्नी जी की समझ ना आयेगा जे सामान कैसे इस्तेमाल करते हैं ..कौन जन्म का पाप है जो ये दिन देखना पड़ रहा ..प्रिंसिपल जी मानो हिम्मत ही हार बैठे थे .

हां सर बात तो सही कह रहे हैं .. अब सरकार हमारी जो मिटटीपलीत ना करे कम है . कभी हमसे जनगणना करा डालते हैं –घर घर मर्द, लुगाई बच्चे गिनते घूमो ..कभी घर घर पोलियो ड्राप पिलाने जाओ ..कभी इलेक्शन ड्यूटी ,कभी आधार कार्ड . सोचा था मास्टर बनेंगे बच्चों को मन लगाकर पढ़ाएंगे ..बच्चे कुछ बन जायेंगे तो हम भी गर्व महसूस करेंगे .एक मास्टर जी सर पर हाथ रख कर बैठ गए

अरे सर घबराइये नहीं कोई ना कोई रास्ता निकल आयेगा ..एक टीचर बोले

क्या खाक रास्ता निकल आएगा ..तुम्हे पता नहीं है हमारे स्कूल में एक भी महिला स्टाफ नहीं है ..और हम लोग जे सब कैसे समझायेंगे बच्चियों को क्या ये सब शोभा देगा ? बच्चियों को कैसा लगेगा? प्रिंसिपल जी को फिर चिंता ने घेर लिया.

ऐसे कर्मों का घर पर पता लगा तो बीबी भी कूट डालेगी ..हिंदी वाले मास्टर जी पिनपिनाये

घर की छोडो ..इन बच्चियों के घरवालों को पता लगा तो क्या गत बनायेंगे हमारी. ज्यादातर अनपढ़ हैं उन्हें कैसे समझायेंगे ..इन्होने तो तुगलकी फरमान सुना डाला .. ये भी पता करने की जहमत नहीं उठाई कि हमारे स्कूल की क्या हालत हैं ..यहाँ एक भी महिला नहीं है ..मर्द स्टाफ भी पूरे नहीं . यहाँ तो राजा ने मंत्री से कही मंत्री ने संतरी से कही स्टाइल में काम हो रहा है ..मुसीबत तो जनता की है’  प्रिंसिपल साहब भुनभुनाये

बात तो सही है सर ..ये लड़कियों के लिए सफाई और स्वास्थ्य की बात पत्र में तो लिख रहे हैं .कभी आकर देखा है.. यहाँ कि स्कूलों में ढंग के बाथरूम तक नहीं है इसलिए कोई लेडी स्टाफ यहाँ आना नहीं चाहती, आधी बच्चियां आये दिन छुट्टी मारती हैं. ना ही साफ़ पानी की व्यवस्था ..जरुरी बातें छोड़कर इन चीजों के पीछे पड़ गए और हम लोगों को फँसा दिया ..सारा स्टाफ माथा पकड़ बैठा इस मुसीबत से निकलने का उपाय सोचने लगा.

सर लगता है मंत्री जी ने पैडमेन फिल्म देखी है उसी से प्रभावित होकर सबको पैडमेन बनाने पर तुले हैं.अब खुद की बीबी तो है नहीं जिसके लिए इंतजामात किये जाएँ ..और मुख्यमंत्री की इतनी ताकत तो होती ही है कि पैडमेन ना सही पैडटीचर तो बना ही दें . इसलिए नेताजी ने तुरत प्रभाव में सरकारी स्कूलों में सेनेटरी नैपकिन की व्यवस्था की और निर्देश दे डाले कि लड़कियों को बांटो और इस्तेमाल के तरीके भी बताओ.  इस बार नए वाले मास्टर जी मानो माहौल को हल्का करने की गरज से बोले

उनकी बात सुन सब हँस पड़े जे सही है पैड मास्टर बनेंगे ..पर हमें सिखाएगा कौन जे इस्तेमाल करना .?

फिलहाल पूरे स्टाफ की नींद भूख उडी हुई है …प्रिंसिपल रूम में पड़े ..सेनिटरी नेपकीन के पैकिट अब भी मुहं चिढा रहे हैं .

 

अर्चना चतुर्वेदी, E-1104 Amrpali zodiac, Sector 120 noida -201307, Tel: 09899624843

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