होम कविता शोभना श्याम के दोहे कविता शोभना श्याम के दोहे द्वारा शोभना श्याम - February 27, 2022 506 2 फेसबुक पर शेयर करें ट्विटर पर ट्वीट करें tweet न धन के अम्बार हैं नहीं गुणों की खान| पास बाँटने क लिए छोटी सी मुस्कान || साँस साँस लिखती रही, पाती जिसके नाम| वो बैरी ना पढ़ सका, बीती उमर तमाम|| टूटा दिल ये सोचता, कैसा था मधुमास| मधु सारा तो पी गया, छोड़ गया इक प्यास|| भूखी हैं तन्हाईयाँ, बैठी घुटने टेक| यादों की कुछ रोटियां, शाम रही है सेंक|| छोड़ दे अरी छोड़ दे, कितनी की फरियाद| छोड़े ना परछाई सी, जिद्दी तेरी याद || शाख शाख पर गिद्ध हैं, नहीं सुरक्षित छाँव| बिटिया रख सम्भाल कर, घर से बाहर पाँव|| स्वेटर हैं बाजार में, पहले से तैयार| गृहिणी अब बुनती नहीं, रिश्तों का संसार|| बेटी घर की शान है, बेटी घर की आन| घर अगर एक देह है, बेटी इसकी जान|| मंदिर अब जाते नहीं, मोबाईल टू मीट| सुबह देव प्रेषित हुए, रात्रि हुए डिलीट|| रात बेचारी उंघती, हुई नींद से पस्त| व्हाट्सप्प के फेर में, सभी फोन में व्यस्त|| बुढ़ापा ज्यों गिलास के, तले दूध का झाग| सड़क सड़क कर अंत तक, पीने का बैराग|| संबंधित लेखलेखक की और रचनाएं शोभा प्रसाद की तीन कविताएँ सावित्री शर्मा ‘सवि’ की कविता – चुनावी रंग दीपमाला गर्ग की कविता – ज़िंदगी के इम्तहान 2 टिप्पणी बहुत सुंदर दोहे जवाब दें धन्यवाद शकुन्तला जी जवाब दें कोई जवाब दें जवाब कैंसिल करें कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें! कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें आपने एक गलत ईमेल पता दर्ज किया है! कृपया अपना ईमेल पता यहाँ दर्ज करें Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Δ This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.
बहुत सुंदर दोहे
धन्यवाद शकुन्तला जी