एक रिपोर्ट – पुरवाई संवाददाता द्वारा
हाल ही में आधुनिक हिंदी साहित्य की मुख्य-धारा के प्रतिष्ठित और सचेत साहित्यकार  डॉ रमेश पोखरियाल निशंक के साहित्य पर डीएवी कॉलेज अमृतसर पंजाब के स्नातकोत्तर हिंदी विभाग की अध्यक्ष डॉ किरण खन्ना द्वारा संपादित पुस्तक डॉ निशंक के साहित्य में सामाजिक यथार्थ और युग बोध का लोकार्पण समारोह का आयोजन हुआ।
हिमालय विरासत ट्रस्ट के संरक्षक डॉ योगेन्द्र नाथ शर्मा अरुण, केन्द्रीय हिन्दी संस्थान आगरा के उपाध्यक्ष श्री अनिल जोशी और डीएवी कॉलेज प्रबंधन समिति के डायरेक्टर पब्लिक और एडिड स्कूल्ज़ डॉ श्री जे पी शूर की उपस्थिति में पुस्तक का लोकार्पणा किया गया। श्री रमेश पोखरियाल निशंक इस अवसर पर विशेष रूप से उपस्थित रहे और अपना स्नेहिल आशीर्वाद डॉ किरण खन्ना को प्रदान किया। 

डॉ निशंक के प्रतिनिधि और पुरस्कृत कहानी संग्रहों ‘यथा वाह जिंदगी’, ‘अंतहीन’, ‘टूटते दायरे’, ‘मेरे संकल्प’, ‘विपदा जीवित है’, ‘भीड़ साक्षी है’, ‘कथाएं पहाड़ों की’, ‘बस एक ही इच्छा’, ‘क्या नहीं हो सकता’, ‘नमील के पत्थर’ इत्यादि से से चयनित कहानियों के साथ ‘भारतीय संस्कृति का संवाहक इंडोनेशिया’, तथा काव्य संग्रह ‘मातृभूमि के लिए’ को केन्द्रित कर इस पुस्तक में लगभग 20 राष्ट्रीय अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित विद्वानों ने आलेख लिखे हैं। डॉ किरण खन्ना ने इस पुस्तक में शामिल लेखों को संकलित किया है। 

यू के से प्रबुद्ध कथाशिल्पी प्रवासी हिंदी साहित्यकार तेजेन्द्र शर्मा एम.बी.ई., डॉ अरुणा अजितसरिया एम.बी.ई., कनाडा से डॉ शैलजा सक्सेना, नीदरलैंड से डॉ मोहन कांत गौतम, डेनमार्क से अर्चना पैन्यूली सहित आगरा से श्री अनिल जोशी, हैदराबाद से पठान रहीम खान, महाराष्ट्र से रुपाली चौधरी, दिल्ली से डॉ कमलेश सरीन हिमाचल से डॉ रवि गौंड और मुख्य रूप से पंजाब के नवोदित वह प्रतिष्ठित बुद्धिजीवी वर्ग डॉ किरण ग्रोवर, डॉ अतुला भास्कर, प्रिंसिपल डॉ सीमा अरोड़ा, डॉ ज्योति गोगिया, डॉ दीप्ति साहनी डॉ दीपक, डॉ संजय चौहान, डॉ अनुपाल, डॉ सीमा शर्मा, डॉ सरोज बाला इत्यादि ने नवजागरण के अग्रणी साहित्यकार डॉ रमेश पोखरियाल निशंक के लेखन को आत्मसात कर के उस पर समीक्षात्मक, तुलनात्मक सारगर्भित मौलिक अभिव्यक्ति दी है।
इस अवसर पर डॉ निशंक अपने साहित्य पर इतने आत्मीय लेखन को अपनी कलम की सार्थकता और सकारात्मकता बताते हुए कहा कि “बहुत संतुष्टि मिलती है एक लेखक को जब उसके लेखन को विविध मनःस्थिति और परिस्थितियों से गुजरता पाठक पढ़ता है और उसमें अपनी जिज्ञासाओं का हल प्राप्त कर उसे अपने अनुभव के अनुसार लिखता है। वास्तव में साहित्य लेखन का औचित्य भी यही है कि यह समाज का दर्पण बने।” 
डॉ रमेश पोखरियाल निशंक ने डॉ किरण खन्ना को निरन्तर सक्रिय रहने और लेखन-रत रहने का आशीर्वाद दिया। डॉ योगेन्द्र नाथ शर्मा अरुण ने डॉ रमेश पोखरियाल निशंक को भारतीय संस्कृति का सजग प्रहरी बताया तो डॉ अनिल जोशी ने इस साहित्य की समसामयिक प्रासंगिकता पर विचार प्रस्तुत किए। 

डॉ जेपी शूर ने डॉ निशंक की नयी शिक्षा नीति और उनके राष्ट्र कल्याण की भावना की प्रशंसा की। प्रिंसिपल परमजीत छाबड़ा ने डॉ निशंक के साहित्य और नयी शिक्षण नीति को भारतीय युवा वर्ग को भारतीय संस्कृति के साथ पुनः जोड़ने का प्रावधान बताया। 
डॉ किरण खन्ना ने कहा कि यह समय की मांग है कि आज डॉ निशंक का साहित्य  माध्यमिक और उच्चतर शिक्षा पाठ्यक्रम का भाग बने ताकि नयी पीढ़ी को राष्ट्र निर्माण, मूल्य चेतना और वैश्वीकरण में पेश आने वाली चुनोतियों का सामना करने का साहस मिले। एक साहित्यकार का लेखन महत्वपूर्ण बनने में तभी कामयाब होता है जब वह सामाजिक यथार्थ को युग बोध के साथ इस प्रकार से प्रस्तुत करे कि केवल सम्प्रति नहीं भावी पाठक वर्ग भी उसके औचित्य को आत्मसात करें। डॉ निशंक के साहित्य सृजन की महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि यहां लेखक पर राजनीतिज्ञ कहीं हावी नहीं हुआ। लेखन आदर्शोन्मुखी यथार्थवाद  की तरफ अग्रसर है और समस्या को इंगित करता हुआ समाधान भी प्रस्तुत करता है। आंचलिकता का पुट इसे और भी ग्राह्म और सौद्दैश्य बनाता है। पाठक इसे पढ़ते हुए सहज ही साधारणीकरण की यह अवस्था में पहुंच जाता है।
इस अवसर पर डॉ अनिरुद्ध, डॉ राहुल, जायंट कमिश्नर हेमा चौधरी और सूत्रधार के रूप में डॉ बेचैन कांडियाल उपस्थित रहे।

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