Wednesday, October 16, 2024
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योगेंद्र पाण्डेय की कविता – गुलमोहर के फूल

तुमने जहाँ रखे थे अपने क़दम
वहाँ खिल आए हैं
गुलमोहर के फूल
उग आए हैं
दूब की घास
ये रास्ता जो जाता है
अंजान सी मंज़िल की ओर
वहाँ कई चौराहे मिलेंगे
और हर एक चौराहे पर होगा
तुम्हारे घर का पता
हम ढूँढ लेंगे तुम्हें
तुम्हारी कदमों के निशान से
तुम दूर नहीं हो, मेरे हृदय के
समीप हो मगर
दूर हैं तुम्हारे कदमों के निशान
जिस पर खिल आए हैं
गुलमोहर के सुंदर फूल
इन फूलों में कहीं गुम है
हमारे मिलन के वो
सुनहरे पल जिसे
हमने कभी जिया था
एक दूसरे के बाहों में सिमट कर
तुम हो जहाँ भी
हम आयेंगे वहीं चाहे
बीत जाए युग
चाहे बिखर जाए देह
चाहे थम जाए सफ़र।।
योगेन्द्र पाण्डेय
सलेमपुर, देवरिया
6394893753
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