राइटर्स ब्लॉक
रुकना कब जानते हैं शब्द
बढ़ जाती है जब व्यक्त होने की आकुलता
और चलता रहता है विचारों का झंझावात
अधीर हो उठता है
अन्तर्मन का कोना-कोना
किन्तु ठिठकी हुई है कलम की नोक
क्या फर्क पड़ता है
कि रफ्तार के घोड़ों पर सवार
दुनिया दौड़ रही है दसों दिशाओं में
गौर कीजिये  आपके पाँव बंधे हुए हैं
मानो ताला लटककर बंद
हो अभिव्यक्ति के खिड़की दरवाजे
खौफनाक है यह ठहराव
ये जिसे आप राइटर्स ब्लॉक कहते हैं न
वह कविता नहीं
दरअसल
एक भरे पूरे आदमी का जम जाना होता है…….
असहमतियां 
वे चली आतीं हैं अक्सर
कभी बुजुर्गों के चमकदार बीते हुए कल सी
कभी क्रोध के कन्धों पर सवार तनी हुए युवा सी
कभी कौतुहल की ऊँगली थामे नन्हे बच्चे सी
तो कभी दोस्ती का चेहरा लगाये किसी दुश्मन सी
कुछ ललकारते हुए, फुफकारते हुए,
कुछ रेंगते हुए सहमी सहमी सी,
कुछ मुस्कुराते हुए दबे पांव
बिना आहट किये आती हैं
ठीक किसी बिल्ली-सी
वे जो चिपकी थी
अपनों के चेहरों पर
कदमों से आ लिपटी
और मनुहार कर मना लिया
कुछ जिन्हे
जिन्हे दबा दिया था
रिश्तों की नर्म जमीन में
वे फूट आई विषैले पौधों की शक्ल में
कुछ उगी ठीक सीने पर
कुछ पीठ पर
कुछ तलवों में अँखुआ गईं
और कुतरती रही वजूद को
धीमे धीमे
कुछ चल दीं मुंह छिपाकर
पर लोटन कबूतरों सी
लौट लौट कर आती रहीं
हर बार नए रूप में
बस कुछ ही थी
जो फुर्र से उड़ गई
पिंज़रे से छूटे पंछी की तरह
और रास्ता भूल गईं
मैंने हमेशा स्वागत किया उनका
खुली बाँहों से
आवभगत कर बैठाया साथ
पूछा हाल चाल, खिलाया गुड़ चना
सच कहूँ
उनकी उँगलियों के सिरे
इंगित करते रहे
कामयाबी के लम्बे किंतु सटीक रास्ते
कड़वी निम्बोलियों-सी
मुझे वे हर बार बेहतर लगीं
सहमति का मुखौटा लगाये साजिशों से  …….
सबसे उदास दिन
उन सबसे अनमने दिनों में
जब सूरज महज आग का गोला
बन जाए
और चाँद तब्दील हो जाए
सफेद ठंडे पत्थर में
जब आवाजें शोर बन जाएं
और पुकार के आगे खड़ी हो अडिग दीवार
जब दुनिया बदल जाए एक ग्लास हाउस में
जहां तमाम दर्दभरी ऊष्मा के बीच
तपाती यादों के बाहर जाने के
सब रास्तों पर पहरा हो
मैं उदासी के पैरहन पर
जड़ देती हूँ सबसे चमकदार सितारे
सजा देती हूँ खुशनुमा यादों की किनारी
सबसे शोख रंगो को करती हूँ आमंत्रित
अपने लिबास के लिए
अवसाद को तरल हो बह जाने
को मनाती हूँ
अंधेरों को काजल बना सजा लेती हूँ
सूजी आँखों में
संवरकर निहारती हूँ आईने में
देर तक
और मुग्ध हो जाती हूँ
दुःखों को सौंप देती हूँ मोती जड़े पंख
और मन के ताले को खोलती हूँ
मनचाहे संगीत की चाबी से
एकांत को मीत बना
नवाजती हूँ मीठे चुम्बनों से
खोलती हूँ
मनपसंद किताब का मुड़ा पन्ना
डूब जाती हूँ वर्णनातीत सुख में
महसूसती हूँ गूंगे के गुड़ सी मिठास
सबसे उदास दिनों में
मैं सीख लेती हूँ
एक बार फिर से खुद के प्रेम में पड़ना….
माँएं कभी नहीं मरा करतीं
जाने कौन सा अमरफल खा
पैदा होती हैं ये माँएं
जाने चख लेतीं हैं कहाँ से अमृतकलश से
छलकती बूंदे
कि अमर हो जाती हैं
उनके लिए भी, जिनके लिए
माँ और मृत्यु समानार्थी शब्द होते हैं
वे जिन्दा रहती हैं तो प्रेत बनी रहती हैं
और मर जाती हैं तो सदा के लिए जीवित हो जाती हैं
शापती हैं बुरे वक्त को
भिड़ जाती हैं मृत्यु से
हर तूफान में पतवार हो जाती हैं माँएं
जादूगरनी होती हैं माँएं
धर लेती हैं कोई भी रूप
पल में उदास धूसर से चटख लाल हो जाती हैं
चुपके से आले में धरकर सारे संताप
बटोरती हैं सन्तान के लिए झोली भर खुशियाँ
पलाश के फूल हो जाती हैं माँएं
सहेजती हैं आंसुओं से चुटकी-चुटकी नमक
उँगलियों पर नाख़ून-सी जड़ी
जानती हैं झट से मौसम को बदलने का हुनर
बिछ जाती हैं कुसमय के कदमों में
दुर्दिनों में भी उत्सव हो जाती हैं माँएं
जन्म और मृत्यु के सारे रहस्य जानती हैं वे
एक दिन जन्म और मृत्यु की दीवार तोड़
काल की छाती पर पांव धर
कालजयी हो जाती हैं
लौटती हैं बार-बार बिना पुकारे
भूत, वर्तमान और भविष्य की
देहरियों पर अनवरत घूमती
एक दिन कागज पर कविता बन सो जाती हैं माँएं……
व्हाट्स एप युग में प्रेम
गुड मॉर्निंग, शुभ प्रभात, स्वागत,
बधाइयों और श्रद्धांजलियों की
अनवरत ठेला ठेली के ठीक बीच से
दो नम्बरों ने एक दूसरे को
प्यार भरी नज़र से देखा
अंकुरित हुआ एक सम्बन्ध
किसी एक व्हाट्सएप समूह में
फॉरवर्ड, शेयर और फोटो अपलोड के बीच
धीमे धीमे बाहर फूट निकला इसका
नन्हा बिरवा और तेज़ी से फैलने लगा
यह खरपतवार की गति से
यह इतनी तेज़ी से विकसित हुआ
कि इसकी टहनियाँ  जा पहुँची
दोनों के निजी इनबॉक्सों तक
नीले टिक के निशानों से मिलती रही
इसे प्राणवायु
और कितने ही इमोजीस ने इसे
गोद में खिलाया
हर ‘हम्म’
इसके लिए लोरी बना
और कितने फोटो अपलोड इसे जी बहलाने
के लिए किए जाते रहे
एक उम्र तक जिया, फला फूला और
एक दिन शायद फोन से बाहर आने की एक जिद
के आगे तोड़ दिया इसने दम
या फिर यह किसी अन्य नए नम्बर की घुसपैठ
की तपिश में झुलस गया था
कारण तो वे दोनों ही जानते थे
हम केवल इतना जानते हैं कि
ये नंबर अब एक दूसरे की ब्लॉक लिस्ट की शोभा हैं
इसे आप व्हाट्सएपिया प्रेम कह सकते हैं

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