1
दूर क्षितिज पर मिलन धरा का
लगता कितना मनभावन है ।
कहीं बरसते सजल नयन है,
बरसाता कहीं वो सावन है।
आधा जीवन स्मृतियों में जीते,
जीयें आधा संघर्षों में,
सुखदुख की आँखमिचौनी ,
जीवन है,पुनीत और पावन है।
बहती धारा में झिलमिल दीपक,
लगते दूर सितारों से,
देख कहकशां के ये नज़ारे,
रोशन होता मन आँगन है।
2
कविता,जीने की आस है,
जीवन का अहसास है।
मिलन और जुदाई में,
बेचैन तड़पते मन की प्यास है।
बसती उसी में खुदाई,
दिल का यह विश्वास है।
नूर है उसकी आँखों का,
ज़िंदा रहने का प्रयास है।
साँसों का चैन औ सुकून,
मन का आभास है।
करार है रूह का,
रूहानी प्रभास है।
इनायत उसकी,इबादत लफ़्ज़ों की,
उसके पास होने का क़यास है।
बहुत सुन्दर रचना..!
मनमोहक अभिव्यक्ति। बधाई
– अनिता रश्मि