चन्द्र किरण सोनरेक्सा के रचना संसार का सांगोपांग वर्णन करते हुए, भारत के महिला समाज की त्रासदी का मार्मिक उल्लेख किया है। ऐसे सुविचारित लेख के लिए धन्यवाद तथा साधुवाद
प्रस्तुत शोधालेख में चंद्र किरण सौनरेक्सा के लेखन की सम्पूर्ण यात्रा को आधार बना कर जो कर्मठ प्रयास डॉक्टर रुचिरा ढींगरा जी ने किया है, वह स्वतः मुखर है l एक स्त्री ही स्त्री के कोमल और कटु भावों को बेहतर समझ सकती है l क्रांति महज़ युद्ध से नहीं लेखन से भी संभव है l प्रस्तुत शोधालेख की दोनों महिलाओं के अपने अपने प्रयासों से यही विचार पुष्ट होते हैं l हार्दिक बधाई और शुभकामनायें l
चन्द्र किरण सोनरेक्सा के रचना संसार का सांगोपांग वर्णन करते हुए, भारत के महिला समाज की त्रासदी का मार्मिक उल्लेख किया है। ऐसे सुविचारित लेख के लिए धन्यवाद तथा साधुवाद
प्रस्तुत शोधालेख में चंद्र किरण सौनरेक्सा के लेखन की सम्पूर्ण यात्रा को आधार बना कर जो कर्मठ प्रयास डॉक्टर रुचिरा ढींगरा जी ने किया है, वह स्वतः मुखर है l एक स्त्री ही स्त्री के कोमल और कटु भावों को बेहतर समझ सकती है l क्रांति महज़ युद्ध से नहीं लेखन से भी संभव है l प्रस्तुत शोधालेख की दोनों महिलाओं के अपने अपने प्रयासों से यही विचार पुष्ट होते हैं l हार्दिक बधाई और शुभकामनायें l