संग्रह – चिंगारी तथा अन्य लघुकथाएँ; लेखक: अशोक वर्मा; प्रकाशक: एस पी कौशिक इंटरप्राइजज, जगतपुरी एक्सटेंशन, दिल्ली – 110093; पृष्ठ – 95; मूल्य – 300/-
साहित्य की विधा कोई भी हो, समर्पण एवं प्रतिबद्धता लेखन के अनिवार्य बिंदु होते हैं। और  देखा जाए तो वास्तव में यही वे बिंदु हैं जो किसी भी लेखक द्वारा सृजित साहित्य में, उसकी गुणवत्ता की पहचान बनते हैं। यही कारण है कि समय की धार पर साहित्यिक रचनाओं की गुणवत्ता हमेशा ही उनकी संख्या से कहीं अधिक छाप छोड़ती रही हैं। लघुकथा साहित्य में इस बात का एक श्रेष्ठ उदाहरण रहे हैं, ग़ज़ल विधा के लाज़वाब फ़नकार तथा सिद्ध लघुकथाकार अशोक वर्मा।
लघुकथा के प्रति पूर्ण रूप से समर्पण और सहज पके सो मीठा होएकी तर्ज पर लघुकथाएं लिखना इनकी विशेषता रही है। करीब सत्ताईस वर्ष की आयु में (1978 में) अपनी पहली लघुकथा गुल्लक‘ (इंदौर की पत्रिका वीणा में प्रथम बार प्रकाशित) लिखने वाले अशोक वर्मा जी ने अपना प्रथम लघुकथा सँग्रह खाते बोलते हैंवर्ष 1995 में साहित्य जगत को अर्पित किया था और इसके 26 वर्ष बाद, हाल ही में उन्होंने अपने दूसरे लघुकथा सँग्रह चिंगारी तथा अन्य लघुकथाएँको विधा को समर्पित किया है। हालांकि यहां यह बताना गौरतलब रहेगा कि विख्यात ग़ज़लगो अशोक जी ग़ज़ल विधा में अभी तक अपने तीन सँग्रह ला चुके हैं और चौथे की तैयारी कर रहे हैं। बहरहाल बात लघुकथा की करें तो उनकी रचनाओं में उनके कथ्य, सहज ही जीवंत घटनाओं की तरह एक गंभीर शब्द शैली में पाठकों के दिल तक पहुँचने में सफल रहते हैं। विषयों की विभिन्नता और अक़्सर नए प्रयोग करना इनकी लघुकथाओं का एक बड़ा आकर्षण होता है। रचनाओं के शीर्षक के मामले में वे सदैव ही सतर्क रहे हैं।
प्रस्तुत सँग्रह चिंगारी. . .में उनकी कुल पचपन लघुकथाएँ सम्मलित की गई हैं, जिनमें खाते बोलते हैं‘ ‘गुल्लक‘, ‘संस्कार‘, ‘समझ‘, ‘तुम उदास अच्छे नहीं लगतेजैसी रचनाएँ साहित्य जगत में अपने सृजन काल से ही एक सार्थक पहचान बनाने में सफल रही हैं। इनमें, जहां लघुकथा गुल्लकमें माता पिता द्वारा विशेष परिस्थिति में बेटे की गुल्लक की राशि का प्रयोग करने की बात पर बेटे की तीक्ष्ण प्रतिक्रिया का बहुत प्रभावी चित्रण किया गया है। वहीं लघुकथा तुम उदास अच्छे नहीं लगतेमें परिवार में एक गृहणी (हाउस वाइफ) किस तरह घर की आर्थिक और सामाजिक नींव का हिस्सा बनती है, इस बात को बहुत गंभीरता से दर्शाया गया है।
डायरी शैली में रचित लघुकथा खाते बोलते हैंमें एक आम नागरिक के ग़रीबी-ग्राफ़ का विलक्षण चित्रण किया गया है। डायरी शैली की ही एक और रचना तुम यहीं होमात्र सात दिनों की घटना में सारे जीवन के फ़लसफे का जो भावनात्मक टचपाठक के लिए छोड़ जाती है, वह अद्धभुत है। गृहस्थी में अवैध सबंधों पर रचित रचना संस्कारजिस तरह से मर्यादित शैली में कथ्य को सामने रखती है, इसकी मिसाल लघुकथा साहित्य में कम ही मिलती है। दैहिक जरूरतों से ही जुड़ी रचना समझबीते दौर में परिवार नियोजन के बिंदु पर अपनी बात सफलता से कहती है।
बात यदि सँग्रह की शीर्षक लघुकथा चिंगारीकी की जाए तो कमोबेश साक्षात्कार शैली में रची यह रचना स्त्री-पुरुष के दैहिक संबंधों पर एक ज्वलंत विमर्श सामने रखती है कि क्या इस तरह का एक संबंध ही व्याक्ति के सभी गुणों को नकारने के लिए काफ़ी है। एक लंबी कहानी का विषय होते हुए भी जिस तरह साक्षात्कार शैली में इसे लघुकथा रूप में रचा गया है, वह सराहनीय है।
मनोवैज्ञानिक रचनाओं में अशोक जी की कलम जिस तरह के भाव शब्दों से पैदा करती है, वह सराहनीय है। लघुकथा एक पराजित विजयमें एक कांच का गिलास जमीन पर गिराकर एकाकीपन से घिरे पात्र की मनोस्थिति को परिवर्तित रूप में दर्शाना सहज ही अंतर्विरोध का एक अद्धभुत उदाहरण है। । 
प्रतीक रूप में जब वह मानवेत्तर लघुकथा पीली साड़ी का दर्दलिखते हैं तो दो भिन्न रंगों की साड़ी के माध्यम से जीवन की विविधता के साथ भाग्य बिंदु का भी एक विचार पाठक के लिए छोड़ जाते हैं। ठीक ऐसे ही रचना दो जूतों की गुफ़्तगूमें जूतों का आपसी विमर्श, अनुशासन और स्वतंत्रता के बीच का सूत्र समझाता नजर आता है।
कोरोना काल से जुड़ी लघुकथा सेनेटाइज़रमें उठाया गया प्रश्न क्या कोई ऐसा भी सेनेटाइज़र है जो भूख को मिटा दे‘, जहां कोरोना काल में भूख की समस्या को रेखांकित करता है वहीं जीवन की दौड़ में प्राथमिकता किसकी होनी चाहिए, इस बात का भी इशारा करता है। ऐसा ही कुछ भाव उभरता है लघुकथा वो एक पलमें जहां शराब खरीदने गया व्यक्ति किसी गरीब के बारे में सोचकर बिना शराब खरीदे ही घर लौट आता है।
कोरोना काल में ही चर्चित हुए शब्द वर्क फ्रॉम होमका चित्रांकन करती रचना कटखना‘, महीनों घर के दायरे में कैद रहने वाले व्याक्ति की झल्लाहट भरी मानसिकता को सामने रखती है। रचना के अंत में गली से गुजरती बारात को देख बच्चों के साथ उस व्याक्ति का नाचना सहज ही मानव की उस आंतरिक सामाजिक प्रवर्ति का द्योतक है जिसके बिना मानव-जीवन एक पाषाण ही कहा जा सकता है। 
व्यंग्य का भाव लघुकथा में दर्शाना बहुत कठिन होता है लेकिन विधा और कथ्य की गहरी समझ रखने वाला लेखक इस बिंदु पर तीक्ष्ण दृष्टि रखने में गलती नहीं करता। व्यंग्यात्मक रचनाओं में ही एक रचना मुखौटाएक नेता के पुत्र द्वारा दशहरे के दौरान बिकने वाले मुखौटों के खरीदने और लोगों को डराने, मूर्ख बनाने की बात पर माँ का एक कटाक्ष खबरदार ! जो ऐसा किया, तेरे पिता से तो मैं पहले ही दुःखी हूँ।अनगिनत व्यंग्य रचनाओं पर भारी है। व्यंग्य की ही तीक्ष्ण धार भीतर का आदमी‘ (जिसमे व्याक्ति अपने अंदर की कमियों को सामने पाकर हतप्रभ से रह जाता है।) और सपनो का यथार्थ‘ ( जो सपने में देखी घटनाओं पर वहम पालने वालों पर रची गई है) में भी देखने को मिलती है। लघुकथा बेंतको भी, आदमी ख़ुद को हमेशा जवान ही देखना चाहता है की अभिव्यक्ति के साथ एक हल्का व्यंग्य कहा जा सकता है।
सँग्रह की एक लघुकथा में, ‘दादी के नुस्ख़ेआज की युवा (नारी) पीढ़ी को छेड़छाड़ से लेकर और लिव इन रिलेशनशिप तक के बिंदु पर जिस तरह से बहुत कुछ समझाती है, वह दो पीढ़ियों के बीच के ख़त्म होते गैपके साथ एक परिवर्तन का भी इशारा करती नजर आती है। एक और लघुकथा वनवासमें जिस तरह एक पोते के संघर्ष को उसकी दादी द्वारा राम से तुलना करते बताया गया है, वह कथा का सुंदर पक्ष है।
पत्र शैली में लेखन सहज नहीं है लेकिन उनकी लिखी रचना खादइस शैली का एक अच्छा उदाहरण होने के साथ पत्रिका प्रकाशन के विषय पर भी प्रभाव छोड़ने में सक्षम है। ऐसे ही वे चमत्कारी रूप से नए शिल्प का प्रयोग, एक रचना तार-बेतार का तीसरा रंगमें भी करते नजर आते हैं।
सँग्रह की कुछ और लघुकथाएँ विभिन्न भावों के साथ पाठक को अपनी ओर खींचती नज़र आती हैं। अश्लीलता और समाचार पत्रों के दोहरे मापदंड दिखाती इवनिंग न्यूजजैसी रचना हो या चेती हवेली पहुंच गईऔर ढलते हुएजैसी रचना, नैतिकता के बिंदु पर सहज ही पाठक को सोचने पर मजबूर करती है। उसकी पींगअपने प्रयासों से उंचाईयों को छू लेने की कथा के साथ एक वर्ग भेद का भी अच्छा उदाहरण है। मजबूत दीवारससुराल में सास-बहू के सकारात्मक संबंध की बात करती है तो लघुकथा धरती घूमती हैबच्चों को पढ़ने के लिए कहने से लेकर उन्हें पढ़ना छोड़ घर से बाहर खुले में जाने तक की दौड़ है। गंध और गंधराजनीतिक के माहौल में नेताओं के व्यवहार का चित्रण है जिसमें कथा के अंत में कुत्ते द्वारा अपने घाव को चाटने का उदाहरण रचना को ऊंचाई देता है। रचना बिग बॉसएक और जहां मालिक के प्रति विरोध की भावना दिखाती है वहीं अपने कार्य में  समर्पण भाव भी दिखाती है। रचना का अप्रत्याशित सकारत्मक अंत इस रचना का प्रभावी पक्ष है।
ही मैन तुम कहाँ होजैसी रचना आज के माहौल में, घर में पुत्री के युवा होने पर पिता की मानसिक स्थिति पर बहुत कुछ कह जाती है। तो रिटायर्ड व्यक्ति के संदर्भ में लिखी लघुकथा चौकीदारसारे परिवार के बाहर मॉल जाने और वृद्ध के अकेले घर रहने पर कटाक्ष करती नजर आती है। सेवा निवृत व्यक्ति की व्यथा पर ही रची रचना व्यावहारिकताअपना प्रभावी छोड़ने में सफल रही है। लेकिन इससे भी आगे बढ़कर लघुकथा तस्वीर की तक़दीरहै जो एक दिवंगत की यादों की प्रतीक तस्वीर का भविष्य दिखाती है।
बहरहाल बहुत सी ऐसी रचनाएँ भी हैं जो कथ्य के स्तर पर मजबूत होते हुए पाठक को आकर्षित नहीं करती। अपनी ही सृजित रचनाओं पर वाह-वाह पाने वाले लेखक के अंतर्मंथन को सामने रखती लघुकथा मोरहो, आंचलिक भाषा में रची टूटी कहाँ कमन्दहो। या घर में लगे कैलेंडर पर एक साधारण सी लड़की को मॉडल के रूप में देखकर विचारों की उठान दर्शाती रचना वह मॉडल लडक़ीहो, या फिर सरकारी स्कूलों के अध्यापक द्वारा स्टैंडर्ड के नाम पर अपने बच्चों को आधुनिक स्कूलों में पढ़ाने की कथा कहती लघुकथा स्टैंडर्डहो। ये सभी रचनाएँ कहीं न कहीं प्रभाव छोड़ने में सफल नहीं होती। फिर भी 
चांद मेरे आज रे‘, ‘ये रात फिर कब आएगी‘, ‘देश की बेटी‘, ‘अंतिम साक्षात्कार‘, ‘स्वप्न भंग‘, ‘गुरगा‘,
पूर्ववत‘, ‘इन बहाने‘ ‘रोजगार‘  ‘फ़ैसला‘, ‘घर निकाला‘, ‘ये ही घर है‘, ‘रईस‘, ‘गुलफ़ाम‘, ‘योद्धाऔर आंचजैसी रचनाएँ भी कहीं न कहीं समाज की भिन्न समस्याओं का ही चित्रण है।
संक्षेप में यदि ये कहा जाए कि प्रस्तुत संग्रह अपनी अधिकांश रचनाओं के साथ सहज ही पाठकों को न केवल प्रभावित करने में बल्कि उनके मन-मस्तिष्क में लंबे समय के लिए एक रेखा खींचने में भी सक्षम हैं, तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। इसी विश्वास से सादर शुभकामनाओं सहित।

2 टिप्पणी

  1. सराहनीय समीक्षा। वर्तनी की अशुद्धियों पर ध्यान देने की आवश्यकता।

  2. अनिता जी धन्यवाद ख़ास तौर पर वर्तनी की अशुद्धियों पर ध्यान दिलवाने के लिये।

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.