किसी व्यक्ति के बारे में जानना हो, तो आप उसके मित्रों के बारे में जानकारी जुटा लें। किसी का स्वभाव, रूचि, जीवन मूल्य और उसका नज़रिया, यह सब आप उसकी मित्रता सूची में शामिल लोगों को देख कर समझ जाएंगे।
प्राचीन काल में हिसाब रखने के लिए बही-खाते का उपयोग किया जाता था। दोस्ती ऐसा ही एक जीवंत बही-खाता है जो जीवन के सुख-दुख में साथ खड़ा रहता है। जन्म से मिले रिश्ते, प्रकृति की देन है। ऐसे रिश्तों पर किसी का वश नहीं चलता मगर इसके विपरीत मित्रता, इंसान स्वंय चुनता है। इसीलिए जब किसी के बारे में गहराई से जानना हो, उसके मित्रों को गौर से देखें।
यह सोशल मिडिया का दौर है। सब लोगों की, अधिकतम जानकारियाँ सोशल मिडिया पर उपलब्ध है। इसके बावजूद एक सच यह भी है कि बहुत सारे लोग अपने सोशल मिडिया को बारीक़ी से मैनेज करते है। ऐसे लोग फिल्टर सामाग्री को ही पब्लिक तक जाने देते हैं। ऐसे में जो छिपा रह गया, वह दोस्ती उजागर कर देती है।
आपसे बिना पूछे, आपका संपूर्ण परिचय आपके दोस्त देते हैं। आप कितने तरक्की पसंद है, कितने आलसी है, और आप जीवन में कितने ख़तरे उठा कर अपने सपनों को पूरा करने का माद्दा रखते है, यह सब और इससे इतर, आपके बारे में सब कुछ आपकी दोस्तियाँ बता देती है।
बचपन से मैं एक ऐसे व्यक्ति को जानती हूँ जिसके सपनों को बड़ा होते हुए मैंने देखा है। शुरू से उसकी मित्र मंडली अलग तरह की थी। वह सभी दोस्त, लड़कपन में भी कुछ अलग करने के सपने देखते थे। पारिवारिक स्थिति अच्छी होने के बावजूद उन्होंने अपनी व्यक्तिगत पहचान बनाने के लिए ‘ग्रास रूट’ से शुरुआत की। ना उन्होंने मेहनत से गुरेज की और ना ही अपने सपनों के साथ कभी कोई समझौता किया। बल्कि कहा जाए कि समय के साथ उनके सपने और बड़े होते चले गए, तब ठीक रहेगा।
मुझे बताते हुए खुशी हो रही है कि आज वह एक छायादार वृक्ष का आकार ले चुके है। अनगिनत लोगों को काम-रोजगार देने वाले, समाज से जितना लिया, उससे अधिक वापस लौटाने वाले इंसान के तौर पर पहचाने जाते है। उसके मित्रों को सूची बेशक बढ़ गई है मगर जीवन के कच्चे-पक्के रास्ते पर जो शुरू में साथ चले थे, वह यार-दोस्त आज भी साथ हैं।
मुझे याद है कि मेरे पापा उस समय मेरे फूफेरे भाई, कर्नल (सेवानिवृत्त) जितेंद्र यादव के लिए कहा करते थे, ‘ये अपनी अलग पहचान बनाएगा।‘ आज उनका एक-एक शब्द सही साबित हो रहा है।
सारांश यही है कि यदि आप अपने बारे में सही-सही जानकारी चाहते हैं, अथवा किसी अन्य को पहचानना चाह रहे है, तो उनके मित्रो को समझिये। यदि आप तरक्की चाहते है, सफलता चाहते है, तो अपने मित्रों की सूची जाँचिये।
नमस्कार दी ,
आपके कहने का मतलब है संगत का असर ।
हाँ कुछ हद तक बात सच है ।
पर मेरा ये सोचना है कि ज़िंदगी में आप किससे प्रभावित हैं वो प्रभाव ही ज़िंदगी की राह निश्चित करता है ।
मेरी सहेलियाँ ज़्यादा महत्वाकांक्षी नहीं थी पर सोचती हूँ ज़रूरी नहीं है किसी पार्टी में सभी को डांस करना ही कुछ लोग बैग संभलने या बच्चे पकड़ने के लिए भी तो चाहिए ।
वन्हा ऐसे दोस्त ही काम आते है ।
कभी करियर की राह में माँ के हाथ का खाना याद आए तो ऐसे ही दोस्त काम आते हैं जब प्रतिस्पर्धा के युग में सब एक के अपर एक पैर रख रहे हों तब ऐसे ही दोस्तों का कंधा काम आता है ।
ये मेरा सोचना है ।