Wednesday, May 15, 2024
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स्नेह पीयूष के प्रथम कविता संग्रह ‘इतना तुम मय होकर’ का विमोचन

कितनी भी घृणा हो प्रेम बचा रहेगा – कुमार विश्वास
प्रेम की कविता लिखना और प्रेम करना स्त्रियाँ ही जानती हैं – पंकज सुबीर
दिल्ली। मंगलवार को शहर के इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र का समवेत सभागार खचाखच भरा हुआ था। सभागार में शिवना प्रकाशन से प्रकाशित कवयित्री स्नेह पीयूष के प्रथम कविता संग्रह ‘इतना तुम मय होकर’ का विमोचन तथा पुस्तक चर्चा कार्यक्रम आयोजित किया गया था। इस गरिमामयी कार्यक्रम का आयोजन शाम 7.30 बजे किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता सुविख्यात लेखिका ममता कालिया ने की, तो वहीं बतौर मुख्य अतिथि सुप्रसिद्ध कवि तथा विचारक डॉ. कुमार विश्वास मौजूद रहे।

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता साहित्यकार पंकज सुबीर रहे। कार्यक्रम का गरिमामय संचालन देश के जाने-माने मंच संचालक शशिकांत यादव ने किया। कार्यक्रम की शुरुआत अतिथियों द्वारा माँ सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलित कर की गई। इसके बाद मंचासीन अतिथियों का स्वागत लेखिका स्नेह पीयूष और उनके पति प्रत्यक्ष कर विभाग के ओएसडी पीयूष सोनकर ने पौधा तथा शॉल भेंट कर किया।
कार्यक्रम में सबसे पहले बोलते हुए लेखिका स्नेह पीयूष ने इन कविताओं के बारे में बताया कि किस तरह ये कविताएँ उनके मन में उपजीं और इसके बाद किस तरह उन्हें लिखा और फिर प्रकाशन के बाद उनके हाथ में किताब आने तक की पूरी प्रक्रिया को बताया। इसके बाद शिवना प्रकाशन के संचालक शहरयार खान ने अतिथियों के हाथों किताब का विमोचन करवाया।

विमोचन के बाद मुख्य वक्ता पंकज सुबीर ने कहा कि इसमें प्रेम की कविताएँ हैं। जिनको पढ़कर लगता है कि प्रेम पर लिखना और प्रेम करना स्त्रियाँ ही जानती हैं। पुरुष प्रेम करना नहीं जानता। यह प्रेम और समर्पण की कविताएँ हैं। वहीं मुख्य अतिथि डॉ. कुमार विश्वास ने किताब में प्रकाशित कविताओं पर लंबी चर्चा की। इस दौरान उन्होंने कहा कि इस कविता संग्रह की कविताएँ प्रेम की बात करती हैं। जिससे लगता है कि घृणा कितनी भी बढ़े, पर प्रेम बचा रहेगा। यह एक स्त्री की कविताएँ हैं इसलिए इनका छप कर सामने आना बहुत ज़रूरी था।

लेखिका ममता कालिया ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि इस संग्रह में कई विषयों पर लिखा गया है। इसमें विविधता है। किताब में मजदूर, प्रेम, स्नेह, प्रकृति, विरह जैसे कई विषयों पर लिखा है। किताब को पढ़कर मुझे स्नेह पीयूष के लेखन में संभावनाएँ नज़र आती हैं। विशेष कर सैनिक की पत्नी की कविता की ममता कालिया ने विस्तार से चर्चा की। कार्यक्रम में अपने संचालन के जरिए संचालक शशिकांत यादव ने श्रोताओं को बांधे रखा।
श्रोताओं को भी भेंट किए पौधे
कार्यक्रम के अंत में शिवना प्रकाशन की दिल्ली कार्यालय की प्रभारी पारुल सिंह ने आभार व्यक्त किया। साथ ही शिवना प्रकाशन की तरफ से लेखिका नीलिमा शर्मा ने डॉ. कुमार विश्वास को स्मृति चिन्ह भेंट किया, प्रज्ञा रोहिणी ने ममता कालिया और अंजू शर्मा ने शशिकांत यादव को स्मृति चिन्ह भेंट किए। लेखिका स्नेह पीयूष और पीयूष सोनकर ने कार्यक्रम में पधरे सभी श्रोताओं को पौधे भेंट किए।
श्रोताओं से खचाखच भरा समवेत सभागार वक्ताओं के भाषण के दौरान रह-रह कर तालियों से गूँजता रहा। कार्यक्रम प्रारंभ होने से पूर्व स्नेह पीयूष के कला-कर्म पर आधारित एक लघु फ़िल्म का भी प्रदर्शन किया गया, जिसे श्रोताओं ने ख़ूब सराहा। साथ ही स्नेह पीयूष द्वारा लिखा गया तथा गाया गया गीत भी इस अवसर पर प्रदर्शित किया गया।
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