होमग़ज़ल एवं गीतडॉ मनीष कुमार मिश्रा की ग़ज़ल ग़ज़ल एवं गीत डॉ मनीष कुमार मिश्रा की ग़ज़ल By संदीप तोमर March 30, 2024 3 54 Share FacebookTwitterPinterestWhatsApp महीना वही पर मौसम अलग सा है यह नवंबर कहां तुम्हारी महक सा है। सबकुछ तो है मगर जैसे फीका सा है जिंदगी के जायके में तू नमक सा है। जिसे गुनगुनाना चाहता हूं हरदम मैं हमदम तू बिलकुल उस ग़ज़ल सा है। निहारता हूं अकेले में अक्सर चांद को यकीनन वह तेरी किसी झलक सा है। मैं अब तुम्हें पाऊं तो भला पाऊं कैसे एक कतरा हूं मैं और तू फलक सा है। डॉ मनीष कुमार मिश्रा विजिटिंग प्रोफेसर ( ICCR HINDI CHAIR ), ताशकंद स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ ओरिएंटल स्टडीज़, ताशकंद, उज्बेकिस्तान Share FacebookTwitterPinterestWhatsApp पिछला लेखडॉ. मधु संधु की कलम से ‘जोया देसाई कॉटेज’ की समीक्षाअगला लेखसंदीप तोमर की कहानी – अहसासों के दरमियान संदीप तोमर RELATED ARTICLES ग़ज़ल एवं गीत ज्ञान प्रकाश विवेक की पाँच ग़ज़लें May 11, 2024 ग़ज़ल एवं गीत विशेष प्रस्तुति : दीक्षित दनकौरी की ग़ज़लें May 4, 2024 ग़ज़ल एवं गीत डॉ. दिलावर हुसैन टोंकवाला की ग़ज़लें April 20, 2024 3 टिप्पणी अच्छी ग़ज़ल है मनीष जी आपकी! जवाब दें आभार। जवाब दें अच्छी ग़ज़ल जवाब दें कोई जवाब दें जवाब कैंसिल करें टिप्पणी: कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें! नाम:* कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें ईमेल:* आपने एक गलत ईमेल पता दर्ज किया है! कृपया अपना ईमेल पता यहाँ दर्ज करें वेबसाइट: Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Δ This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed. Most Popular ‘हयवदन’ : अस्मिता की खोज May 2, 2021 विनीता परमार की कहानी – घोषा April 12, 2020 मेरे हिसाब से साहित्य, समय लेकर रचे जाने की प्रक्रिया है – वन्दना यादव June 21, 2020 प्यार को प्यार ही रहने दो कोई नाम न दो : संजना November 13, 2022 और अधिक लोड करें Latest डॉ पद्मावती की कहानी – तीसरी लड़की May 11, 2024 वरिष्ठ साहित्यकार प्रकाश मनु से श्याम सुशील की बातचीत May 11, 2024 बिमल सहगल का व्यंग्य – छप जाने का सुख May 11, 2024 महेश शर्मा की कहानी – महाप्रयाण May 11, 2024 और अधिक लोड करें Latest लड़कियाँ बदली-बदली-सी – मालिनी गौतम March 29, 2018 सफेद परिंदे जैसी कोई शै March 29, 2018 प्राचीन भारत में सौन्दर्य-बोध March 31, 2018 अपनी बात…… April 6, 2018 और अधिक लोड करें
अच्छी ग़ज़ल है मनीष जी आपकी!
आभार।
अच्छी ग़ज़ल