होम ग़ज़ल एवं गीत डॉ. दिलावर हुसैन टोंकवाला की ग़ज़लें ग़ज़ल एवं गीत डॉ. दिलावर हुसैन टोंकवाला की ग़ज़लें द्वारा Editor - April 20, 2024 104 1 फेसबुक पर शेयर करें ट्विटर पर ट्वीट करें tweet 1 जो आया है उस को एक दिन जाना है दुनिया मेरे यार मुसाफ़िर खाना है जो हासिल है उसकी कोई कद्र नहीं जो ना है किस्मत में उसको पाना है इंसानों में फर्क़ नहीं करता है वो दैरो हरम से बेहतर ये मयखाना है मुझको सस्ते नगमें लिखने पड़ते है आख़िर मुझको भी तो घर बनवाना है मैं अब उसको बिल्कुल याद नहीं करता उसको जा कर बस इतना बतलाना है 2. किया सब्र काफी अब उजलत है मुझको तुम्हारे बदन की ज़रुरत है मुझको मैं दुश्वारियों को बहुत चाहता हूँ ये आसानियां बस मुसीबत है मुझको ना देरौ हरम में ना गिरजे में कोई बस इंसानियत में अकीदत है मुझको नहीं चैन आता मुझे झूठ कह कर और सच बोलने की ना हिम्मत है मुझको जिसे ज़ेहन बख्शा उसे दिल भी देता बस इतनी ख़ुदा से शिकायत है मुझको 3. यूँ तो नाकाम रहा तूफ़ान को हराने में पसीने छूट गए हवा के दिया बुझाने में दिलों की बात न शामिल करो हिसाबों में सब एहसासों को नापोगे क्या पैमाने में अच्छी सूरत पे तेरी यार हम भी मर बैठे गलतियाँ होती है इंसानों से अनजाने में ख़ुदा को याद ना करते है बैठ मस्जिद में और मैं कर लेता हूँ इबादत मयख़ाने में ऐसी बातों से पशोपेश में पड़ जाता हूँ मैं ख़ुद ही जो समझा नही औरो को समझाने में डॉ. दिलावर हुसैन टोंकवाला नवीं मुंबई मोबाइल – 9920538787 संबंधित लेखलेखक की और रचनाएं अनिला सिंह चरक की ग़ज़लें विज्ञान व्रत की पाँच ग़ज़लें डॉ मनीष कुमार मिश्रा की ग़ज़ल 1 टिप्पणी अच्छी ग़ज़लें हैं तीनों दिलावर जी! जवाब दें कोई जवाब दें जवाब कैंसिल करें कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें! कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें आपने एक गलत ईमेल पता दर्ज किया है! कृपया अपना ईमेल पता यहाँ दर्ज करें Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Δ This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.
अच्छी ग़ज़लें हैं तीनों दिलावर जी!