डॉ. दिलावर हुसैन टोंकवाला की ग़ज़लें
जो आया है उस को एक दिन जाना है
जो हासिल है उसकी कोई कद्र नहीं
इंसानों में फर्क़ नहीं करता है वो
मुझको सस्ते नगमें लिखने पड़ते है
मैं अब उसको बिल्कुल याद नहीं करता
किया सब्र काफी अब उजलत है मुझको
मैं दुश्वारियों को बहुत चाहता हूँ
ना देरौ हरम में ना गिरजे में कोई
नहीं चैन आता मुझे झूठ कह कर
जिसे ज़ेहन बख्शा उसे दिल भी देता
यूँ तो नाकाम रहा तूफ़ान को हराने में
दिलों की बात न शामिल करो हिसाबों में
अच्छी सूरत पे तेरी यार हम भी मर बैठे
ख़ुदा को याद ना करते है बैठ मस्जिद में
ऐसी बातों से पशोपेश में पड़ जाता हूँ मैं
डॉ. दिलावर हुसैन टोंकवाला
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