1 – गुब्बारे वाला
गुब्बारे वाला आया है,
ढेर गुब्बारे लाया है,
नीले-पीले, लाल-गुलाबी,
हरे, बैंगनी और चितकबरे
‘काव्या’ आयी दौड़ी-दौड़ी,
दे दो मुझको एक गुब्बारा,
लगता मुझको सब प्यारा,
लेकिन में एक ही लूंगी,
उसके दो रूपये दूंगी|
दादी जी ने दिये हैं पैसे,
बोली ले लो तुम गुब्बारे,
लेकर हो गई काव्या खुश,
तभी ‘कमल’ ने पिन चुभोई,
हो गया उसका गुब्बारा फुस
दादी बोली मत करो भईया से मार,
जाओ ले आओ गुब्बारे चार
2- उसके गुण गायें
आओ जानें हम सब मिलकर,
यह दुनियां है, किसने बनाया|
किसने सूरज, चाँद बनाया,
किसने तारों को चमकाया|
किसने दी सूरज को गरमी,
किसने दी चाँद को चाँदनी|
किसने तारों को नभ में फैलाया,
वो कौन है, जो छुपा हुआ है,
तेरे मेरे दिल के अन्दर|
आओ जाने हम सब मिलकर|
किसने फूलों को महकाया,
किसने आग को दहकाया,
किसने हवा को फैलाया|
किसने पेड़ों को हरे रंग से सजाया|
नीला, पीला, हरा, गुलाबी,
किसने रंगों का संसार बानाया|
वह कौन कलाकार, कहाँ रहता है,
आओ मिलकर पता लगायें,
उसकी रचना को शीश झुकायें,
आओ मिलकर उसके गुण गायें|
3- तितली
हरी, नीली, पीली, चितकबरी,
देखो उड़ रही है, कैसे ये तितली,
फूल-फूल मंडराती है,
कहीं न ये रुक पाती है|
उसके पीछे-पीछे भाग कर,
मक्कू दिन-दिन भर हैरान हुआ,
न आयी पकड़ में एक भी तितली,
और अंत में एक रंगीली परी सी तितली
आयी पकड़ में उसके,
उसने बंद किया माचिस की डिब्बी में,
लेकर गया अपनी दीदी के पास,
दीदी थी उसकी थोड़ी होशियार,
बोली भैया मक्कू सुन लो,
बंद तितली हो गई उदास,
उसे छोड़ो तुरंत उड़ने दो,
खुली हवा में लेने दो सांस,
मामी तुमको बंद कर दे कमरे में,
तब तुम होंगे कितने उदास,
आयी बात समझ में दीदी की,
तुरंत उड़ाया तितली को उसने,
फिर से बस लहराने लगी,
खुले गगन में, फूलों पर मंडराने लगी|
डॉ माया दुबे की बाल कविताएँ ,मन को बचपन में
ले गया ।सुंदर रचना ।
प्रभा मिश्रा
धन्यवाद मैम