गर्मियों के लंबे दिन और रुपहली छोटी सी रातें।
लेट कर गुनगुनी धूप में, आसमाँ से करते बातें।
अटखेलियां पत्तों से करती, बह रही शीतल पवन।
फल लुटाते वृक्ष और फूलों से महका ये चमन।
कुछ ही दिनों में लेकिन, ये समय बीत जायेगा
शरद ऋतु की शाम में सुरमा सा घुलता जायेगा।
पत्तियां बदलेंगी रंग फिर समय के इस मोड़ पर
आएगी सुबह धुन्द की चादर सफ़ेद ओढ़ कर
देखो शिशिर ऋतू की गोद में ये प्रकृति है खो गयी।
झाड़ कर शाखों से पत्ते नींद में है सो गयी।
आती है दबे पावों से सुबह के सूरज की किरण
प्रकृति जागे नहीं, सहमा सा है वातावरण
पर विश्राम अब पूरा हुआ और निकट है निंद्रा का अंत।
शोर है चारों तरफ आया बसंत आया बसंत।
धरती का सीना चीर कर हर तरफ कलियाँ खिल रहीं।
शाखों पे पत्ते फूटते फुलझड़ियां जैसे चल रहीं
ऋतू चक्र देखो प्रकृति को दे रहा है इक नया जीवन।
कितने ही ऐसे चक्र हैं जो चलते हैं हर रोज़ हर क्षण।
दैनिक चक्र है इस देह में, पृथ्वी भी हर पल घूमती
त्रास जीवन में अगर हैं, कल फिर रहेंगे वो नहीं।
ये ऋतू चक्र है पूरा हुआ, चलता रहा चलता रहेगा
इन बदलती ऋतुओं से जीवन को नए नित रंग देगा।
निरंतर बदलाव ही भरता है इस जीवन में स्पन्दन।
नई ऋतू का नये कल का आओ करलें अभिनन्दन।
Excellent poem Keshav. This is another amazing facet of your personality. Looks like the result of your long walks and oneness with nature…. keep it up…
You said it so beautifully and with such simplicity,the circle of life and the seasons just continue their magical dance.
प्रकृति को समर्पित आपकी भावना सराहनीय है।
Thanks Sanjiv. It is the inspiration received from the lovely friends which gives expression toy thoughts.
This is awesome Keshav loved it. It reminds me of these lines by Elton John “It’s the circle of life, and it moves us all, through despair and hope, through faith and love, ’till we find our place, on the path unwinding.
Elton John
Awesome Keshav! Reminds me of these words by Elton John..”It’s the circle of life, and it moves us all, through despair and hope, through faith and love, ’till we find our place, on the path unwinding.”