• अंकुर सचदेव

मौत को दो पल और टाल दो,
मुझे मेरा बचपन दोबारा जीना है।
मुझे बेगाने शहर के इस अंजाने कमरे में,
मां के स्नेहिल हाथ से एक गिलास दूध और पीना है।
मुझे मेरा बचपन दोबारा जीना है।
बीच में पड़ी चारपाई थोड़ी खिसका दो,
मुझे पिताजी की गेंद पर एक रन और बनाना है।
सब को बता दो गली का राजा आ रहा है,
क्योंकि मुझे परेशान करने वालों को मारने मेरा बड़ा भाई आ रहा है।
धोनी के चौके छक्के पर दोस्तों के साथ सीटी बजाना है
मुझे मेरा बचपन दोबारा जीना है।
कड़वाहट के दौर में मिठास उस खोए हुए मिठास को पाना है
दादा जी की पीठ पर  लद कर एक बार फिर चीनी की बोरी बनना है।
भैया की डांट दादी की झिड़की का शरबत पीना है
मुझे मेरा बचपन दोबारा जीना है।
इस अँधेरे उदास कमरे में यूँ ही घुट घुट के जब मरना है
लेकिन पहले मुझे मेरा बचपन दोबारा जीना है।
गली छूटी शहर छूटा बस यादों का खिलौना है
मुझे मेरा बचपन दोबारा जीना है।
मौत को दो पल और टाल दो,
मुझे मेरा बचपन एक बार और जीना है।

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