यादों में खो जाती हूं
सांसो में भर लेती हूँ
याद भरी महफिल में
यूं ही तड़प रही हूं मैं
अनजाने राहों में ।
झिलमिलाती दुनिया
हिल हिलाती लहरें
धड़कन कह रही है मुझसे
क्या हो गई है तुमको ।
न पलकें बंद करती हूँ
न आंखें मूंद लेती हूँ
कह न पाई अंदर की बातें
अनहोनी दुनिया की बातें ।
हार न पाऊंगी मैं
जीतेगी एक न एक दिन
सभी इस पथ के साथी है
मैं भी और तुम भी
सहायक प्राध्यापक, हिंदी, गवर्नमेंट कॉलेज ऑफ़ वीमेन, त्रिवेंद्रम, केरल. संपर्क - habanahabeeb1983@gmail.com

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.