होम कविता डॉ. सुमन शर्मा की कविता – आषाढ़ घन कविता डॉ. सुमन शर्मा की कविता – आषाढ़ घन द्वारा सुमन शर्मा - July 25, 2021 234 0 फेसबुक पर शेयर करें ट्विटर पर ट्वीट करें tweet ओ आषाढ़ के काले घन, बरसो न यों रीते मन, पावस की पुरवैया लाओ, व्योम के आगोश से आओ, करो दूर धरा की अगन, ओ आषाढ़ के काले घन…। घनघोर घटा के चित्र बना, रवि संग मिल रंगोली सजा, न खेलो आँखमिचोली गगन, चित्रकार ज्यों खुद में मगन? बरसो बन सतरंगी मन, ओ आषाढ़ के काले घन…। गरज गरज क्यों करे है शोर, मन मुड चले प्रिय की ओर, बरसो झूम,नाचे मन मोर, चातक तके निर्निमेष नयन, बरसो प्रेम बन धरा गगन, ओ आषाढ़ के काले घन…। संबंधित लेखलेखक की और रचनाएं डॉली की दो कविताएँ जितेन्द्र कुमार की व्यंग्य कविता – क्योंकि मैं वरिष्ठ हूँ शैली की कलम से : सावन में शिव से प्रार्थना – जयतु, जयतु महादेव Leave a Reply Cancel reply This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.