होम कविता डॉ. सुमन शर्मा की कविता – आषाढ़ घन कविता डॉ. सुमन शर्मा की कविता – आषाढ़ घन द्वारा सुमन शर्मा - July 25, 2021 285 0 फेसबुक पर शेयर करें ट्विटर पर ट्वीट करें tweet ओ आषाढ़ के काले घन, बरसो न यों रीते मन, पावस की पुरवैया लाओ, व्योम के आगोश से आओ, करो दूर धरा की अगन, ओ आषाढ़ के काले घन…। घनघोर घटा के चित्र बना, रवि संग मिल रंगोली सजा, न खेलो आँखमिचोली गगन, चित्रकार ज्यों खुद में मगन? बरसो बन सतरंगी मन, ओ आषाढ़ के काले घन…। गरज गरज क्यों करे है शोर, मन मुड चले प्रिय की ओर, बरसो झूम,नाचे मन मोर, चातक तके निर्निमेष नयन, बरसो प्रेम बन धरा गगन, ओ आषाढ़ के काले घन…। संबंधित लेखलेखक की और रचनाएं हिंदी भाषा पर मधु शृंगी की कविता प्रीति रतूड़ी की कविताएँ सरिता मलिक की कविताएँ कोई जवाब दें जवाब कैंसिल करें कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें! कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें आपने एक गलत ईमेल पता दर्ज किया है! कृपया अपना ईमेल पता यहाँ दर्ज करें Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Δ This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.